पटना: देश की राजधानी में स्क्रैपेज पॉलिसी (Scrappage Policy) के तहत फिटनेस फेल वाहनों पर सख्ती हो रही है. पुलिस उन्हें जब्त कर रही है. इस पॉलिसी के तहत 20 वर्ष पुराने निजी वाहन और 15 वर्ष पुराने व्यावसायिक वाहन सड़क से हटाया जा रहे हैं. इधर, बिहार की राजधानी पटना (Patna) में भी ऐसे वाहनों की संख्या कम नहीं है. पटना डीटीओ (Patna DTO) में करीब 19 लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं. जिनमें से करीब तीन लाख वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी के दायरे में आ रहे हैं.
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जानकारी के मुताबिक पटना वीडियो में 19 लाख रजिस्टर्ड व्हीकल्स में से छह लाख तो पूरी तरह कबाड़ हो चुके हैं. बाकी बचे 13 लाख वाहन जो सड़क पर चलने के लायक हैं. उनमें से करीब तीन लाख वाहन ऐसे हैं, जिन्हें स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल करना होगा.
पटना डीटीओ में निबंधित 8 लाख टू व्हीलर्स में से 2 लाख टू व्हीलर्स 20 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं. इनमें से बड़ी संख्या में टू व्हीलर अब भी इस्तेमाल में हैं, लेकिन नई स्क्रैपेज पॉलिसी लागू होने के बाद फिटनेस फेल होने की वजह से यह सभी टू व्हीलर सड़क से बाहर हो सकते हैं. बात अन्य गाड़ियों की करें तो पटना में बड़ी संख्या में लोग सेकेंड और थर्ड हैंड कार का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनकी उम्र 20 साल से ज्यादा हो चुकी है. ये भी ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्ट पास करने की स्थिति में नहीं है, जिसकी वजह से इन सभी को शहर की सड़कों से बाहर कर दिया जाएगा.
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पटना में चलने वाले ज्यादातर पुराने व्यावसायिक वाहनों को सरकार पहले ही सड़क से बाहर करने की योजना पर तेजी से काम कर रही है. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (Bihar State Road Transport Corporation) की बसों में से ज्यादातर को सीएनजी (CNG) में कन्वर्ट किया जा रहा है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक बसें भी पटना की सड़कों पर उतारी गई हैं. वहीं डीजल से चलने वाले ऑटो और पेट्रोल से चलने वाले ऑटो को भी सीएनजी में कन्वर्ट किया जा रहा है. इसके अलावा पुराने निजी सिटी बसों को भी परिवहन विभाग की तरफ से अनुदान दिया जा रहा है ताकि वे भी समय रहते पुरानी गाड़ियां सड़क से हटा सकें. कुल मिलाकर देखें तो सरकार ने फिलहाल व्यवसायिक वाहनों को बदलाव के लिए कुछ समय दिया है, लेकिन जैसे ही बिहार में स्क्रैपेज पॉलिसी लागू होगी लाखों वाहन सड़क से बाहर हो जाएंगे.