पटना/जमुईः राजधानी समेत कई जिलों में हरतालिका तीज और गणेश चतुर्थी एक साथ मनायी जा रही है. भादो मास के तृतिया शुक्ल पक्ष को मनाया जाने वाला तीज पर्व महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है. पटना के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही तीज व्रती महिलाएं पूजा पाठ के लिए काफी संख्या में पहुंच रही हैं. उधर जमुई में भी सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए प्राथना कर रही हैं.
मंदिर में महिलाओं की भीड़
पटना से सटे दानापुर स्थित राम जानकी मंदिर में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ है. मेंहदी लगे हाथों में पूजा की थाल और तीज का डलिया लिए पूरे सोलह श्रृंगार के साथ महिलाएं मंदिर पहुंच रही हैं. जहां वो पूरी निष्ठा के साथ भगवान शंकर और मां पार्वती की आराधना कर रही हैं. ये महिलाएं तीज व्रत का पाठ सुनकर अपना व्रत शुरू करेंगी. अपनी पति की लंबी आयु के लिए ये सभी महिलाएं आज अखण्ड व्रत पर रहेंगी.
पूरे साल रहता है इंतजार
व्रत करने वाली महिलाओं का कहना है कि पूरे साल इस दिन का इंतजार होता है. जब महिलाएं अपने पति के लिए पूजा पाठ करती हैं. तीज व्रतियों का कहना है कि ये काफी कड़ा पर्व होता है. एक दिन पूरा निर्जला व्रत रखने के बाद व्रती दूसरे दिन पारण करती हैं. उनका कहना है कि पति की लंबी आयु और उनकी खुशहाली के साथ-साथ घर की सुख शांति के लिए ये तीज व्रत रखा जाता है.
जमुई में भी तीज की धूम
उधर, जमुई में भी तीज हरतालिका, गणेश चतुर्थी पर्व एक साथ मनाया जा रहा है. धूमधाम से सुहागिन व्रती निर्जला रहकर शिव-पार्वती और गणेश की पूजा करने के साथ-साथ शाम में चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं. तीज व्रती विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर पूजा पाठ कर रही हैं. इस दौरान मंदिरों और घरों में पत्नियां अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना कर रही हैं. 23 वर्षों के बाद पहली बार ये स्थिति उत्पन्न हो गई थी कि कुछ पंचाग एक सितंबर तो कुछ महत्वपूर्ण पंचाग 2 सितंबर को तीज व्रत बता रहे थे. लेकिन क्षेत्र के पंचाग के अनुसार आज महिलाएं तीज व्रत की शुरुआत कर चुकी हैं.
अविवाहित युवतियों भी कर रही तीज
गौरतलब है कि पति की लंबी आयु के लिए सुहागन स्त्रियां और मन चाहा वर पाने के लिए अविवाहित युवतियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं. जिस तरह उत्तरप्रदेश, पंजाब और दिल्ली में करवा चौथ मनाया जाता है. उसी तरह बिहार में हरतालिका तीज व्रत किया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की कथा सुनी जाती है.
माता पार्वती ने किया था कठोर तप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव जी ने माता पार्वती को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था. भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तप किया. माता पार्वती ने हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतिया के दिन माता पार्वती ने रेत के शिवलिंग की स्थापना की और निर्जला उपवास रखते हुए पूजा की. उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और माता पार्वती को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. तब से लेकर आजतक महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और मनचाहा वर पाने के लिए ये कठोर व्रत रखती हैं.