पटना: बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. स्थानीय निकाय की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए सभी प्रखंडों में 540 बूथों का गठन होगा. इस चुनाव में पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति के सदस्य, वार्ड सदस्य और जिला परिषद सदस्य भी वोटर होंगे. जानकारी के मुताबिक चुनाव में पंचायती राज संस्थाओं के 132000 मतदाता शामिल होंगे. पिछले चुनाव की बात करें तो वर्ष 2015 में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़े थे. उस समय जेडीयू और आरजेडी 10-10 सीटों पर जबकि कांग्रेस ने 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे.
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कांग्रेस ने पिछली बार पूर्णिया, पश्चिम चंपारण, समस्तीपुर और सहरसा सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. आरजेडी ने पिछली बार मुंगेर, मधुबनी, सारण, गोपालगंज, सिवान, वैशाली, सीतामढ़ी, दरभंगा, भोजपुर और औरंगाबाद सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें से आरजेडी को जिन 4 सीटों पर जीत मिली थी, वह हैं वैशाली, सीतामढ़ी, भोजपुर और मुंगेर. ऐसे में इस बार आरजेडी की नजर सीटिंग सीट के साथ-साथ अन्य सीटों पर भी है.
सुबोध कुमार, दिनेश प्रसाद सिंह, संजय प्रसाद ,राधाचरण शाह, राजेश राम, टुन्ना जी पांडे, बबलू गुप्ता, दिलीप जायसवाल, अशोक अग्रवाल, संतोष कुमार सिंह, सलमान रागीब, रीना यादव, मनोरमा देवी, सच्चिदानंद राय, राजन कुमार सिंह, नूतन सिंह, सुमन कुमार, रजनीश कुमार और आदित्य नारायण पांडे का कार्यकाल पिछले साल जुलाई महीने में ही समाप्त हो चुका है. इसके अलावे तीन ऐसे भी विधान पार्षद थे, जो अब विधायक हो चुके हैं. इनमें मनोज कुमार, रीतलाल यादव और दिलीप राय शामिल हैं. जबकि हरिनारायण चौधरी और सुनील सिंह का निधन हो चुका है.
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कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार दरभंगा, सीतामढ़ी, मुंगेर, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन इनमें से ज्यादातर सीटों पर आरजेडी ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. हालांकि औपचारिक ऐलान होना बाकी है. परिषद चुनाव के लिए अबतक आरजेडी और कांग्रेस में सीटों पर समझौता (Seat Sharing Between RJD and Congress) नहीं हो पाया है. ऐसे में महागठबंधन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौड़ कहते हैं कि हम दोनों में से कोई नहीं चाहेगा कि अलग-अलग चुनाव लड़ें, क्योंकि जब भी हम अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो इसका सीधा फायदा एनडीए को होता है.
"दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत चल रही है, जल्द ही सब कुछ साफ हो जाएगा. आरजेडी बिहार में बड़े भाई की भूमिका में है, जबकि कांग्रेस केंद्र में बड़े भाई की भूमिका में है लेकिन हम दोनों में से कोई नहीं चाहेगा कि हम अलग-अलग चुनाव लड़ें, क्योंकि जब भी हम अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो इसका सीधा फायदा बीजेपी और जेडीयू को होता है"- राजेश राठौड़, प्रवक्ता, बिहार कांग्रेस
उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने इस बारे में कहा कि हमने अपनी सीटों के बारे में आलाकमान को बता दिया है. हालांकि अब तक आरजेडी से इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई है. वहीं, आरजेडी के रुख में कांग्रेस को लेकर कोई बदलाव आता नहीं दिख रहा है. प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व इस बारे में आखिरी फैसला लेंगे लेकिन हमारा उद्देश्य यह है कि सभी 24 सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशियों की जीत हो.
"दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व इस बारे में आखिरी फैसला लेंगे लेकिन हमारा उद्देश्य यह है कि सभी 24 सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशियों की जीत हो. जहां तक कांग्रेस की बात है तो हमारी ओर से उनका पूरा सम्मान देने की कोशिश होती है. कांग्रेस को भी अपनी जिद छोड़कर बातचीत करनी चाहिए"- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
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इस बीच ईटीवी भारत को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक आरजेडी इस बार कांग्रेस को लेकर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है. लालू यादव और तेजस्वी यादव पिछले साल के उपचुनाव की तरह इस बार बिहार विधान परिषद चुनाव में भी कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के पास एक भी मजबूत उम्मीदवार नहीं होने के कारण इस बात की संभावना बेहद कम है कि आरजेडी और कांग्रेस में सीटों पर समझौता हो और आरजेडी इस बार कांग्रेस को कोई भी सीट दे. हालांकि आखिरी वक्त में एक या दो सीटों पर बात बन सकती है. इधर बांका सीट पर सीपीआई की ओर से संजय यादव की उम्मीदवारी महागठबंधन में तय मानी जा रही है.
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