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बिहार के लिए बेरोजगारी अब भी बड़ी चुनौती, अर्थशास्त्रियों ने इससे निपटने के बताए रास्ते

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Published : Jul 13, 2022, 6:13 PM IST

बिहार में बेरोजगारी की समस्या (Unemployment Problem In Bihar) बनी हुई है. हर साल हजारों लोग रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेश की ओर पलायन कर रहे हैं. बेरोजगारी के मामले में बिहार आज भी देश भर में चौथे स्थान पर है. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार में बेरोजगारी
बिहार में बेरोजगारी

पटना: बिहार जैसे राज्यों के लिए बेरोजगारी (Unemployment In Bihar) और पलायन आज भी बड़ी चुनौती है. सरकार के कोशिशों के बावजूद राज्य में पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं और लोगों को पलायन करना पड़ रहा है. बेरोजगारी के मामले में बिहार आज भी राष्ट्रीय स्तर पर चौथे स्थान पर है. बेरोजगारी के चलते पलायन में इजाफा हुआ है. देश में बढ़ रही बेरोजगारी दर सरकार के लिए चिंता का सबब है.

ये भी पढ़ें-स्किल डेवलपमेंट के बावजूद बिहार में बेराजगारी, बोले युवा- 'डिग्री से नहीं हो रहा फायदा'

बेरोजगारी में चौथे स्थान पर बिहार: बेरोजगारी के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार चौथे स्थान पर है. हाल के कुछ दिनों में राज्य में ग्रामीण बेरोजगारी में इजाफा हुआ है. बिहार में बेरोजगारी दर सीएमआईआई के मुताबिक फिलहाल 13.66 है. राहत देने वाली खबर बिहार के लिए यह है कि अप्रैल माह की तुलना में बेरोजगारी दर में 7.8% की कमी आई है. एनसीएसपी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान बिहार में बेरोजगार युवाओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है. मार्च 2021 तक राज्य में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं की कुल संख्या 7800259 थी. पिछले 10 महीने में यह संख्या 267635 हो गई.

एनसीएसटी पोर्टल पर नाम दर्ज करवाते हैं बेरोजगार युवा: एनसीएसटी एक सरकारी वेबसाइट है. जहां बेरोजगार युवा अपना नाम दर्ज कराते हैं और राज्य सरकारें उनके प्रोफाइल के हिसाब से भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से उन्हें नौकरी प्रदान करती है. बेरोजगारी के चलते बिहार से रोजी रोटी के लिए पलायन भी बदस्तूर जारी है. बिहार से दूसरे राज्यों में जाने वाले 55% लोग रोजी-रोटी के लिए पलायन करते हैं. देश में पलायन करने वाली कुल आबादी का 13% हिस्सा सिर्फ बिहार से है.

कृषि के क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट की जरूरत: अर्थशास्त्री डॉक्टर विद्यार्थी विकास का मानना है कि जो भी एग्रीकल्चर बेस्ड इंडस्ट्रीज है उन्हें बेलआउट पैकेज दिया जाना चाहिए. मिनिमम सहायता सब्सिडी दिया जाना चाहिए. बिजली बिल में माफी दिया जाना चाहिए. कई प्रकार के जो टैक्स हैं उनमें रियायत दिया जाना चाहिए. ताकि, जो छोटे-छोटे इंडस्ट्री हैं वो ऊपर उठ सके. निवेश के जो भी जो संरचनाओं है उसमें कृषि को प्राथमिकता देना सुनिश्चित करना चाहिए. रिपोर्ट बताता है कि बिहार जैसे राज्य में कृषि की प्राथमिकता है. विकास के लिए कृषि के क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट करना पड़ेगा. कृषि के क्षेत्र में किसानों की लागत लगातार बढ़ रही है उसे कम करने की जरूरत है. ताकि, वह कृषि के लिए उत्साहित हो.

