पटनाः लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन रविवार काे व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. कल साेमवार 31 अक्टूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. सीएम नीतीश कुमार ने अपने आवास पर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दीघा के मीनार घाट पर अर्घ्य (Tejashwi Yadav offered Arghya) दिया. राबड़ी आवास पर इस बार छठ पर्व नहीं हो रहा है. लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव छठ मनाने पैतृक गांव फुलवरिया गये हैं.
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सरकार की तरफ से खास व्यवस्थाः अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए थोड़ी संख्या में व्रती घाट पर पहुंचे थे. छठ व्रती खरना के बाद से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास पर हैं. पटना समेत बिहार के अन्य जिलों में छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया.पटना के गंगा घाटों पर व्रतियों के पहुंचने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा. दउरा लेकर छठ व्रती और उनके परिजन घाट पर छठ गीत गाते हुए पहुंच रहे थे. अर्घ्य को लेकर पटना समेत अन्य घाटों पर सरकार की तरफ से खास व्यवस्था की गई है.
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क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.