पटनाः प्रदेश में साइबर फ्रॉड के दो नए मामले सामने आए हैं. बदमाशों ने एक मामले में नाल्को से रिटायर्ड अधिकारी के खाते से 40 लाख रुपये उड़ा लिए. वहीं, दूसरे मामले में क्लोन चेक के माध्यम से महिला प्रोफेसर के खाते से 42 लाख रुपये से ज्यादा की निकासी कर ली गई है.
केस-1ः रिटायर्ड अधिकारी से 40 लाख की ठगी
सासाराम के अखौरी निवासी प्रकाश चंद्र नाल्को में एचआरडी के पद पर तैनात थे. नौकरी के दौरान ही पटना में एक फ्लैट खरीदा था. रिटायरमेंट के बाद उस फ्लैट के बेचकर एक्सिस बैंक के खाते में 40 लाख रुपये जमा किए थे, ताकि महीना-महीना ब्याज आ सके. लॉकडाउन के दौरान लगातार 3-4 महीने ब्याज नहीं आए, तो उन्होंने बैंक से संपर्क किया. बैंककर्मियों ने उनके खाते की पड़ताल की तो उनके होश उड़ गए. बैंक मैनेजर ने प्रकाश चंद्र को बताया कि उनके खाते में साइबर अपराधियों ने सैंधमारी की है और उनके जमा 40 लाख रुपये उड़ा लिए. बैंक से बताया कि उनके खाते से बनारस स्थित दो ज्वेलरी शॉप को पैंमेंट किया गया है.
बनारस के ज्वेलरी शॉप से ऑनलाइन खरीदारी
प्रकाश चंद्र ने संबंधित थाने में इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है. एक दुकान से 10 लाख रुपये और एक अन्य दुकान से 30 लाख रुपये के आभूषण की खरीदारी की गई थी. पीड़ित व्यक्ति पुलिस के साथ उक्त दुकान पर पहुंचे. मामला पुराना होने के कारण सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं था. आभूषण दुकानदारों के पास खरीदारों के पेन कॉर्ड की भी डिटेल नहीं थी. लेकिन एक दुकान में अपराधी का मोबाइल नंबर दर्ज था. उस नंबर के सहारे छानबीन के क्रम में 8 अपराधियों के नाम सामने आए. जिसमें से 4 को गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि अन्य 4 अब भी फरार हैं.
करीबी ही निकले अपराधी
इस मामले में जो अपराधी सामने आए हैं, वे प्रकाश चंद्र के करीबी निकले. उनमें दो तो उनके किरायादार हैं. प्रकाश चंद्र ने मोबाइल में नेट बैंकिंग की सुविधा ले रखी थी. लेकिन उसके इस्तेमाल में उन्हें दूसरी मदद लेने पड़ती थी. इसी का लाभ उठाकर अपराधियों ने उनके खाते से ज्वेलरी शॉप को पैमेंट कर खरीदारी कर ली.
पीएम मोदी से न्याय की गुहार
पीड़ित प्रकाश चंद ने बताया कि उनके खाते में अभी तक पैसे नहीं आए हैं. उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद और पीएम मोदी पत्र लिखकर न्याय की मांग की है. उन्होंने आरबीआई से भी मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई है. आरबीआई से उन्हें कार्रवाई का भरोसा दिया गया है. उन्होंने कहा कि पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए 4 बदमाशों को तो गिरफ्तार कर ली है, लेकिन फरार चल रहे अन्य 4 बदमाशों की गिरफ्तारी के लेकर सुस्त दिख रही है.
क्या कहता है आर्थिक अपराध इकाई
आर्थिक अपराध इकाई की माने तो डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ने के बाद नेट बैंकिंग की ओर लोगों का झुकाव बढ़ा है. लेकिन इसके इस्तेमाल के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों से वे अवगत नहीं होते हैं. नेट बैंकिंग के लिए उन्हें किसी की मदद लेनी पड़ती है. यहां तक की उपभोगता इसे अपनी यूजर आईडी और पासवॉर्ड तक बता देंते हैं. मदद करने वाला चाहे तो खाते की सारी जानकारी उस तक पहुंच सकती है. इससे संबंधित फ्रॉड के कई केस सामने आ रहे हैं.
केस-2ः महिला प्रेफेसर के खाते से 42 लाख की निकासी
वहीं, दूसरा मामला पटना सिटी के चौक थाना क्षेत्र की रहने वाली महिला प्रोफेसर से जुड़ा है. क्लोन चेक के माध्यम से उनके बैंक खाते से 42 लाख 38 हजार रुपये की निकासी कर ली गई और उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी. दरअसल, अपराधियों ने पहले पीड़िता के मोबाइल बैंकिंग को ब्लॉक किया, फिर कई किश्तों में पटना, मुंबई और हैदराबाद से पैसे की निकासी की गई. जिससे खाता से रहे ट्रांजेक्शन का उन्हें मैसेज नहीं पहुंच रहा था. यह गड़बड़ी उनके आरपीएस कॉलेज स्थित सेंट्रल बैंक के खाते से हुई है. कुछ समय बाद जब उन्होंने अपने बैंक खाता को अपटूडेट कराया तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. उसके बाद उन्होंने बैंक और पुलिस से इसकी शिकायत की. मामले में छानबीन जारी है. पीड़िता ने बताया कि उन्होंने बेटी की शादी के लिए पैसे जमा की थी, लेकिन बदमाशों ने उनके खाते खाली कर दिए.
एक्सपर्ट की राय
साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरभ की माने तो फर्जी चेक से निकासी होती है, तो इसमें सरासर बैंक दोषी है. कोर्ट में मामला साबित होने के बाद बैंक को इसका भुगतान करना पड़ता हैं.
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान नेट बैंकिंग, डिजिटल पैमेंट और ऑनलाइन शॉपिग को बढ़ाया हैं. लेकिन जानकारी और जागरुता के आभाव में लोग में लोग साइबर फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं. अपराधी फ्रॉड के नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं. ऐसे में सावधानी ही आप को इससे बचा सकती है.