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चाइल्ड ट्रैफिकिंग रोकने के लिए NGO की खास पहल, संवार रही बेरोजगारों की जिंदगी

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Published : Jul 26, 2019, 7:04 PM IST

बिहार में चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए राजधानी के गार्गी ग्रैंड होटल में स्वयंसेवी संस्था ग्राम नियोजन केंद्र ने कार्यशाला का आयोजन किया.ग्राम नियोजन केंद्र के निदेशक डॉक्टर सूतापा मुखर्जी ने बताया कि संस्था बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था और स्कूली शिक्षा के साथ-साथ बेरोजगारों को लोन देकर रोजगार के लिए प्रोत्साहित करने का काम कर रही है.

कार्यशाला का आयोजन

पटना: राजधानी के निजी होटल में स्वयंसेवी संस्था ग्राम नियोजन केंद्र ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया. स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ताओं ने माना कि बिहार में बेरोजगारी और गरीबी को कम कर चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोका जा सकता है.
स्वयंसेवी संस्था का प्रयास
बिहार में चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए सरकारी प्रयास के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी प्रयास करना शुरू कर दिया है. इसी तरह का प्रयास गाजियाबाद के स्वयंसेवी संस्था ग्राम नियोजन केंद्र कर रही है. यह संस्था चाइल्ड ट्रैफिकिंग रोकने के लिए बिहार के कई जिलों में काम भी कर रही है. संस्था इन दिनों पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज के कई गांव में डेटा को इकट्ठा कर रही है.

कार्यशाला का आयोजन
बेरोजगारी और गरीबी मुख्य कारण स्वयंसेवी संस्था ने गरीबी और बेरोजगारी को चाइल्ड ट्रैफिकिंग के लिए जिम्मेदार माना है. बिहार के कई जिलों से आए स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ताओं ने माना कि बिहार में बेरोजगारी और गरीबी ही चाइल्ड ट्रैफिकिंग का मुख्य कारण है. संस्था ने माना कि बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था और स्कूली शिक्षा के साथ-साथ बेरोजगारों को लोन देकर रोजगार के लिए प्रोत्साहित करने से काफी हद तक इस समस्या से निजात दिलाया जा सकता है.8-10 साल के बच्चे होते हैं शिकार ग्राम नियोजन केंद्र के निदेशक डॉक्टर सूतापा मुखर्जी के अनुसार बिहार में मुख्य रुप से 8 से 10 साल के बच्चे चाइल्ड ट्रैफिकिंग के शिकर होते हैं. उन्होंने बताया कि जिस क्षेत्र में हमारी संस्था काम कर रही है वहां पर बेरोजगारी, गरीबी और स्कूली शिक्षा का घोर अभाव है. इन सब चीजों को बेहतर करने की कोशिश हमारी संस्था कर रही है.

पटना: राजधानी के निजी होटल में स्वयंसेवी संस्था ग्राम नियोजन केंद्र ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया. स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ताओं ने माना कि बिहार में बेरोजगारी और गरीबी को कम कर चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोका जा सकता है.
स्वयंसेवी संस्था का प्रयास
बिहार में चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए सरकारी प्रयास के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी प्रयास करना शुरू कर दिया है. इसी तरह का प्रयास गाजियाबाद के स्वयंसेवी संस्था ग्राम नियोजन केंद्र कर रही है. यह संस्था चाइल्ड ट्रैफिकिंग रोकने के लिए बिहार के कई जिलों में काम भी कर रही है. संस्था इन दिनों पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज के कई गांव में डेटा को इकट्ठा कर रही है.

कार्यशाला का आयोजन
बेरोजगारी और गरीबी मुख्य कारण स्वयंसेवी संस्था ने गरीबी और बेरोजगारी को चाइल्ड ट्रैफिकिंग के लिए जिम्मेदार माना है. बिहार के कई जिलों से आए स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ताओं ने माना कि बिहार में बेरोजगारी और गरीबी ही चाइल्ड ट्रैफिकिंग का मुख्य कारण है. संस्था ने माना कि बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था और स्कूली शिक्षा के साथ-साथ बेरोजगारों को लोन देकर रोजगार के लिए प्रोत्साहित करने से काफी हद तक इस समस्या से निजात दिलाया जा सकता है.8-10 साल के बच्चे होते हैं शिकार ग्राम नियोजन केंद्र के निदेशक डॉक्टर सूतापा मुखर्जी के अनुसार बिहार में मुख्य रुप से 8 से 10 साल के बच्चे चाइल्ड ट्रैफिकिंग के शिकर होते हैं. उन्होंने बताया कि जिस क्षेत्र में हमारी संस्था काम कर रही है वहां पर बेरोजगारी, गरीबी और स्कूली शिक्षा का घोर अभाव है. इन सब चीजों को बेहतर करने की कोशिश हमारी संस्था कर रही है.
Intro:एंकर बिहार में चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए सरकारी प्रयास के साथ साथ स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी प्रयास करना शुरू कर दिया है इसको लेकर आज कार्यशाला का आयोजन राजधानी पटना के गार्गी ग्रैंड होटल में किया गया जिसमें गाजियाबाद के स्वयंसेवी संस्था ग्राम नियोजन केंद्र ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग रोकने की उपाय को बताया आपको बता दें कि ग्राम नियोजन केंद्र गाजियाबाद इस पर बिहार के कई जिलों में काम भी कर रही है और वेस्ट चंपारण के नरकटियागंज में कई गांव के डेटा को इकट्ठा कर कार्य करना शुरू कर दिया है मुख्य रूप से गरीबी और बेरोजगारी को ही कार्यशाला में चाइल्ड ट्रैफकिंग के लिए जिम्मेदार माना गया बिहार के कई जिलों से आए हैं स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ताओं ने माना कि बिहार में बेरोजगारी और गरीबी ही चाइल्ड ट्रैफिकिंग का मुख्य कारण है बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था और स्कूली शिक्षा के साथ-साथ बेरोजगारों को लोन देकर रोजगार के लिए प्रोत्साहित करने से काफी हद तक इस समस्या से निजात पाया जा सकता है


Body:ग्राम नियोजन केंद्र के निदेशक डॉक्टर सूतापा मुखर्जी के अनुसार बिहार में मुख्यतः 8 से 10 साल के बच्चे का माइग्रेशन बहुत ज्यादा होता है अरे इसका कारण सबसे ज्यादा गरीबी को ही हम मानते हैं निश्चित तौर पर जिस क्षेत्र में हमारी संस्था काम कर रही है वहां पर बेरोजगारी गरीबी और स्कूली शिक्षा का घोर अभाव है उन्होंने कहा कि इन सब चीजों को बेहतर करने की कोशिश हमारी संस्था कर रही है और हमें उम्मीद है कि हम बहुत जल्दी नरकटियागंज कि जिस गांव में काम कर रहे हैं वहां पर कुछ न कुछ अच्छा रिजल्ट मिलेगा


Conclusion:चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने को लेकर बिहार सरकार की लगातार काम कर रही है लेकिन स्वयंसेवी संस्था विकास को बिहार में करना शुरू कर दिया है तो कहीं ना कहीं सरकार के द्वारा जो मंथर गति से काम किया जाता है उसमें तेजी आएगी और निश्चित तौर पर चाइल्ड ट्रैफकिंग रोकने में यह संस्थाएं सहायक होगी
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