पटना: बिहार चुनाव का अंतिम चरण कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती पूर्ण है. इस चरण में पार्टी के आधे वर्तमान विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. पिछले चुनाव में पार्टी ने 27 सीटों पर चुनाव जीती थी. लेकिन उनकी 4 सीटिंग सीटें सहयोगी दलों के खाते में जाने के बाद अब 23 सीटिंग सीटें कांग्रेस के खाते में है. कांग्रेस इस बार 70 सीटों पर उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारे हुए हैं. आखिरी चरण में कांग्रेस के 26 उम्मीदवार मैदान में हैं.
चुनाव में कोसी -सीमांचल में अल्पसंख्यक बहुल सीटें कांग्रेस के पास ज्यादा है. पार्टी ने इन क्षेत्रों से 9 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. इन 9 उम्मीदवारों में से ऐसे हैं जो 2015 में चुनाव जीतकर सदन तक पहुंचे थे और एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं. तीन नए मुस्लिम चेहरे को टिकट दिया गया है. इन क्षेत्रों में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में हैं ऐसे में मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
2015 में क्या था समीकरण?
बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस- रजद और जदयू साथ मिलकर चुनाव लड़े थे. पार्टी की सीटिंग सीटों में से नरकटियागंज, रीगा, बेनीपट्टी, अररिया, बहादुरगंज, किशनगंज, कसबा, कदवा, मनिहारी और कोढ़ा है. पिछले विधानसभा चुनाव से इस बार का समीकरण अलग है क्योंकि जदयू गठबंधन से बाहर है. कई अन्य दल इस बार कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. 2015 के चुनाव में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 64% था. कांग्रेस कुल 41 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें 27 सीटों पर जीत दर्ज की थी. पिछली बार जीती हुई 5 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों की टक्कर भाजपा से है. 1 सीट पर हम पार्टी और 1 पर वीआईपी के उम्मीदवार सामने हैं. लेकिन शेष 5 सीटों पर पिछले चुनाव के दोस्त जदयू के उम्मीदवार से कांग्रेस के वर्तमान विधायक की टक्कर है.