पटना: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से एक बार फिर से केंद्र सरकार से बिहार को स्पेशल स्टेटस दिए जाने की मांग उठायी गई है. जातीय गणना की आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के बाद 94 लाख गरीब परिवार को मदद के लिए नीतीश कुमार ने केंद्र से विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है.
नीतीश ने फिर की विशेष राज्य के दर्जे की मांग: लगातार नीतीश कुमार अब कार्यक्रमों में इस मुद्दे को उठा रहे हैं. साथ ही केंद्र सरकार को चेतावनी भी दी है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो फिर से बिहार में इस पर आंदोलन होगा. नीतीश कुमार ने साफ कहा है कि स्पेशल स्टेटस की मांग को लेकर यात्रा करेंगे.
'विशेष दर्जा बिहार के लिए जरूरी': जदयू के वरिष्ठ नेता सह सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह केवल बिहार की नहीं बल्कि देश की भी जरूरत है. वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है बिहार पिछड़ा राज्य है. जब अभियान जदयू की तरफ से चलाया गया तो किसान मजदूर और बिहार के लोगों ने उसका पुरजोर समर्थन किया था. यदि बिहार को उस समय विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता तो बिहार अब तक लंबी छलांग लगा देता.
"बिहार कई तरह की समस्याओं से घिरा हुआ है. उत्तर बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित रहता है. वहीं बिहार कृषि पर आधारित राज्य है, लेकिन केंद्र की ओर से बिहार पर कभी ध्यान नहीं दिया गया. मुख्यमंत्री ने जो कहा है वह बिहार के लिए जरूरत है और जोरदार तरीके से अभियान चलाने की जरूरत है."- वशिष्ठ नारायण सिंह, वरिष्ठ नेता,जदयू
पहले भी जदयू कर चुकी है मांग: जदयू की तरफ से पहले भी विशेष राज्य के दर्जे को लेकर लंबा आंदोलन चला है. सभा और हस्ताक्षर भी करवाया गया, जिसे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजा गया. पटना से लेकर दिल्ली तक रैली की गई थी. लेकिन अब यह मुद्दा फिर से एक बार जोर पकड़ने वाला है.
2024 में मुद्दा बनाने की कोशिश: नीतीश कुमार 2024 में इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में लग गए हैं. जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह का भी कहना है बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, इसके लिए अब अभियान को पुरजोर तरीके से चलाने की जरूरत है. बिहार में 2005 में नीतीश कुमार के सत्ता संभालने के बाद से विशेष राज्य के दर्जे की मांग जदयू की तरफ से लगातार होती रही है.
आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में 94 लाख परिवार गरीब: नीतीश कुमार जब बीजेपी से अलग हुए थे तो विशेष दर्जे की मांग को लेकर लंबा आंदोलन भी चलाया था. पटना में भी रैली की और दिल्ली में भी रैली की गई थी. अब इस मुद्दे को एक बार फिर से नीतीश कुमार उठा रहे हैं.
असल में जातीय गणना कि आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में 94 लाख परिवार गरीब हैं, जिनकी आमदनी 6000 के करीब है.
ढाई लाख करोड़ की जरूरत: नीतीश कुमार ने ऐसे परिवार को 2 लाख रुपए मदद देने की घोषणा की है और इसके लिए ढाई लाख करोड़ की जरूरत पड़ेगी. बिहार सरकार इसे अपने बूते 5 सालों में करेगी और इसीलिए नीतीश कुमार कह रहे हैं कि केंद्र बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दे. जिससे दो से ढाई साल में गरीब परिवार को मुख्य धारा में ला सकें.
आंदोलन और यात्रा की तैयारी में जदयू: मुख्यमंत्री ने विधानसभा में भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग की और अब कार्यक्रमों में भी इसकी मांग करने लगे हैं. एक दिन पहले मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को चेतावनी भी दे दी कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो फिर से आंदोलन करेंगे और यात्रा भी शुरू करेंगे.
आरजेडी का दावा: विशेष राज्य के दर्जे को लेकर बिहार में सियासत भी होती रही है. राजद की तरफ से कहा जाता रहा है कि राबड़ी देवी जब मुख्यमंत्री थी तब सबसे पहले उनके तरफ से ही विशेष राज्य के दर्जे की मांग की गई थी. उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी. राबड़ी देवी ने आंचल फैला कर बिहार के लिए मांग की थी लेकिन अनसुना कर दिया गया.
बीजेपी का दावा: वहीं भाजपा की तरफ से कहा जा रहा है कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की जगह विशेष पैकेज मिला है. लेकिन नीतीश कुमार जिस प्रकार से अब फिर से विशेष राज के दर्जे की मांग उठा रहे हैं और अभियान चलाने की बात कर रहे हैं, ऐसे में 2024 में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है.