पटना: राजधानी स्थिति शिक्षा विभाग के कार्यालय के सामने शिक्षकों ने ईपीएफ में गलत जानकारी भरे जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. शिक्षा विभाग पर मनमानी का आरोप लगाते हुए शिक्षकों ने ईपीएफ कमिश्नर और शिक्षा विभाग से ईपीएफ एक्ट का पूरी तरह से पालन करवाने की मांग की. शिक्षकों का आरोप है कि सभी शिक्षकों से ईपीएफ के फॉर्म पर नियुक्ति तिथि 1 सितंबर 2020 और वेतन 15 हजार रुपये भरवाया जा रहा है.
शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल ने ईपीएफ कमिश्नर समेत सभी संबंधित अधिकारियों को अपना एक मांग पत्र सौंपा है. जिसमें उन्होंने बताया कि बिहार के पंचायती राज और नगर निकायों में काम कर रहे शिक्षक और पुस्तकालय अध्यक्षों को ईपीएफ स्कीम से लाभान्वित किया जाना है. लेकिन इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी पटना हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना और ईपीएफ एक्ट का उल्लंघन कर रहे हैं. वो मनमाने तरीके से शिक्षकों से गलत एंट्री फॉर्म भरवा रहे हैं.
इस मामले को लेकर शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर, आशीष सिंह और डॉ. अनिल कुमार पांडे के नेतृत्व में शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों की शिष्टमंडल ने कर्मचारी भविष्य संगठन के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपा. इस दौरान उन्हें 17 सितंबर 2019 को पटना हाईकोर्ट की ओर से दिए गए आदेश की याद दिलाई. जिसमें ईपीएफ एक्ट का कड़ाई से पालन करवाते हुए सभी संबंधित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्षों को लाभ दिलाने का निर्देश दिया गया था.
'शिक्षा विभाग का भेदभाव पूर्ण रवैया'
शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर ने बताया बिहार के सभी जिलों में जिला शिक्षा पदाधिकारी लगातार लिखित और मौखिक आदेश देकर ना सिर्फ ईपीएफ एक्ट का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि पटना हाई कोर्ट के आदेश का भी अवहेलना कर विद्यालय प्रधानों और शिक्षकों को गलत सूचना भरने के लिए मजबूर कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले दिनों माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने एक निर्देश जारी किया जिसमें यह कहा गया है कि 31 अगस्त तक नियुक्त सभी शिक्षकों को अपनी नियुक्ति तिथि के कॉलम में 1 सितंबर 2020 भरना है. जबकि भविष्य में नियुक्त शिक्षक अपनी वास्तविक नियुक्ति तिथि भरेंगे. जो एक ही संवर्ग के शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग का भेदभाव पूर्ण रवैया है.
एक ही वेतन और डेट भरवाना गलत
सिद्धार्थ ने बताया कि साल 2006 से अब तक नियुक्त हुए शिक्षकों की नियुक्ति तिथि अलग अलग है और उनका वेतन भी अलग-अलग हैं. ऐसे में सभी की एक ही नियुक्ति तिथि और एक ही वेतन का भरना और भरवाना यह अन्याय पूर्ण और गैरकानूनी है.
ईपीएफ का लाभ देने का आदेश
बता दें कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने ईपीएफ एक्ट 1952 के तहत पंचायती राज और नगर निकायों में काम कर रहे शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्षों को लाभ देने का फैसला लिया है. इससे पहले, पिछले साल पटना हाईकोर्ट ने शिक्षकों की याचिका (CWJC-19106/2019) पर सुनवाई करते हुए क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त को पंचायती राज और नगर निकायों के कार्यरत शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्षों को ईपीएफ एक्ट का कड़ाई से पालन करते हुए 60 दिनों के अंदर ईपीएफ का लाभ देने का आदेश दिया था.