पटना: बिहार में नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 का पुरजोर विरोध हो रहा है. चाहे नियोजित शिक्षक हों या शिक्षक अभ्यर्थी, सभी इससे आक्रोशित हैं. एक ओर नियोजित शिक्षक इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में चले गए हैं. वहीं एसटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है. शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि जब उनकी परीक्षा ली गई थी. वह कंपटीशन लेवल की परीक्षा थी और सरकार ने उतना ही रिजल्ट जारी किया था, जितने विद्यालयों में सीटें रिक्त है.
ये भी पढ़ें: Bihar Shikshak Niyojan: 'राजनीतिक दलों ने सिर्फ अभ्यर्थियों को छला'.. शिक्षक अभ्यर्थियों का आरोप
दोबार मेरिट के लिए परीक्षा लेना जायज नहीं: अभ्यर्थियों का कहना है कि एक सीट पर दोबारा मेरिट के लिए परीक्षा लेना जायज नहीं है. इसके अलावा शिक्षक अभ्यर्थी शिक्षा मंत्री के इस बयान से भी काफी नाराज हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि शिक्षक अभ्यर्थी सिर्फ हंगामा करना चाहते हैं और बच्चों को पढ़ाने की इनकी मंशा नहीं है. एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थी संघ के अध्यक्ष अभिषेक कुमार झा ने कहा कि वह शिक्षक नियुक्ति की नई नियमावली के प्रावधानों के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में गए हैं. क्योंकि उनके अधिकारों का हनन हुआ है.
ढाई लाख अभ्यर्थियों में तीस हजार हुए थे उत्तीर्ण: अभिषेक झा ने कहा कि एसटीईटी 2019 प्रतियोगिता परीक्षा ली गई थी. तीन-तीन बार वह लोग एग्जाम दिए हैं और मेरिट तैयार हुआ है. लगभग ढाई लाख अभ्यर्थियों में 30675 उत्तीर्ण हुए, जिनकी लिस्ट जारी की गई. अब सरकार कह रही है कि बीपीएससी दोबारा से परीक्षा लेगी और मेरिट तैयार करेगी. सरकार सत्ता के नशे में है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अहंकार में घूम रहे हैं. ऐसे में वह उन्हें बता देना चाहते हैं कि उनके नशे से प्रदेश और देश नहीं चलता है. देश संविधान से चलता है और उन्हें विश्वास है कि कोर्ट से उन्हें न्याय मिलेगा.
"एसटीईटी 2019 प्रतियोगिता परीक्षा ली गई थी. तीन-तीन बार हमलोगों ने एग्जाम दिया है और मेरिट तैयार हुआ है. लगभग ढाई लाख अभ्यर्थियों में 30675 उत्तीर्ण हुए, जिनकी लिस्ट जारी की गई. अब सरकार कह रही है कि बीपीएससी दोबारा से परीक्षा लेगी और मेरिट तैयार करेगी. सरकार सत्ता के नशे में है. हमलोगों को न्याय मिले और बिहार को योग्य शिक्षक मिले इसी उम्मीद से वह सुप्रीम कोर्ट गए हुए हैं" - अभिषेक कुमार झा, अध्यक्ष, एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थी संघ
शिक्षा मंत्री का बयान अफसोसजनक: अभिषेक ने कहा कि उन लोगों को न्याय मिले और बिहार को योग्य शिक्षक मिले इसी उम्मीद से वह सुप्रीम कोर्ट गए हुए हैं. शिक्षक अभ्यर्थियों के नाराजगी पर पूछे गए सवाल पर शिक्षा मंत्री कहते हैं कि शिक्षक अभ्यर्थी शिक्षा परोसना नहीं चाहते हैं. यह पूरी तरह से अनुचित और शर्मनाक बात है. शिक्षक अभ्यर्थी न्याय मांग रहे हैं तो कह रहे हैं शिक्षा नहीं परोसना चाहते हैं और वह कारतूस लेकर घूमते हैं तो शिक्षा पहुंचना चाहते हैं. कारतूस ढोने वाला व्यक्ति शिक्षा मंत्री बन गया है. यह गलत बात है.
