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Bihar Teacher Recruitment : डोमिसाइल लागू करने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम.. अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री को लिया आड़े हाथ

शिक्षक अभ्यर्थियों ने डोमिसाइल नीति लागू करने के लिए सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. साथ ही शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से माफी की मांग की है. अभ्यर्थियों ने कहा कि शिक्षा मंत्री से शिक्षा विभाग छीनकर उन्हें पशुपालन विभाग दे देना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jun 28, 2023, 4:38 PM IST

शिक्षक अभ्यर्थियों का बयान

पटना: बिहार सरकार ने शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति को खत्म कर दिया है. इससे शिक्षक अभ्यर्थी काफी आक्रोशित हैं और अभ्यर्थियों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि 72 घंटे के अंदर शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति लागू की जाए. अन्यथा प्रदेश के 10 लाख से अधिक शिक्षक अभ्यर्थी सड़क पर उतर कर सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा देंगे. शिक्षक अभ्यर्थी शिक्षा मंत्री के बयान से भी काफी नाराज हैं.

ये भी पढ़ें : Bihar Teacher Recruitment: क्या है डोमिसाइल नीति?.. शिक्षक संघ के नेता आखिर क्यों कर रहे हैं भर्ती का विरोध

'चंद्रशेखर का बयान बिहारी प्रतिभा का अपमान' : चंद्रशेखर ने बयान दिया है कि बिहार में मैथ और साइंस के योग्य शिक्षक अभ्यर्थी नहीं हैं. इस वजह से पूरे देश से आवेदन आमंत्रित करना पड़ा है. शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षा मंत्री ने ऐसा बयान देकर बिहार की प्रतिभा का अपमान किया है. बिहार चाणक्य, आर्यभट्ट, वशिष्ठ नारायण सिंह, आनंद कुमार, केसी सिन्हा जैसे शिक्षाविदों की धरती रही है. दिल्ली के मुखर्जी नगर और कोटा में 90% शिक्षक बिहारी होते हैं. यह शिक्षा मंत्री को पता होना चाहिए.

सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम : एसटीइटी शिक्षक अभ्यर्थी अभिषेक कुमार झा ने कहा कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चेतावनी देते हुए कहना चाहेंगे कि सरकार को शिक्षक अभ्यर्थी 72 घंटे का अल्टीमेटम दे रहे हैं और इस 72 घंटे के अंदर शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति को लागू किया जाए. बिहार में कोई उद्योग धंधा नहीं है और यहां पब्लिक सेक्टर में ही रोजगार का एकमात्र ऑप्शन बचता है, वह भी छीनने की कोशिश की जा रही है. शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति खत्म किए जाने के फैसले का सभी शिक्षक अभ्यर्थी कड़ा विरोध करेंगे.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चेतावनी देते हुए कहना चाहेंगे कि सरकार को शिक्षक अभ्यर्थी 72 घंटे का अल्टीमेटम दे रहे हैं और इस 72 घंटे के अंदर शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति को लागू किया जाए. बिहार में कोई उद्योग धंधा नहीं है और यहां पब्लिक सेक्टर में ही रोजगार का एकमात्र ऑप्शन बचता है, वह भी छीनने की कोशिश की जा रही है" -अभिषेक कुमार झा, शिक्षक अभ्यर्थी

'चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री के लिए अयोग्य' : अभिषेक कुमार ने कहा कि शिक्षा मंत्री बिहार में योग्य शिक्षक अभ्यर्थियों की कमी बता रहे हैं. इसलिए क्योंकि उनका दिमाग खराब हो गया है और वह खुद अयोग्य हो गए हैं. बिहार वह भूमि है जहां चाणक्य और आर्यभट्ट जैसे विद्वान पैदा लिए, हर साल बिहार से ही सबसे अधिक आईएएस आईपीएस बनते हैं. बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय रहा है जो पूरे विश्व को ज्ञान देता था. शिक्षा मंत्री ने बयान देकर बिहार की भूमि को अपमानित किया है. चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री बनने के लायक नहीं है और इनसे शिक्षा विभाग छीन कर पशुपालन विभाग का जिम्मा दे देना चाहिए.

नीतीश कुमार को नौवीं फेल में नजर आया टैलेंट : शिक्षक अभ्यर्थी रूपेश कुमार ने बताया कि शिक्षक बहाली से डोमिसाइल नीति हटाने का बहुत बड़ा नुकसान बिहार के अभ्यर्थियों को हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 9वीं फेल में टैलेंट नजर आ रहा है. उसे मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. इसलिए इस बहाली को पूरे देश के लिए ओपन कर दिया है. सरकार की मंशा है कि बाहरी लोगों को बिहार में शिक्षक बना दिया जाए और बिहार के युवाओं को मजदूर बनाकर बिहार को मजदूरों की फैक्ट्री बनाना चाहते हैं. यहां से दूसरे प्रदेशों के लिए मजदूर सप्लाई कराना चाहते हैं.