"सरकार को यह चाहिए था कि लॉकडाउन, जीएसटी और नोटबंदी से जो दुकानदार टूट गई है. जो माइक्रो इंडस्ट्री टूट गई है. उन्हें बिजली बिल में सहायता दिया जा सकता था. क्यौंकि हम एक ओर बड़े-बड़े इंडस्ट्रीज को बेलौट पैकेज देते हैं. जो माइक्रो इंडस्ट्रीज है उसपर हम फोकस करके कई तरह से सहायता पहुंचाया जा सकता था. जैसे बिजली बिल और कई प्रकार के टैक्स में माफ किया जा सकता था. तो शायद सुधार होता. अब अगर देखें तो एग्रीकल्चर में इनवेस्टमेंट जितना होना चाहिए और जिस तरीके से होना चाहिए, एग्रीकल्चर में इंनवेस्टमेंट नहीं हो पा रहा है. फार्मर्स डिस्ट्रेस में जा रहे हैं. फार्मर्स सुसाइड कर रहे हैं. क्योंकि कॉस्ट ऑफ कल्टीवेशन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. दूसरी ओर जो प्राइस उन्हें मिलनी चाहिए थी वो भी नहीं मिल पा रहा है. उनकी प्रॉफिबलिटी बहुत तेजी से कम रहा है. सरकार को इसे बढ़ाने की जरूरत है."- डॉक्टर विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री

रोजगार के अवसर नहीं बढ़े: अर्थशास्त्री डॉ अविरल पांडे का कहना है कि बिहार में जीडीपी तो बढ़े लेकिन उस अनुपात में रोजगार के अवसर नहीं बढ़े. कृषि कैबिनेट लाया गया लेकिन कृषि विकास दर अब भी दो प्रतिशत के आसपास ही है. सरकार को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की ओर ध्यान केंद्रित करें और कृषि में निवेश बढ़ाया जाए. विश्व बैंक के रिपोर्ट भी बताती है कि बिहार जैसे राज्यों का विकास तभी होगा जब कृषि के क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा. सरकार को यह भी कोशिश करना चाहिए कि किसानों की आय कैसे बढ़े और खेती के लिए उन्हें निर्बाध बिजली कैसे मिले.

"बिहार के प्रस्पेक्टिव में हम देखें तो पिछले 15 साल में सरकार की जो बिहार की आर्थिक विकास की दर है वो अच्छी रही है. लेकिन उसके जो प्रभाव रोजगार के रूप में दिखने चाहिए वे बहुत प्रभावशाली नहीं कहे जाएंगे. इसके लिए हम देखें तो जीडीपी तो बढ़ा लेकिन वो रोजगार के अवसर के रूप में कनवर्ट नहीं हो पाया. जीडीपी और रोजगार के अवसर को और बढ़ाना होगा. आंकड़े दिखाते हैं कि बिहार से माइग्रेसन बढ़ा है. बिहार में लगभग 88 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं. सरकार अगर चाहती है कि रोजगार बढ़े तो उसको ग्रामीण क्षेत्र पर ध्यान देने की जरूरत है. सरकार को निवेश में कृषि को प्राथमिकता देना सुनिश्चित करना चाहिए."- डॉ अविरल पांडे, अर्थशास्त्री

सरकार को आईटी सेक्टर पर ध्यान देने की जरूरत: अर्थशास्त्री डॉ अमित बख्शी का कहना है कि जब क्रॉपिंग सीजन नहीं रहता है उस समय भी अनइंप्लॉयमेंट रेट बढ़ता है. सरकार कई क्षेत्र में कोशिश कर रही है. जैसे इंडस्ट्री के क्षेत्र में देखें तो उद्यमिता योजना के तहत रोजगार के अवसर पैदा किए जा रहे हैं. पर्यटन के क्षेत्र में लाखों संख्या में लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. सरकार इस दिशा में कोशिश कर रही है. राज्य में रोजगार के अवसर पैदा हो इसके लिए प्राइवेट सेक्टर को मजबूती प्रदान करने की जरूरत है. इसके अलावा आईटी सेक्टर पर भी ध्यान देना चाहिए.

"कोविड का प्रभाव तो है ही, दूसरा प्रभाव होता है कि क्रॉपिंग सीजन नहीं रहता है तो उस समय भी बेरोजगारी बढ़ती है. सरकार कई क्षेत्र में कोशिश कर रही है. जैसे आप इंडस्ट्री क्षेत्र में देखिएगा तो मुख्यमंत्री उद्यमी योजना में भी कई उद्यम सेटअप किए जा रहे हैं. बिहार में जो आगे आने वाले समय में जो डेवलपमेंट होगा. उसमें टूरिज्म सेक्टर में बड़ी तेजी से उभरेगा. प्राइवेट सेक्टर में सरकार को ध्यान देने की जरूरत है."- डॉ अमित बख्शी, अर्थशास्त्री

