पटना : बिहार में कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने अपने कुशल खेल प्रतिभा से कई मौकों पर अपने राज्य और देश का नाम रौशन किया है. ऐसी ही एथेलेटिक्स खिलाड़ी अंजू कुमारी हैं, जिन्होंने कई बार देश और अपने राज्य का गौरव बढ़ाया है. अंजू का चयन हाल ही में होने वाले एशियन मास्टर्स एथेलेटिक्स चैंपियन मीट 2023 में हुआ है. ये प्रतियोगिता पीलिपिन्स में होने वाली है. अंजू इससे बेहद उत्साहित हैं और अपने प्रदर्शन को एक बार फिर से दोहराने के लिए दीर्घ संकल्पित है. ईटीवी भारत से बात चीत के दौरान अंजू कुमारी ने बताया की वो मूल रूप से आरा जिला की रहने वाली हैं. पांचवी कक्षा से खेलना शुरू कर निरंतर आगे बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा की पहले गांव में ना ग्राउंड था, ना कोई ट्रैक. खेत में दौड़ कर धावक बनीं हैं.
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143 गोल्ड बटोर चुकी हैं अंजू : अंजू फिलहाल दानापुर रेल मंडल के पटना जंक्शन पर उपमुख्य टिकट निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं, जो अपने काम के साथ-साथ अपने एथेलेटिक्स प्रदर्शन में भी लगातार अव्वल रहती हैं. अंजू की सफलता पर एक नजर डालें तो अंजू ने स्कूल के समय से ही जिला स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. 1992 में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद 2003 में राष्ट्रीय स्तर के इंटर विश्वविद्यालय एथेलेटिक्स में तीन तीन स्वर्ण पदक जीते.अंजू अब तक 143 स्वर्ण पदक चुकी हैं.
![अब तक की उपलब्धियां.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18594899_anju-gfx.jpg)
शादी के 10 साल बाद चमका करियर : अंजू ने 2018 में बेंगलुरु में हुए मास्टर्स नेशनल एथलीट में तीन स्वर्ण और एक रजत पदक भी जीती थीं. उनकी सबसे बड़ी सफलता तब थी, जब अंजू ने 2019 में मलेशिया में हुए एशियन मास्टर्स एथलीट प्रतियोगिता में 3 स्वर्ण पदक जीत कर देश का नाम रौशन किया. वहीं 2020 में इम्फाल में हुए नेशनल एथलीट में भी चार स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं. अब अंजू का लक्ष्य है कि जल्द ही वो भारत का प्रतिनिधित्व करें और मेडल प्राप्त कर देश और बिहार का नाम रौशन कर सकें. अंजू अपनी सफलता के पीछे अपने पति को कोच मानती हैं. जिसने बखूबी अंजू का साथ दिया है और आज अंजू के बेहतर प्रदर्शन में उनके कोच पति रितेश यादव का बहुत बड़ा योगदान है.
खेतों की मेढ़ पर दौड़कर बनाया मुकाम: अंजू ने बताया की मूल रूप से बिहार के आरा की रहने वाली हैं. एक ऐसे गांव से निकली हैं जहां पर आज संसाधन उपलब्ध हो गया है. सरकार भी खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही है. पर उस जमाने में कुछ भी नहीं था. लेकिन अपने हौसले की बदौलत वो यहां तक पहुंच सकी हैं. अंजू का सपना है कि वो विश्व चैंपियन और ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व करें और अंजू एथलेटिक्स ओलम्पिक में सेकंड के कुछ ही हिस्सों से क्वालिफ़ाई करने से चूक गयी थीं. जिसका मलाल आज भी है. अंजू का कहना है कि शादी होने के बाद दस साल तक वो ट्रैक से दूर रहीं, लेकिन उनके ससुराल और खास कर पति के सहयोग से दोबारा ट्रैक पर लौटीं और फिर लगातार कई प्रतियोगिता में पदक जीतने का काम किया है, ये सिलसिला अब निरंतर आगे बढ़ाती रहेंगी.
पीटी उषा आदर्श : देश की मशहूर एथेलेटिक पीटी उषा को अंजू अपना आदर्श मानती हैं. उनके ही तरह गोल्डन गर्ल बनने का सपना रखती हैं. अंजू ने यह भी बताया कि उनको इतनी सफलता मिली है, लेकिन उनको और उनके जैसी कई प्रतिभाओं को बिहार सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है, जिससे कि वो आगे नहीं बढ़ पाती हैं. अंजू कुमारी को नीतीश सरकार से खासी नाराजगी है कि इतने पदक जीतने के बाद भी बिहार सरकार ने उनकी पूछ तक नहीं की और न ही उनको कभी मिलने की कोशिश की. उन्होंने कहा की मेरी नौकरी खेल कोटे से नहीं हुई है बल्कि एग्जाम पास कर नौकरी ली है. बरहाल अंजू इन सब बातों को पीछे छोड़कर अपने प्रदर्शन में जी जान से जुटी हैं और एक बार फिर से फिलीपींस में पदक जीतने को लेकर आश्वश्त हैं.