"शिक्षक बहाली से डोमिसाइल नीति हटाने का बहुत बड़ा नुकसान बिहार के अभ्यर्थियों को हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 9वीं फेल में टैलेंट नजर आ रहा है. उसे मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. इसलिए इस बहाली को पूरे देश के लिए ओपन कर दिया है "- रूपेश कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी

'माफी मांगे शिक्षा मंत्री' : शिक्षा मंत्री बिहार के अभ्यर्थियों को अयोग्य कहते हैं. पूरे देश और दुनिया में बिहारी छात्र अपनी प्रतिभा का डंका बजाते हैं और उन्हें अयोग्य घोषित करके बिहार के युवा अभ्यर्थियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं और इसके लिए शिक्षा मंत्री को माफी मांगनी होगी. अगर शिक्षा मंत्री कह रहे हैं बिहार में टैलेंट नहीं है तो उन्हें डूब मरना चाहिए कि आखिर 15 साल से यह चाचा भतीजा की पार्टी की जो सरकार है. वह बिहार में कर क्या रही थी.

'शिक्षा मंत्री दे रहे उटपटांग बयान' : शिक्षक अभ्यर्थी और छात्र नेता राहुल कुमार ने कहा कि "शिक्षा मंत्री को बिहार के बारे में पता नहीं है. तभी वह ऐसी उटपटांग बयान देते हैं कि अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं. इस वजह से पूरे देश के लिए वैकेंसी ओपन की गई. बिहार में हर विषय के लिए शिक्षक अभ्यर्थी वैकेंसी से अधिक संख्या में हैं". बिहार ज्ञान की भूमि रही है और यहां से वशिष्ठ बाबू हुए हैं. आनंद कुमार हुए हैं. आर्यभट्ट हुए हैं. जिन्होंने गणित में दुनिया भर में डंका बजाया है.

डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग : राहुल ने कहा कि वह डोमिसाइल नीति हटाने का विरोध कर रहे हैं और इस बहाली को वह पूरा नहीं होने देंगे. जब तक कि फिर से इस बहाली में डोमिसाइल नीति को लागू नहीं किया जाता है. शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर आंदोलन करेंगे और सरकार की जो मनसा है. 2025 तक वैकेंसी को लटकाने की है, तो सरकार को भी सत्ता से हटा दिया जाएगा. शिक्षक अभ्यर्थी धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि जब से यह वैकेंसी आई है. इतनी बार संशोधन हो चुका है कि अभ्यर्थियों का कन्फ्यूजन बहुत ज्यादा बढ़ गया है.

क्या है डोमिसाइल नीति
क्या है डोमिसाइल नीति

'बिहार के छात्रों के साथ हो रहा अन्याय' : धर्मेंद्र ने कहा कि आए दिन वैकेंसी की नियमावली में बदलाव हो रहा है और पता नहीं वैकेंसी पूरी होने तक कितने बदलाव होंगे. इन बदलावों से परीक्षा के लिए तैयारी करने से मन भटकता है. नया बदलाव जो किया गया है, डोमिसाइल नीति समाप्त की गई है. यह प्रदेश के शिक्षक अभ्यर्थियों के खिलाफ है और उनके साथ अन्याय है. मध्य प्रदेश और दूसरे 14 प्रदेश अपने यहां डोमिसाइल नीति लागू किए हुए हैं. वहां बिहारी छात्रों को मौका नहीं मिलता है.

'युवाओं का भविष्य बर्बाद करने चाहती है सरकार' : जिन प्रदेशों में उद्योग का माहौल है. वहां भी डोमिसाइल नीति लागू है, लेकिन बिहार में उद्योग का कोई माहौल नहीं है. रोजगार का दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है. ऊपर से यहां के रोजगार से डोमिसाइल नीति हटाकर सरकार देश के युवाओं को बेरोजगार रखकर उनका भविष्य बर्बाद करना चाहती है. सरकार 72 घंटे के अंदर डोमिसाइल नीति को पुनः लागू करें नहीं तो शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे और सरकार पर संकट खड़ा कर देंगे.