ये भी पढ़ें-'बिहार में गरीबी और बेरोजगारी के चलते राजस्थान में बाल श्रम के लिए बच्चों को भेजने को मजबूर हैं परिजन'

पटना: बिहार जैसे राज्यों के लिए बेरोजगारी (Unemployment In Bihar) और पलायन आज भी बड़ी चुनौती है. सरकार के कोशिशों के बावजूद राज्य में पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं और लोगों को पलायन करना पड़ रहा है. बेरोजगारी के मामले में बिहार आज भी राष्ट्रीय स्तर पर चौथे स्थान पर है. बेरोजगारी के चलते पलायन में इजाफा हुआ है. देश में बढ़ रही बेरोजगारी दर सरकार के लिए चिंता का सबब है.

ये भी पढ़ें-स्किल डेवलपमेंट के बावजूद बिहार में बेराजगारी, बोले युवा- 'डिग्री से नहीं हो रहा फायदा'

बेरोजगारी में चौथे स्थान पर बिहार: बेरोजगारी के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार चौथे स्थान पर है. हाल के कुछ दिनों में राज्य में ग्रामीण बेरोजगारी में इजाफा हुआ है. बिहार में बेरोजगारी दर सीएमआईआई के मुताबिक फिलहाल 13.66 है. राहत देने वाली खबर बिहार के लिए यह है कि अप्रैल माह की तुलना में बेरोजगारी दर में 7.8% की कमी आई है. एनसीएसपी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान बिहार में बेरोजगार युवाओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है. मार्च 2021 तक राज्य में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं की कुल संख्या 7800259 थी. पिछले 10 महीने में यह संख्या 267635 हो गई.

एनसीएसटी पोर्टल पर नाम दर्ज करवाते हैं बेरोजगार युवा: एनसीएसटी एक सरकारी वेबसाइट है. जहां बेरोजगार युवा अपना नाम दर्ज कराते हैं और राज्य सरकारें उनके प्रोफाइल के हिसाब से भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से उन्हें नौकरी प्रदान करती है. बेरोजगारी के चलते बिहार से रोजी रोटी के लिए पलायन भी बदस्तूर जारी है. बिहार से दूसरे राज्यों में जाने वाले 55% लोग रोजी-रोटी के लिए पलायन करते हैं. देश में पलायन करने वाली कुल आबादी का 13% हिस्सा सिर्फ बिहार से है.

कृषि के क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट की जरूरत: अर्थशास्त्री डॉक्टर विद्यार्थी विकास का मानना है कि जो भी एग्रीकल्चर बेस्ड इंडस्ट्रीज है उन्हें बेलआउट पैकेज दिया जाना चाहिए. मिनिमम सहायता सब्सिडी दिया जाना चाहिए. बिजली बिल में माफी दिया जाना चाहिए. कई प्रकार के जो टैक्स हैं उनमें रियायत दिया जाना चाहिए. ताकि, जो छोटे-छोटे इंडस्ट्री हैं वो ऊपर उठ सके. निवेश के जो भी जो संरचनाओं है उसमें कृषि को प्राथमिकता देना सुनिश्चित करना चाहिए. रिपोर्ट बताता है कि बिहार जैसे राज्य में कृषि की प्राथमिकता है. विकास के लिए कृषि के क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट करना पड़ेगा. कृषि के क्षेत्र में किसानों की लागत लगातार बढ़ रही है उसे कम करने की जरूरत है. ताकि, वह कृषि के लिए उत्साहित हो.

"सरकार को यह चाहिए था कि लॉकडाउन, जीएसटी और नोटबंदी से जो दुकानदार टूट गई है. जो माइक्रो इंडस्ट्री टूट गई है. उन्हें बिजली बिल में सहायता दिया जा सकता था. क्यौंकि हम एक ओर बड़े-बड़े इंडस्ट्रीज को बेलौट पैकेज देते हैं. जो माइक्रो इंडस्ट्रीज है उसपर हम फोकस करके कई तरह से सहायता पहुंचाया जा सकता था. जैसे बिजली बिल और कई प्रकार के टैक्स में माफ किया जा सकता था. तो शायद सुधार होता. अब अगर देखें तो एग्रीकल्चर में इनवेस्टमेंट जितना होना चाहिए और जिस तरीके से होना चाहिए, एग्रीकल्चर में इंनवेस्टमेंट नहीं हो पा रहा है. फार्मर्स डिस्ट्रेस में जा रहे हैं. फार्मर्स सुसाइड कर रहे हैं. क्योंकि कॉस्ट ऑफ कल्टीवेशन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. दूसरी ओर जो प्राइस उन्हें मिलनी चाहिए थी वो भी नहीं मिल पा रहा है. उनकी प्रॉफिबलिटी बहुत तेजी से कम रहा है. सरकार को इसे बढ़ाने की जरूरत है."- डॉक्टर विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री

