पटना: रामायण (Ramayana) को लेकर बिहार एनडीए में महाभारत छिड़ता नजर आ रहा है. दरअसल मध्यप्रदेश की तरह बीजेपी (BJP) यहां भी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में रामायण को शामिल कराना चाहती है. मंगल पांडे (Mangal Pandey) और नीरज कुमार बबलू (Neeraj Kumar Bablu) ने इसकी मांग भी कर दी है, लेकिन जेडीयू (JDU) इस पर बीजेपी से उलट राय रखती है. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Choudhary) ने इस बारे में कहा कि सरकार के पास फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
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जेडीयू नेता और शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि रामायण या महाभारत को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का फलहाल सरकार का कोई विचार नहीं है. उन्होंने कहा कि अभी इसको लेकर कोई प्रस्ताव भी सरकार के पास नहीं आया है, जिस पर विचार किया जाए.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की मांग पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोई रामायण-महाभारत पढ़े, इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है. ये तो अच्छी बात है कि लोग इन ग्रंथों को पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ाएंगे, लेकिन जहां तक सिलेबस में शामिल करने की बात है तो अभी ऐसा कोई विचार नहीं है.
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आपको बताएं कि बीजेपी कोटे से मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि होनहार बच्चे देश की परंपराएं, धर्म और शास्त्र को समझें यह बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि मैं शिक्षा मंत्री नहीं हूं, लेकिन इस ज्ञान को बच्चों के लिए जरूरी मानता हूं. जबकि वन पर्यावरण मंत्री नीरज बबलू ने भी कहा है कि बच्चों को रामायण गीता और महाभारत पढ़ाया जाना चाहिए और इसके लिए अगर सिलेबस में शामिल करने की जरूरत हो तो उसे भी करना चाहिए.
वहीं, दूसरी तरफ एनडीए के सहयोगी हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने तो राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया है. उन्होंने कहा कि श्रीराम कोई जीवित और महापुरुष थे, ऐसा मैं नहीं मानता हूं. हालांकि रामायण कहानी में जो बातें बताई गई है, वो सीखने लायक है. महिलाओं की बात हो या फिर अपने से बड़ों के आदर और सम्मान की बात हो, रामायण हमें शिक्षा देती है.