कोर्ट में देना होगा जवाब: शिक्षा मंत्री शिक्षक अभ्यर्थियों पर सवाल खड़ा कर रहें, तो उन्हें कोर्ट में आना होगा और जवाब देना होगा. क्योंकि एसटीइटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी मेरिट में आए. तब उन्हें एसटीइटी उत्तीर्ण घोषित किया गया है. आज जब आप शिक्षक अभ्यर्थियों से उनकी एलिजिबिलिटी की डिमांड कर रहे हैं तो यह जवाब आपको कोर्ट में देना होगा. बीते 4 वर्षों में चाहे आनंद किशोर हों, गिरवर दयाल हों, आरके महाजन हो अथवा पूर्व शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी हो, इन 4 वर्षों में सभी के हजारों वीडियो मीडिया में उपलब्ध है जिसमें उन्होंने कहा है कि एसटीइटी 2019 कंपटीशन लेवल की परीक्षा है और जितनी सीटें वर्णित है उतना ही रिजल्ट जारी किया गया है.
पात्रता परीक्षा से सीटें वर्णित: अभिषेक ने कहा कि BR 373/2019 एक विज्ञापन निकला, जिसमें सीटें वर्णित थी. आज तक पूरे भारतवर्ष के इतिहास में कोई ऐसी पात्रता परीक्षा नहीं है, जिसमें पूर्व से सीटें वर्णित है. लेकिन आज सरकार को गर्मी है और नशा है कि हम सरकार हैं. हम जो फैसला लेंगे वह लोगों को मानना ही होगा, लेकिन सरकार सुन ले की कोर्ट भी है और कोर्ट में वह लोग आए हुए हैं जहां सरकार को जवाब देना होगा.
100 लोग कर रहे नियमावली का विरोध: अभिषेक ने कहा कि सरकार कोई नियम लाती है तो अगर अच्छा होगा तो अधिक से अधिक 10% लोग विरोध करेंगे. लेकिन उस नियम और नियमावली का यदि सभी विरोध करें तो यह जरूर सोचना चाहिए कि नियमावली में जरूर कहीं ना कहीं कमी है. चाहे शिक्षक हो या शिक्षक अभ्यर्थी हों, सभी इस नियमावली से नाराज हैं. नियमावली अच्छी होगी तो 100% लोग विरोध में नहीं रहेंगे और यदि 100% लोग विरोध में है तो जरूर नियमावली में कमी है. सरकार को यह समझना होगा.
'चुनाव में तेजस्वी की नशा टूटेगा': युवाओं ने तेजस्वी यादव को जिताया था कि वह युवाओं की बातें करते थे और पहली कलम से 10 लाख नौकरी देने की बातें करते थे. सरकार बनने के बाद पहले बोले थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए और उन लोगों ने नौकरी के लिए कलम का बंडल खरीद कर तेजस्वी यादव को दे दिया, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने नौकरी नहीं दी. तेजस्वी यादव आज जिस सत्ता के नशे में है वह जल्द टूटेगा. क्योंकि 2024 और 2025 में प्रदेश की युवा जनता उनकी गुणवत्ता परीक्षा में फेल कर देगी.
