पटनाः जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन का मंत्री पद से इस्तीफा के बाद बिहार में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. भाजपा के नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उनका दल नीतीश कुमार के स्वार्थ, महत्वाकांक्षा, अहंकार और तानाशाही रवैया का शिकार हो गया. इस इस्तीफा से जदयू का दलित और अति पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया है.
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मांझी को मुख्यमंत्री के पद से बेदखल कियाः विजय ने कहा कि राज्य की जनता को पता है कि किस प्रकार मांझी को मुख्यमंत्री के पद से बेदखल किया गया था. उस समय भी राजद और कंग्रेस नीतीश सरकार के मददगार थे. आज भी उन्हीं के साथ सरकार चला रही जदयू ने मांझी की पार्टी पर विलय करने का दबाब बनाया, जिसके कारण मंत्री संतोष सुमन को इस्तीफा देना पड़ा. जल्द ही महागठबंधन में भगदड़ मचेगी और ठगबंधन के भाव में चल रहा यह कुनबा बिखर जायगा.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अहंकार में किसी का सम्मान नहीं करते. जीतन राम मांझी बार बार विश्वास दिला रहे थे कि वे JDU के साथ हैं, इसके बाद भी पार्टी को विलय करने का प्रेशर बनाया गया. कोई भी नेता कैसे अपने स्वभिमान को खत्म कर सकता है. जिसके पास थोड़ा सा भी स्वभिमान है, वह नीतीश कुमार के साथ नहीं रहेगा." -विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष, भाजपा
बैठक में मांझी को आमंत्रित नहींः एनडीए के साथ सरकार में संतोष सुमन को दो विभाग दिया गया था, लेकिन महागठबंधन बनने और राजद कांग्रेस सरकार में आने पर इनका 1 विभाग छीन लिया गया. इतना ही नहीं, विपक्षी दलों की पटना में होने वाली आगामी बैठक में देश के अदनादलों को आमंत्रित किया गया, लेकिन 4 एमएलए और 1 एमएलसी वाले हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा को इसमें शामिल होने हेतु आमंत्रण नहीं दिया गया, जबकि ये अभी भी महागठबंधन के हिस्सा हैं.
मांझी करेंगे फैसलाः जीतन राम मांझी एक वड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं. परन्तु नीतीश कुमार ने उनसे स्वयं बात करना मुनासिब नहीं समझा. विजय कुमार चौधरी को मांझी से बात करने की जिम्मेवारी सौपीं. यह बेइज्जती की पराकाष्ठा है. कोई स्वाभिमानी राजनेता इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता है. भाजपा ने मांझी जी को बराबर सम्मान दिया है. और आज भी उनका आदर करते हैं. अब मांझी को निर्णय लेना है कि वे अपमानित होकर रहना पसंद करेंगे या स्वाभिमान के साथ राजनीति करना चाहेंगें.