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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद बोबडे ने किया शताब्दी भवन का उद्घाटन, कहा- वाद-पूर्व मध्यस्थता जरूरी - Lack of pre-arbitration law in the country

सीजेआई ने पटना हाईकोर्ट के शताब्दी भवन का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि अदालतों से बोझ कम करना बेहद जरूरी है. एस.ए. बोबडे ने कहा कि वाद-पूर्व मध्यस्थता के जरिए विवादों के निपटारा होने से अदालतों का बोझ घटेगा. पढ़ें पूरी खबर...

पटना
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Published : Feb 27, 2021, 10:13 PM IST

पटना: देश के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने पटना उच्च न्यायालय के नये शताब्दी भवन का उद्घाटन किया. इस अवसर पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे.

यह भी पढ़ें: मुख्य सचिव दीपक कुमार का कार्यकाल महज कुछ घंटे बाकी, अभी नहीं हुई नए नामों की घोषणा

अदालतों से बोझ घटाने की अपील
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यायाधीश एस ए बोबडे ने 'वाद-पूर्व मध्यस्थता' के विकल्प के प्रति पक्षकारों को प्रोत्साहित कर अदालतों पर मुकदमों का बोझ घटाने की अपील की. उन्होंने कहा कि वाद-पूर्व मध्यस्थता, दीवानी और फौजदारी, दोनों ही मामलों में विवादों का समाधान करने का एक जरिया है.

पटना
पटना हाइ कोर्ट ने सीएम को भेंट की चित्र

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा , 'वाद अच्छी चीज है और वाद के लिए प्रावधान करना भी ठीक है. लेकिन वक्त आ गया है कि हम वाद-पूर्व मध्यस्थता का सहारा लें.' उन्होंने कहा कि वाद-पूर्व मध्यस्थता के जरिए विवादों का समाधान होने से पक्षकारों को कुछ अलग तरह का अनुभव होता है और इसके अलावा अदालतों पर मुकदमों का बोझ भी कम होता है.

वाद-पूर्व मध्यस्थता के लिए एक कानून का अभाव
सीजेआई ने कहा, 'मैं कानून मंत्री से इस बारे में चर्चा कर रहा था कि वाद-पूर्व मध्यस्थता के लिए बस एक कानून का अभाव है' उन्होंने कहा, 'अदालत के नये भवन की जरूरत पड़ने का यह मतलब है कि कानूनी साक्षरता में वृद्धि हुई है. जो जरूरती है और लोग कानून अपने हाथ में लेने के बजाय विवादों का समाधान कराने के लिए अदालतों का रुख कर रहे हैं.'

पटना
उद्घाटन करते सीजेआई

यह भी पढ़ें: पटना साहिब गुरुद्वारा में चीफ जस्टिस एस.ए बोबडे ने किए दर्शन, बोले- गौरवशाली महसूस कर रहा हूं

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को पहले संबोधित किया, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने अदालतों की जरूरतों को न्यायपालिका की ओर से समझने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, 'शक्तियों के पृथक्करण (कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच) का सिद्धांत का मतलब सरकार की विभिन्न शाखाओं के बीच बैर होना नहीं है और संविधान के बिल्कुल अनुरूप इस तरह के अनूठे एवं वास्तविक विचारों को सुनना बहुत ही सुखद अहसास कराने वाला है.'

पटना
फीता काटकर उद्धाटन करते सीजेआई

मैंने बिहार के कई न्यायाधीशों के साथ काम किया- चीफ जस्टीस
सीजेआई ने अदालतों के कामकाज में प्रौद्योगिकी की भूमिका का भी उल्लेख किया. हालांकि, उन्होंने अदालतों के डिजिटल माध्यम से कामकाज की नयी शैली कई वकीलों और वाद दायर करने वालों को रास नहीं आने पर खेद प्रकट किया. सीजेआई बोबडे ने बिहार के साथ अपने जुड़ाव का जिक्र करते हुए कहा, 'मैंने राज्य के कई न्यायाधीशों के साथ काम किया है, इसलिए यह मेरे लिए कोई नयी जगह नहीं है और मैं यहां आकर खुश हूं.' उन्होंने यहां वकालत करने वाले देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसी विभूतियों का भी जिक्र किया.

पटना: देश के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने पटना उच्च न्यायालय के नये शताब्दी भवन का उद्घाटन किया. इस अवसर पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे.

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अदालतों से बोझ घटाने की अपील
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यायाधीश एस ए बोबडे ने 'वाद-पूर्व मध्यस्थता' के विकल्प के प्रति पक्षकारों को प्रोत्साहित कर अदालतों पर मुकदमों का बोझ घटाने की अपील की. उन्होंने कहा कि वाद-पूर्व मध्यस्थता, दीवानी और फौजदारी, दोनों ही मामलों में विवादों का समाधान करने का एक जरिया है.

पटना
पटना हाइ कोर्ट ने सीएम को भेंट की चित्र

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा , 'वाद अच्छी चीज है और वाद के लिए प्रावधान करना भी ठीक है. लेकिन वक्त आ गया है कि हम वाद-पूर्व मध्यस्थता का सहारा लें.' उन्होंने कहा कि वाद-पूर्व मध्यस्थता के जरिए विवादों का समाधान होने से पक्षकारों को कुछ अलग तरह का अनुभव होता है और इसके अलावा अदालतों पर मुकदमों का बोझ भी कम होता है.

वाद-पूर्व मध्यस्थता के लिए एक कानून का अभाव
सीजेआई ने कहा, 'मैं कानून मंत्री से इस बारे में चर्चा कर रहा था कि वाद-पूर्व मध्यस्थता के लिए बस एक कानून का अभाव है' उन्होंने कहा, 'अदालत के नये भवन की जरूरत पड़ने का यह मतलब है कि कानूनी साक्षरता में वृद्धि हुई है. जो जरूरती है और लोग कानून अपने हाथ में लेने के बजाय विवादों का समाधान कराने के लिए अदालतों का रुख कर रहे हैं.'

पटना
उद्घाटन करते सीजेआई

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मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को पहले संबोधित किया, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने अदालतों की जरूरतों को न्यायपालिका की ओर से समझने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, 'शक्तियों के पृथक्करण (कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच) का सिद्धांत का मतलब सरकार की विभिन्न शाखाओं के बीच बैर होना नहीं है और संविधान के बिल्कुल अनुरूप इस तरह के अनूठे एवं वास्तविक विचारों को सुनना बहुत ही सुखद अहसास कराने वाला है.'

पटना
फीता काटकर उद्धाटन करते सीजेआई

मैंने बिहार के कई न्यायाधीशों के साथ काम किया- चीफ जस्टीस
सीजेआई ने अदालतों के कामकाज में प्रौद्योगिकी की भूमिका का भी उल्लेख किया. हालांकि, उन्होंने अदालतों के डिजिटल माध्यम से कामकाज की नयी शैली कई वकीलों और वाद दायर करने वालों को रास नहीं आने पर खेद प्रकट किया. सीजेआई बोबडे ने बिहार के साथ अपने जुड़ाव का जिक्र करते हुए कहा, 'मैंने राज्य के कई न्यायाधीशों के साथ काम किया है, इसलिए यह मेरे लिए कोई नयी जगह नहीं है और मैं यहां आकर खुश हूं.' उन्होंने यहां वकालत करने वाले देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसी विभूतियों का भी जिक्र किया.

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