पटना: बिहार में बेरोजगारी (Unemployment in Bihar) पहले से ही युवाओं के लिए परेशानी का सबब रही है. उद्योगों की कमी की वजह से युवाओं को बिहार में रोजगार (Employment) नहीं मिल पाता है. दूसरी परेशानी सरकारी नौकरियों को लेकर है, जिनमें पिछले 10 सालों में साल दर साल कटौती होती चली गई. जिन सरकारी नौकरियों के भरोसे युवा बैठे रहे, उनमें भी भ्रष्टाचार की वजह से समय पर बहाली नहीं हो पाई है.
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अब रही सही कसर कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने पूरी कर दी है. कोरोना संक्रमण की वजह से 2020 का ज्यादातर समय लॉकडाउन (Lockdown) में बीता. इस साल आई दूसरी लहर ने तो युवाओं का बचा हुआ रोजगार भी छीन लिया. कई बड़े औद्योगिक घरानों में बड़ी संख्या में छंटनी की.
लॉकडाउन और बिजनेस नहीं होने की वजह से कंपनियों के सामने सैलरी देने का भी संकट खड़ा हो गया, जिसके कारण बिहार में गिने-चुने उद्योग और बड़े व्यवसाय बंद होते चले गए. हालांकि, यही हाल पूरे देश का रहा लेकिन बिहार में पहले से ही बेरोजगारी चरम पर थी.
राज्य में बेरोजगारी की समस्या किस हद तक है ये साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सभी ने महसूस किया. जब एक राजनीतिक दल ने 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया, तो दूसरी तरफ एनडीए ने सरकार बनने पर 20 लाख रोजगार देने की घोषणा की. ये अलग बात है कि चुनाव के बाद रोजगार को लेकर अब तक कोई ठोस उपाय नहीं हो पाया है. इसके कारण युवा बेकार बैठे हैं और सीएमआईई (CMIE) की रिपोर्ट बिहार में बेरोजगारी की पोल खोल रही है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की जनवरी 2021 से अप्रैल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी का राष्ट्रीय औसत 6.83% रहा है. इसमें शहरी बेरोजगारी दर 7.7% रही, वहीं ग्रामीण बेरोजगारी दर 6.4% रिकॉर्ड की गई. वहीं, बिहार में इसी दौरान बेरोजगारी दर 14.05% दर्ज की गई है. इसमें शहरी बेरोजगारी 18.3% जबकि ग्रामीण बेरोजगारी 11.3% दर्ज की गई.
वहीं, सितंबर 2020 से दिसंबर 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी का राष्ट्रीय औसत 7.08% थी. इसमें शहरी बेरोजगारी 7.8%, जबकि ग्रामीण बेरोजगारी 6.7% दर्ज की गई थी. वहीं, बिहार में बेरोजगारी दर 13.72% थी. जिसमें शहरी बेरोजगारी 16.4%, जबकि ग्रामीण बेरोजगारी की दर 10.4% रिकॉर्ड की गई थी.
बिहार की आर्थिक स्थिति को नजदीक से जानने वाले डॉ. विद्यार्थी विकास कहते हैं कि कोविड-19 के बाद बिहार में बेरोजगारी राष्ट्रीय औसत से दोगुनी हो चुकी है. उन्होंने बताया कि 6% के आसपास बेरोजगारी बिहार में पहले थी, जो सामान्य से कुछ ज्यादा है.
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''जनवरी से अप्रैल 2021 तक की सीएमआईई की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि बिहार में बेरोजगारी की दर बढ़कर 14 फीसदी तक पहुंच चुकी है, जो अत्यंत चिंताजनक है. देश में करीब 4.50 करोड़ बेरोजगार हैं, उनमें से 42 लाख के करीब बेरोजगार सिर्फ बिहार में हैं.''- डॉ. विद्यार्थी विकास, आर्थिक विश्लेषक