पटना: बिहार में छठे चरण (6th Phase) के शिक्षक नियोजन (Teacher Recruitment) में नया शेड्यूल जारी होने के बाद भी बहाली पर आशंका के बादल मंडरा रहे हैं. मामला साल 2019 में 30 जून तक उपलब्ध रिक्तियों का का है, जिसे लेकर अभ्यर्थी (STET Candidates) सरकार से मांग कर रहे हैं. दूसरी तरफ सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है.
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छठे चरण के नियोजन शेड्यूल में बदलाव और नए सिरे से आवेदन को लेकर पटना हाईकोर्ट का एक आदेश है, जिसके तहत 30 जून 2019 तक उपलब्ध रिक्तियों को छठे चरण के नियोजन में शामिल करने का आदेश दिया गया था.
एक तरफ साल 2011 में एसटीईटी पास करने वाले अभ्यर्थी 30 जून 2019 तक उपलब्ध तमाम रिक्तियों को शामिल करने की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ शिक्षा विभाग सिर्फ सेवानिवृत्त और मृत शिक्षकों की वजह से खाली रिक्तियों को ही शामिल करने पर अड़ा है. शिक्षा विभाग ने तमाम जिलों से रिटायर और डेड टीचर्स की रिक्तियां मांगी है.
पटना हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला है. जब पटना हाईकोर्ट ने 30 जून 2019 तक उपलब्ध तमाम रिक्तियों को शामिल करने का आदेश दिया जिसके बाद शिक्षा विभाग 30 जून 2019 तक उत्क्रमित विद्यालयों की रिक्तियों को शामिल क्यों नहीं कर रहा है.
"शिक्षक अभ्यर्थी इसी बात की मांग कर रहे हैं कि 5000 से ज्यादा उत्क्रमित विद्यालय में हजारों की संख्या में रिक्तियां हैं, जो वर्ष 2019 के 30 जून तक उपलब्ध थीं. लेकिन, सरकार इन रिक्तियों को छठे चरण में शामिल नहीं कर रही है. वर्ष 2019 के फरवरी महीने में विधानसभा में एक सवाल के जवाब में तत्कालीन शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने स्वीकार किया था कि 5502 उत्क्रमित विद्यालयों में करीब 19,000 पद सृजन की कार्रवाई हो रही है."- धनंजय कुमार, एसटीईटी पास अभ्यर्थी, 2011
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ऐसे में एक बार फिर छठे चरण के माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया में बाधा आ सकती है. दरअसल, अब आगे के सातवें चरण में जब माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों का नियोजन होगा तो साल 2011 में एसटीईटी पास करने वाले ज्यादातर अभ्यर्थियों की अधिकतम उम्र सीमा खत्म हो चुकी होगी.
यही वजह है कि अभ्यर्थी चाहते हैं कि छठे चरण में ही शामिल करके वर्ष 2011 के एसटीईटी पास अभ्यर्थियों का नियोजन किया जाए.
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