"आए दिन वैकेंसी की नियमावली में बदलाव हो रहा है और पता नहीं वैकेंसी पूरी होने तक कितने बदलाव होंगे. इन बदलावों से परीक्षा के लिए तैयारी करने से मन भटकता है. नया बदलाव जो किया गया है, डोमिसाइल नीति समाप्त की गई है. यह प्रदेश के शिक्षक अभ्यर्थियों के खिलाफ है"-धर्मेंद्र कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी

शिक्षक अभ्यर्थियों का बयान

पटना: बिहार सरकार ने शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति को खत्म कर दिया है. इससे शिक्षक अभ्यर्थी काफी आक्रोशित हैं और अभ्यर्थियों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि 72 घंटे के अंदर शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति लागू की जाए. अन्यथा प्रदेश के 10 लाख से अधिक शिक्षक अभ्यर्थी सड़क पर उतर कर सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा देंगे. शिक्षक अभ्यर्थी शिक्षा मंत्री के बयान से भी काफी नाराज हैं.

ये भी पढ़ें : Bihar Teacher Recruitment: क्या है डोमिसाइल नीति?.. शिक्षक संघ के नेता आखिर क्यों कर रहे हैं भर्ती का विरोध

'चंद्रशेखर का बयान बिहारी प्रतिभा का अपमान' : चंद्रशेखर ने बयान दिया है कि बिहार में मैथ और साइंस के योग्य शिक्षक अभ्यर्थी नहीं हैं. इस वजह से पूरे देश से आवेदन आमंत्रित करना पड़ा है. शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षा मंत्री ने ऐसा बयान देकर बिहार की प्रतिभा का अपमान किया है. बिहार चाणक्य, आर्यभट्ट, वशिष्ठ नारायण सिंह, आनंद कुमार, केसी सिन्हा जैसे शिक्षाविदों की धरती रही है. दिल्ली के मुखर्जी नगर और कोटा में 90% शिक्षक बिहारी होते हैं. यह शिक्षा मंत्री को पता होना चाहिए.

सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम : एसटीइटी शिक्षक अभ्यर्थी अभिषेक कुमार झा ने कहा कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चेतावनी देते हुए कहना चाहेंगे कि सरकार को शिक्षक अभ्यर्थी 72 घंटे का अल्टीमेटम दे रहे हैं और इस 72 घंटे के अंदर शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति को लागू किया जाए. बिहार में कोई उद्योग धंधा नहीं है और यहां पब्लिक सेक्टर में ही रोजगार का एकमात्र ऑप्शन बचता है, वह भी छीनने की कोशिश की जा रही है. शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति खत्म किए जाने के फैसले का सभी शिक्षक अभ्यर्थी कड़ा विरोध करेंगे.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चेतावनी देते हुए कहना चाहेंगे कि सरकार को शिक्षक अभ्यर्थी 72 घंटे का अल्टीमेटम दे रहे हैं और इस 72 घंटे के अंदर शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति को लागू किया जाए. बिहार में कोई उद्योग धंधा नहीं है और यहां पब्लिक सेक्टर में ही रोजगार का एकमात्र ऑप्शन बचता है, वह भी छीनने की कोशिश की जा रही है" -अभिषेक कुमार झा, शिक्षक अभ्यर्थी

'चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री के लिए अयोग्य' : अभिषेक कुमार ने कहा कि शिक्षा मंत्री बिहार में योग्य शिक्षक अभ्यर्थियों की कमी बता रहे हैं. इसलिए क्योंकि उनका दिमाग खराब हो गया है और वह खुद अयोग्य हो गए हैं. बिहार वह भूमि है जहां चाणक्य और आर्यभट्ट जैसे विद्वान पैदा लिए, हर साल बिहार से ही सबसे अधिक आईएएस आईपीएस बनते हैं. बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय रहा है जो पूरे विश्व को ज्ञान देता था. शिक्षा मंत्री ने बयान देकर बिहार की भूमि को अपमानित किया है. चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री बनने के लायक नहीं है और इनसे शिक्षा विभाग छीन कर पशुपालन विभाग का जिम्मा दे देना चाहिए.

नीतीश कुमार को नौवीं फेल में नजर आया टैलेंट : शिक्षक अभ्यर्थी रूपेश कुमार ने बताया कि शिक्षक बहाली से डोमिसाइल नीति हटाने का बहुत बड़ा नुकसान बिहार के अभ्यर्थियों को हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 9वीं फेल में टैलेंट नजर आ रहा है. उसे मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. इसलिए इस बहाली को पूरे देश के लिए ओपन कर दिया है. सरकार की मंशा है कि बाहरी लोगों को बिहार में शिक्षक बना दिया जाए और बिहार के युवाओं को मजदूर बनाकर बिहार को मजदूरों की फैक्ट्री बनाना चाहते हैं. यहां से दूसरे प्रदेशों के लिए मजदूर सप्लाई कराना चाहते हैं.

