पटना: बिहार में करीब 94 हजार प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. चुनाव से पहले सरकार ने बड़े इंतजाम के साथ घोषणा की थी कि बहाली होगी. सबसे आवेदन लिए गए और दिसंबर तक आश्वासन दिया गया कि बहाली होगी. वहीं, अब अचानक बहाली की प्रक्रिया को ही रोक दिया गया. इसको लेकर शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं और विपक्ष भी नीतीश सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है.
सरकार ने दिया है धोखा
शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार ने हमें धोखा दिया है. हजारों की संख्या में पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर कड़ाके की ठंड में आंदोलन कर रहे शिक्षक अभ्यर्थी परेशान और गुस्से में हैं. उनका कहना है कि सरकार ने चुनावी सपना दिखाया, बहाली के नाम पर सरकार ने वोट लिया और अब धोखा दे रही है.
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'वोट लेने के लिए हमसे लिया आवेदन'
अभ्यर्थियों का दावा है कि सरकार ने चुनाव से पहले वोट लेने के लिए हमसे आवेदन लिया और अब बहाली से हाथ पीछे खींच लिया है. यही वजह है कि उन्हें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा है. मंगलवार को शिक्षक अभ्यर्थियों के आंदोलन के दूसरे दिन पुलिस ने गर्दनीबाग में लाठीचार्ज किया. शिक्षक नेता संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार की मंशा ही नहीं है नहीं तो वो काउंसलिंग का डेट कब का जारी हो जाना चाहिए था.
बहाली की प्रक्रिया पूरा करने की अपील
राष्ट्रीय जनता दल के प्रधान महासचिव और पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि जब चुनाव खत्म हो गया तो सरकार को चिंता किस बात की है. चुनाव से पहले वोट चाहिए था इसलिए बहाली की घोषणा कर दी और अब जब सरकार बन गई है. फिर बहाली क्यों करना. हालांकि, आलोक कुमार मेहता ने बेरोजगारों के हित में सरकार से तुरंत बहाली की प्रक्रिया पूरा करने की अपील की है.
94 हजार पदों पर शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया
बता दें कि बिहार में करीब 94 हजार पदों पर प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन के प्रक्रिया जुलाई 2019 में शुरू हुई थी. हालांकि इसको लेकर दिसंबर 2020 में पटना हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद सरकार को नियोजन प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने की बात कही गई थी लेकिन इसके बाद भी सरकार ने काउंसलिंग की तिथि अब तक जारी नहीं की है.