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Narak Chaturdashi 2023: आज है नरक चतुर्दशी, इसे छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं, आज ही होती है यमराज की पूजा - ETV Bharat News

Chhoti Diwali 2023 : नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली, रूप चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी और नरका पूजा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन खास तौर पर यमराज के निमित्त दीया जलाने की परंपरा है. साथ ही आज के दिन ही हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. पढ़ें पूरी खबर..

नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 11, 2023, 6:13 AM IST

पटनाः धनतेरस के दूसरे दिन और दिवाली से एक दिन पहले कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जाती है. इस पर्व को अलग-अलग जगह कई सारे नाम से मनाया जाता है. कहीं इसे रूप चौदस, तो कहीं नरक चौदस, कहीं रूप चतुर्दशी और सबसे ज्यादा छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूजन का खास महत्व है. क्योंकि आज के दिन मृत्यु के देवता यानी यमराज की पूजा होती है.

छोटी दीपावली को दीपदान का खास महत्व : छोटी दिवाली यानी नरकचतुर्दशी के दिन दीपदान करना अनिवार्य माना जाता है. क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन पूजा और दीपदान से घर-परिवार में अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है और परिजन रोग-व्याधियों से मुक्त रहते हैं. वहीं एक और मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. नरकासुर की वध की खुशी में भी इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से मनाया जाता है और दीये जलाए जाते हैं. इसी खुशी में इस दिन दीप दान भी किया जाता है.

यमराज की होती है पूजा : इस दिन दीया जलाने और पूजा करने के कुछ खास नियम और विधियों के साथ पुरानी मान्यता भी है. कहा जाता है कि छोटी दिवाली के दिन शाम में चार बत्तियों वाले दीये को घर से बाहर कूड़े के ढेर के पास जलाकर दीपदान करना चाहिए. यह दीया नया नहीं बल्कि पुराना होता, यानी पुराने दीये को जलाकर ही कूड़े के ढेर के पास रखना चाहिए.इसके पीछे यह मान्यता है कि स्थान चाहे कोई भी हो हर जगह शुभता का वास होता है. खास कर एक समय विशेष पर उसका महत्व होता है. साथ ही यह भी मान्यता है कि सुबह-सुबह सरसों का तेल और उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए. इस दिन यमराज के निमित्त तर्पण करना होता है.

क्या है शुभ मुहूर्त : 11 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट पर चतुर्दशी शुरू होगी और 12 दिसंबर दोपहर 2.44 तक रहेगी. ऐसे में 11 नवंबर को ही नरक चौदस या छोटी दिवाली मनाई जाएगी. वहीं 11 नवंबर को 5 बजकर 32 मिनट पर यम दीप जलाई जाएगी.

ये भी पढ़ें : Diwali 2022: दिवाली से पहले नरक चतुर्दशी का महत्व, इस दिन जरूर करें दीपदान

पटनाः धनतेरस के दूसरे दिन और दिवाली से एक दिन पहले कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जाती है. इस पर्व को अलग-अलग जगह कई सारे नाम से मनाया जाता है. कहीं इसे रूप चौदस, तो कहीं नरक चौदस, कहीं रूप चतुर्दशी और सबसे ज्यादा छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूजन का खास महत्व है. क्योंकि आज के दिन मृत्यु के देवता यानी यमराज की पूजा होती है.

छोटी दीपावली को दीपदान का खास महत्व : छोटी दिवाली यानी नरकचतुर्दशी के दिन दीपदान करना अनिवार्य माना जाता है. क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन पूजा और दीपदान से घर-परिवार में अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है और परिजन रोग-व्याधियों से मुक्त रहते हैं. वहीं एक और मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. नरकासुर की वध की खुशी में भी इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से मनाया जाता है और दीये जलाए जाते हैं. इसी खुशी में इस दिन दीप दान भी किया जाता है.

यमराज की होती है पूजा : इस दिन दीया जलाने और पूजा करने के कुछ खास नियम और विधियों के साथ पुरानी मान्यता भी है. कहा जाता है कि छोटी दिवाली के दिन शाम में चार बत्तियों वाले दीये को घर से बाहर कूड़े के ढेर के पास जलाकर दीपदान करना चाहिए. यह दीया नया नहीं बल्कि पुराना होता, यानी पुराने दीये को जलाकर ही कूड़े के ढेर के पास रखना चाहिए.इसके पीछे यह मान्यता है कि स्थान चाहे कोई भी हो हर जगह शुभता का वास होता है. खास कर एक समय विशेष पर उसका महत्व होता है. साथ ही यह भी मान्यता है कि सुबह-सुबह सरसों का तेल और उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए. इस दिन यमराज के निमित्त तर्पण करना होता है.

क्या है शुभ मुहूर्त : 11 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट पर चतुर्दशी शुरू होगी और 12 दिसंबर दोपहर 2.44 तक रहेगी. ऐसे में 11 नवंबर को ही नरक चौदस या छोटी दिवाली मनाई जाएगी. वहीं 11 नवंबर को 5 बजकर 32 मिनट पर यम दीप जलाई जाएगी.

ये भी पढ़ें : Diwali 2022: दिवाली से पहले नरक चतुर्दशी का महत्व, इस दिन जरूर करें दीपदान

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