"शिक्षक बहाली से डोमिसाइल नीति हटाने का बहुत बड़ा नुकसान बिहार के अभ्यर्थियों को हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 9वीं फेल में टैलेंट नजर आ रहा है. उसे मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. इसलिए इस बहाली को पूरे देश के लिए ओपन कर दिया है "- रूपेश कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी

'माफी मांगे शिक्षा मंत्री' : शिक्षा मंत्री बिहार के अभ्यर्थियों को अयोग्य कहते हैं. पूरे देश और दुनिया में बिहारी छात्र अपनी प्रतिभा का डंका बजाते हैं और उन्हें अयोग्य घोषित करके बिहार के युवा अभ्यर्थियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं और इसके लिए शिक्षा मंत्री को माफी मांगनी होगी. अगर शिक्षा मंत्री कह रहे हैं बिहार में टैलेंट नहीं है तो उन्हें डूब मरना चाहिए कि आखिर 15 साल से यह चाचा भतीजा की पार्टी की जो सरकार है. वह बिहार में कर क्या रही थी.

'शिक्षा मंत्री दे रहे उटपटांग बयान' : शिक्षक अभ्यर्थी और छात्र नेता राहुल कुमार ने कहा कि "शिक्षा मंत्री को बिहार के बारे में पता नहीं है. तभी वह ऐसी उटपटांग बयान देते हैं कि अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं. इस वजह से पूरे देश के लिए वैकेंसी ओपन की गई. बिहार में हर विषय के लिए शिक्षक अभ्यर्थी वैकेंसी से अधिक संख्या में हैं". बिहार ज्ञान की भूमि रही है और यहां से वशिष्ठ बाबू हुए हैं. आनंद कुमार हुए हैं. आर्यभट्ट हुए हैं. जिन्होंने गणित में दुनिया भर में डंका बजाया है.

डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग : राहुल ने कहा कि वह डोमिसाइल नीति हटाने का विरोध कर रहे हैं और इस बहाली को वह पूरा नहीं होने देंगे. जब तक कि फिर से इस बहाली में डोमिसाइल नीति को लागू नहीं किया जाता है. शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर आंदोलन करेंगे और सरकार की जो मनसा है. 2025 तक वैकेंसी को लटकाने की है, तो सरकार को भी सत्ता से हटा दिया जाएगा. शिक्षक अभ्यर्थी धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि जब से यह वैकेंसी आई है. इतनी बार संशोधन हो चुका है कि अभ्यर्थियों का कन्फ्यूजन बहुत ज्यादा बढ़ गया है.

क्या है डोमिसाइल नीति
क्या है डोमिसाइल नीति

'बिहार के छात्रों के साथ हो रहा अन्याय' : धर्मेंद्र ने कहा कि आए दिन वैकेंसी की नियमावली में बदलाव हो रहा है और पता नहीं वैकेंसी पूरी होने तक कितने बदलाव होंगे. इन बदलावों से परीक्षा के लिए तैयारी करने से मन भटकता है. नया बदलाव जो किया गया है, डोमिसाइल नीति समाप्त की गई है. यह प्रदेश के शिक्षक अभ्यर्थियों के खिलाफ है और उनके साथ अन्याय है. मध्य प्रदेश और दूसरे 14 प्रदेश अपने यहां डोमिसाइल नीति लागू किए हुए हैं. वहां बिहारी छात्रों को मौका नहीं मिलता है.

'युवाओं का भविष्य बर्बाद करने चाहती है सरकार' : जिन प्रदेशों में उद्योग का माहौल है. वहां भी डोमिसाइल नीति लागू है, लेकिन बिहार में उद्योग का कोई माहौल नहीं है. रोजगार का दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है. ऊपर से यहां के रोजगार से डोमिसाइल नीति हटाकर सरकार देश के युवाओं को बेरोजगार रखकर उनका भविष्य बर्बाद करना चाहती है. सरकार 72 घंटे के अंदर डोमिसाइल नीति को पुनः लागू करें नहीं तो शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे और सरकार पर संकट खड़ा कर देंगे.

"आए दिन वैकेंसी की नियमावली में बदलाव हो रहा है और पता नहीं वैकेंसी पूरी होने तक कितने बदलाव होंगे. इन बदलावों से परीक्षा के लिए तैयारी करने से मन भटकता है. नया बदलाव जो किया गया है, डोमिसाइल नीति समाप्त की गई है. यह प्रदेश के शिक्षक अभ्यर्थियों के खिलाफ है"-धर्मेंद्र कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी

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