पटना: कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona Virus) की आशंकाओं के बीच बिहार में स्कूलों को भी खोल दिया गया है. हालांकि सेरोलॉजिकल सर्वे (Serological Survey) की जो ताजा रिपोर्ट आई, उसके मुताबिक ज्यादातर बच्चों में एंटीबॉडी (Antibodies) पाई गई है, बावजूद इसके विशेषज्ञ ऐहतियात बरतने पर जोर दे रहे हैं.
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बिहार में कोरोना की दूसरी लहर का कहर खत्म हो चुका है और तीसरी लहर की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं. तमाम स्कूलों को खोल दिया गया है, लेकिन अभिभावकों में आशंका बरकरार है. बिहार में चौथा सीरो सर्वे 14 जून से छह जुलाई के बीच कराया गया. उसकी रिपोर्ट भी सामने आ गई है.
राज्य के छह जिलों अरवल, बेगूसराय, बक्सर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया में किए गए सर्वे से इस बात की पुष्टि हुई कि जिनकी उम्र 6 से 10 साल है, उनके अंदर बड़े बच्चों (10 से 17 साल) से कम एंटीबॉडी बनी है. जबकि अब तक यह माना जाता था कि कम उम्र के बच्चों में कोरोना से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता (Resistance Capacity) अधिक है.
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बिहार के छह जिलों में सेरोलॉजिकल सर्वे कराए गए थे. इनमें 6 से 17 साल के बच्चों को शामिल किया गया था. सभी छह जिलों में 6 से 10 साल के बच्चों के 245 सैंपल में 148 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. यानी 60.4% में एंटीबॉडी बनी. जबकि बड़ों बच्चों के 499 सैंपल में 317 पॉजिटिव मिली है. यानी 63.5% बड़े बच्चों में एंटीबॉडी बनी.वहीं, चौथे सीरो सर्वे के अनुसार बिहार के 75.9% लोगों में एंटीबॉडी बन चुकी है.
पटना के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. मृणाल का कहना है कि बड़े बच्चों के मुकाबले छोटे बच्चों में डीवीडी कम इसलिए पाई गई है, क्योंकि उनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है. हालांकि वे कहते हैं कि इससे डरने की जरूरत नहीं है. प्रोटोकॉल का पालन करके हम संक्रमण से बच सकते हैं. सभी लोग अगर जरूरी सावधानी बरतें तो ऐसी स्थिति में हम कोरोना की तीसरी लहर को टाल सकते हैं.