'नशा खाकर बनाई गई है नियमावली' :अभिषेक ने कहा कि यह नियमावली इस प्रकार लाई गई है कि, जैसे लगता है कि किसी व्यक्ति ने नशा करके नियमावली तैयार किया है. नियोजित शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए अलग नियमावली नहीं है, बल्कि उन्हें एक ही सीट पर फाइट करना है. इसमें यदि नियोजित शिक्षक उत्तीर्ण हो जाते हैं तो पहले जहां पढ़ा रहे हैं. वह सीट ऑटोमेटिक वैकेंट हो जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस नियमावली को स्वीकृति दी है तो ऐसा लग रहा है कि बुढ़ापे में उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है और उनके अधिकारी भी कुछ नशा कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री को पलटने की आदत: एसटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में शराबबंदी है तो हो सकता है. कुछ दूसरा नशा कर रहे हैं. होश में कोई मैट्रिक पास व्यक्ति भी ऐसी नियमावली नहीं ला सकता है. जिसमें नियोजित शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थियों को एक ही सीट पर फाइट करा दे. ऐसी घटिया शिक्षा नीति देश में कहीं नहीं है. मुख्यमंत्री को पलटने की आदत हो गई है. सुबह कुछ कहते हैं. रात में कुछ और कहते हैं. सुबह में कहते हैं कि शिक्षक अभ्यर्थियों को आकर्षक वेतनमान दिया जाएगा और रात में पता चलता है कि आकर्षक वेतनमान ₹25000 है.
परीक्षा पासकर 28 से 25 हजार हो जाएगा वेतन: अभिषेक ने कहा कि जो नियोजित शिक्षक वर्षों से पढ़ाकर ₹28000 पर पहुंच गए हैं. वह यह परीक्षा क्वालीफाई कर फिर से ₹25000 के वेतन पर आ जाएंगे. शिक्षक अभ्यर्थी और शिक्षक 2024 और 2025 के चुनाव में इस सरकार को बता देंगे कि शिक्षक अभ्यर्थियों की ताकत क्या है और इस प्रकार का क्रूर मजाक उनको महंगा पड़ेगा. शिक्षक अभ्यर्थी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकेंगे और शिक्षक अभ्यर्थियों के हित में जो बातें करेगा उसे सत्ता में बैठा देंगे.
सरकार की मंशा नियुक्ति पत्र देने की नहीं: शिक्षक अभ्यर्थी रूपेश कुमार ने बताया कि वह जब 2019 का एसटीईटी परीक्षा दिये तभी से सरकार कहती रही है कि जल्द उन लोगों की बहाली की जाएगी. जब बहाली का समय आया तो फिर से मेरिट के लिए परीक्षा देने की बात कही जा रही है. वह बचपन में सुनते थे लैंड फॉर जॉब का मामला और आज यह होता देख रहे हैं. क्योंकि सरकार की मंशा ही नहीं है कि शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जाए. सरकार चाहती है कि कोई उन्हें जमीन उपलब्ध कराए, कोई उन्हें पैसा उपलब्ध कराए. जिसके बदले में वह नौकरी दें.
'चुनावी खर्च निकालने के लाई गई है नियमावली' : रूपेश ने कहा कि 4 साल से उन लोगों को कहा जा रहा था कि आप की नियुक्ति सुनिश्चित की जाएगी. तब तक थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए. थोड़ा-थोड़ा करते करते उन लोगों के 4 साल को सरकार खा गई. अब जब नियुक्ति करने की बारी आई तो पलट गए और कह रहे हैं बीपीएससी से परीक्षा लेंगे. बीपीएससी से भी परीक्षा लेकर मेरिट तैयार करेंगे और इसके पूर्व में वह लोग मेरिट में पहले से ही आ चुके हैं तो परीक्षा का कोई औचित्य ही नहीं बनता है. प्रदेश में चाचा भतीजा की सरकार चुनावी खर्च निकालने के लिए यह नियमावली लाई है.
"जब 2019 का एसटीईटी परीक्षा दिये तभी से सरकार कहती रही है कि जल्द उन लोगों की बहाली की जाएगी. जब बहाली का समय आया तो फिर से मेरिट के लिए परीक्षा देने की बात कही जा रही है. सरकार की मंशा ही नहीं है कि शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जाए. सरकार चाहती है कि कोई उन्हें जमीन उपलब्ध कराए, कोई उन्हें पैसा उपलब्ध कराए. जिसके बदले में वह नौकरी दें. प्रदेश में चाचा भतीजा की सरकार चुनावी खर्च निकालने के लिए यह नियमावली लाई है" -रूपेश कुमार, एसटीइटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी