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भूमि विवाद के मामलों में बिहार अव्वल, ठोस एक्शन प्लान के जरिए ही लग पाएगी रोक

राष्ट्रीय स्तर पर बिहार उन राज्यों में शुमार है, जहां भूमि विवाद (Land Dispute) के चलते सबसे ज्यादा आपराधिक घटनाएं होती हैं. इसके निपटारे के लिए सरकार ने प्रखंड स्तर तक जिम्मेदारी तय की है, बावजूद इसके मामलों में कमी नहीं आई है.

भूमि विवाद
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Published : Aug 29, 2021, 12:04 PM IST

पटना: बिहार में भूमि विवाद (Land Dispute) के चलते सबसे ज्यादा आपराधिक घटनाएं होती हैं. बिहार सरकार (Bihar Government) ने भूमि विवाद के निपटारे के लिए कई स्तर पर मेकैनिज्म भी तय किए हैं, बावजूद इसके भूमि विवाद के मामलों में कमी नहीं आई है. राष्ट्रीय स्तर पर भी बिहार भूमि विवाद के मामलों में टॉप पर है.

ये भी पढ़ें: भूमि विवाद से कैसे निपटें, जानिए विभागीय मंत्री रामसूरत राय ने क्या दी सलाह

बिहार में 60% अपराधिक मामले ऐसे होते हैं, जो भूमि विवाद की वजह से होते हैं राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के मुताबिक 2019 में 3707 घटना भूमि विवाद को लेकर हुई और कुल मिलाकर 5227 लोगों की जानें गईं. भूमि विवाद को कम करने के लिए सरकार ने राज्य स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है. ब्लॉक स्तर पर थानेदार और प्रखंड विकास पदाधिकारी को विवाद सुलझाने का जिम्मा सौंपा गया है. इसके अलावे जिला स्तर पर डीसीएलआर (DCLR) और जिलाधिकारी (DM) को भी भूमि विवाद सुलझाने के लिए निर्देशित किया गया है.

देखें रिपोर्ट

राज्य में भूमि विवाद कम से कम हो, इसके लिए सरकार ऐप के जरिए ऑनलाइन व्यवस्था करने जा रही है. सरकार के प्लान के मुताबिक अब ईटीएस मशीन (ETS Machine) के जरिए जमीन की मापी कराए जाने की योजना है.

दरअसल बिहार में लैंड रिफॉर्म (Land Reform) ठीक तरीके से नहीं हो पाया है. इसके अलावा राजस्व विभाग में कर्मचारियों का घोर अभाव भी है. औसतन हर जिले में एक या दो अमीन हैं, जिसके चलते जमीन की मापी समय पर नहीं हो पाती है और आपराधिक घटनाएं घट जाती हैं. हाल के दिनों में सरकार ने 534 अमीन की बहाली तो की, पर उन्हें अब तक प्रशिक्षित नहीं किया जा सका और अब सरकार मशीन से जमीन की मापी कराने की सोच रही है.

बिहार सरकार की ओर से पंचायत को हल्का घोषित किया गया था और सरकार के द्वारा हर पंचायत में एक हल्का कर्मचारी की नियुक्ति को लेकर पहल की गई थी. कुल 8400 हल्का कर्मचारी नियुक्त किए जाने थे, लेकिन अबतक हर पंचायत में हल्का कर्मचारी की नियुक्ति नहीं हो सकी है.

ये भी पढ़ें: पटना: जमीन विवाद में मारपीट के दौरान पूर्व DSP के बेटे ने मारी गोली

एमसेना इंस्टीट्यूट के प्राध्यापक डॉ. विद्यार्थी विकास (Dr. Vidyarthi Vikas) का मानना है कि सरकार को भूमि विवाद को कम करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है. अमीन और हल्का कर्मचारियों की नियुक्ति शीघ्र होनी चाहिए और जिन अधिकारियों की नियुक्ति होती है, उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. बिहार में अमीन तो नियुक्त कर दिए गए हैं, लेकिन ग्राउंड लेवल पर उनका प्रशिक्षण नहीं हो पाया है. विद्यार्थी विकास ने कहा कि कमिश्नरी स्तर पर अधिकारियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए.

वहीं, राज्य के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामसूरत राय (Land Reforms and Revenue Minister Ram Surat Rai) ने कहा है कि सभी लोग अगर जमाबंदी करा लेंगे तो भूमि विवाद अपने आप खत्म हो जाएगा. मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में हम मशीन के जरिए जमीन की मापी कराएंगे और तमाम कार्य ऑनलाइन किए जाएंगे.

पटना: बिहार में भूमि विवाद (Land Dispute) के चलते सबसे ज्यादा आपराधिक घटनाएं होती हैं. बिहार सरकार (Bihar Government) ने भूमि विवाद के निपटारे के लिए कई स्तर पर मेकैनिज्म भी तय किए हैं, बावजूद इसके भूमि विवाद के मामलों में कमी नहीं आई है. राष्ट्रीय स्तर पर भी बिहार भूमि विवाद के मामलों में टॉप पर है.

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बिहार में 60% अपराधिक मामले ऐसे होते हैं, जो भूमि विवाद की वजह से होते हैं राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के मुताबिक 2019 में 3707 घटना भूमि विवाद को लेकर हुई और कुल मिलाकर 5227 लोगों की जानें गईं. भूमि विवाद को कम करने के लिए सरकार ने राज्य स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है. ब्लॉक स्तर पर थानेदार और प्रखंड विकास पदाधिकारी को विवाद सुलझाने का जिम्मा सौंपा गया है. इसके अलावे जिला स्तर पर डीसीएलआर (DCLR) और जिलाधिकारी (DM) को भी भूमि विवाद सुलझाने के लिए निर्देशित किया गया है.

देखें रिपोर्ट

राज्य में भूमि विवाद कम से कम हो, इसके लिए सरकार ऐप के जरिए ऑनलाइन व्यवस्था करने जा रही है. सरकार के प्लान के मुताबिक अब ईटीएस मशीन (ETS Machine) के जरिए जमीन की मापी कराए जाने की योजना है.

दरअसल बिहार में लैंड रिफॉर्म (Land Reform) ठीक तरीके से नहीं हो पाया है. इसके अलावा राजस्व विभाग में कर्मचारियों का घोर अभाव भी है. औसतन हर जिले में एक या दो अमीन हैं, जिसके चलते जमीन की मापी समय पर नहीं हो पाती है और आपराधिक घटनाएं घट जाती हैं. हाल के दिनों में सरकार ने 534 अमीन की बहाली तो की, पर उन्हें अब तक प्रशिक्षित नहीं किया जा सका और अब सरकार मशीन से जमीन की मापी कराने की सोच रही है.

बिहार सरकार की ओर से पंचायत को हल्का घोषित किया गया था और सरकार के द्वारा हर पंचायत में एक हल्का कर्मचारी की नियुक्ति को लेकर पहल की गई थी. कुल 8400 हल्का कर्मचारी नियुक्त किए जाने थे, लेकिन अबतक हर पंचायत में हल्का कर्मचारी की नियुक्ति नहीं हो सकी है.

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एमसेना इंस्टीट्यूट के प्राध्यापक डॉ. विद्यार्थी विकास (Dr. Vidyarthi Vikas) का मानना है कि सरकार को भूमि विवाद को कम करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है. अमीन और हल्का कर्मचारियों की नियुक्ति शीघ्र होनी चाहिए और जिन अधिकारियों की नियुक्ति होती है, उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. बिहार में अमीन तो नियुक्त कर दिए गए हैं, लेकिन ग्राउंड लेवल पर उनका प्रशिक्षण नहीं हो पाया है. विद्यार्थी विकास ने कहा कि कमिश्नरी स्तर पर अधिकारियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए.

वहीं, राज्य के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामसूरत राय (Land Reforms and Revenue Minister Ram Surat Rai) ने कहा है कि सभी लोग अगर जमाबंदी करा लेंगे तो भूमि विवाद अपने आप खत्म हो जाएगा. मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में हम मशीन के जरिए जमीन की मापी कराएंगे और तमाम कार्य ऑनलाइन किए जाएंगे.

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