रोजगार के अवसर नहीं बढ़े: अर्थशास्त्री डॉ अविरल पांडे का कहना है कि बिहार में जीडीपी तो बढ़े लेकिन उस अनुपात में रोजगार के अवसर नहीं बढ़े. कृषि कैबिनेट लाया गया लेकिन कृषि विकास दर अब भी दो प्रतिशत के आसपास ही है. सरकार को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की ओर ध्यान केंद्रित करें और कृषि में निवेश बढ़ाया जाए. विश्व बैंक के रिपोर्ट भी बताती है कि बिहार जैसे राज्यों का विकास तभी होगा जब कृषि के क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा. सरकार को यह भी कोशिश करना चाहिए कि किसानों की आय कैसे बढ़े और खेती के लिए उन्हें निर्बाध बिजली कैसे मिले.

"बिहार के प्रस्पेक्टिव में हम देखें तो पिछले 15 साल में सरकार की जो बिहार की आर्थिक विकास की दर है वो अच्छी रही है. लेकिन उसके जो प्रभाव रोजगार के रूप में दिखने चाहिए वे बहुत प्रभावशाली नहीं कहे जाएंगे. इसके लिए हम देखें तो जीडीपी तो बढ़ा लेकिन वो रोजगार के अवसर के रूप में कनवर्ट नहीं हो पाया. जीडीपी और रोजगार के अवसर को और बढ़ाना होगा. आंकड़े दिखाते हैं कि बिहार से माइग्रेसन बढ़ा है. बिहार में लगभग 88 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं. सरकार अगर चाहती है कि रोजगार बढ़े तो उसको ग्रामीण क्षेत्र पर ध्यान देने की जरूरत है. सरकार को निवेश में कृषि को प्राथमिकता देना सुनिश्चित करना चाहिए."- डॉ अविरल पांडे, अर्थशास्त्री

सरकार को आईटी सेक्टर पर ध्यान देने की जरूरत: अर्थशास्त्री डॉ अमित बख्शी का कहना है कि जब क्रॉपिंग सीजन नहीं रहता है उस समय भी अनइंप्लॉयमेंट रेट बढ़ता है. सरकार कई क्षेत्र में कोशिश कर रही है. जैसे इंडस्ट्री के क्षेत्र में देखें तो उद्यमिता योजना के तहत रोजगार के अवसर पैदा किए जा रहे हैं. पर्यटन के क्षेत्र में लाखों संख्या में लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. सरकार इस दिशा में कोशिश कर रही है. राज्य में रोजगार के अवसर पैदा हो इसके लिए प्राइवेट सेक्टर को मजबूती प्रदान करने की जरूरत है. इसके अलावा आईटी सेक्टर पर भी ध्यान देना चाहिए.

"कोविड का प्रभाव तो है ही, दूसरा प्रभाव होता है कि क्रॉपिंग सीजन नहीं रहता है तो उस समय भी बेरोजगारी बढ़ती है. सरकार कई क्षेत्र में कोशिश कर रही है. जैसे आप इंडस्ट्री क्षेत्र में देखिएगा तो मुख्यमंत्री उद्यमी योजना में भी कई उद्यम सेटअप किए जा रहे हैं. बिहार में जो आगे आने वाले समय में जो डेवलपमेंट होगा. उसमें टूरिज्म सेक्टर में बड़ी तेजी से उभरेगा. प्राइवेट सेक्टर में सरकार को ध्यान देने की जरूरत है."- डॉ अमित बख्शी, अर्थशास्त्री

ये भी पढ़ें-'बिहार में गरीबी और बेरोजगारी के चलते राजस्थान में बाल श्रम के लिए बच्चों को भेजने को मजबूर हैं परिजन'

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