पटना (मसौढ़ी): कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन धनतेरस (Dhanteras) मनाई जाती है. इस बार धनतेरस 2 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है. आज के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा करने का विशेष महत्व है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरी, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा अर्चना की जाती है. वहीं, आज के दिन हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार कुछ विशेष वस्तु हिंदुओं द्वारा खरीदा जाता है. खासकर झाड़ू (Broom) खरीदने की सदियों पुरानी परंपरा है. अमीर से अमीर और गरीब से गरीब तक धनतेरस के मौके पर बाजार से झाड़ू जरूर खरीद कर घर लाता है.
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धनतेरस को लेकर राजधानी पटना समेत मसौढ़ी अनुमंडल के ग्रामीण और शहरी बाजारों मे सुबह से ही खरीदारों की भीड़ उमड़ी हुई है. मसौढ़ी के बड़ी ठाकुरबाड़ी मंदिर के मुख्य पुजारी गोपाल पांडेय ने बताया की मत्स्य पुराण के अनुसार, झाडू में मां लक्षमी का प्रतिक माना जाता है. वहीं, बृहत संहिता में झाडू को सुख शांति बढ़ाने और द्ररिद्रता दूर करने वाली मानी जाती है. मान्यता है कि धनतेरस के दिन अगर घर में नई झाडू लाई जाए, तो धन संबंधित परेशानी भी दूर हो जाती है.
पुराणों में कहा गया है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा यह हिंदू माइथोलॉजी में यह भी कहा जाता है कि धनतेरस के दिन लाए गए झाड़ू पर सफेद रंग का धागा बांध देने से लक्ष्मी का वास घर में हमेशा बना रहेगा. घर के किसी भी सदस्य को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा. वहीं, हिंदू मान्यता है कि झाड़ू नकारात्मक चीजों को बाहर करती है और सकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश लाती हैं.
गौरतलब है कि ज्योतिष के अनुसार, झाडू की खरीदारी मे भी संख्या का विशेष महत्व माना जाता है. धनतेरस के दिन तीन झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है. कभी भी झाड़ू जोड़े में नहीं खरीदना चाहिए. दो या चार संख्या खरीदने से बचे. धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना मतस्य पुराण के अनुसार, मां लक्षमी को प्रसन्न करना होता है. नई झाड़ू घर की द्ररिद्रता को दूर करता है.
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