पटना: देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Act) को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है. बिहार में भी उसका असर दिखने लगा है. विपक्षी दल लगातार जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध किया जा रहा है. जनसंख्या नियंत्रण कानून बने लेकिन जातीय जनगणना न हो, इसके पक्ष में कई बीजेपी नेता खुलकर बोलना शुरू कर दिए हैं. बीजेपी एमएलसी संजय पासवान और विधायक हरी भूषण ठाकुर ने अपने बयान दिए हैं.
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बिहार में एनडीए की सरकार जदयू, बीजेपी, हम और वीआईपी पार्टी मिलकर सरकार चला रही है. बिहार में भी जातीय जनगणना और जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सियासत शुरू है. विपक्ष छोड़ एनडीए सरकार (NDA Government) में शामिल चारों दलों के अलग-अलग सुर हैं. लेकिन बीजेपी का कहना है कि जातीय जनगणना नहीं होनी चाहिए. हालांकि उनका मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बनेगा तो देश का भला ही होगा.
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'दुनिया में सीमित साधन है. सीमित साधन में ही लोगों को जीना सीखना होगा. इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बहुत ही जरूरी है. इसका उदाहरण कोरोना महामारी के दौरान देखने को मिल गया है कि हम लोगों को कैसे सीमित संसाधनों में जिंदा रहना है. जदयू के नेता जो कुछ भी कह रहे है, उन्हें कहने दीजिए .लेकिन हमारा एजेंडा है जनसंख्या नियंत्रण कानून बने, हम उस पर ही काम कर रहे हैं. एनडीए में दो बड़े घटक दल हैं. जदयू और बीजेपी जदयू की राय हमें पसंद नहीं. उसी तरह बीजेपी की राय जदयू को भी पसंद नहीं है. इसलिए सहमति का अपना-अपना एजेंडा होता है'. -संजय पासवान, एमएलसी, बीजेपी
'जातीय जनगणना ठीक नहीं है. बीजेपी इसके पक्ष में नहीं है. हमारी पार्टी का शुरू से ही यह स्टैंड रहा है कि शुरू से जो जनगणना होती आई है, वही जनगणना होती रहे. जातीय जनगणना की मांग करने वाले नेताओं को आर्थिक रूप से पिछड़े, सामाजिक रूप से पिछड़े, धार्मिक रूप से पिछड़े, इस पर सभी राजनीतिक दलों को लड़ना चाहिए. जो भी नेता जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं, वे समाज को गुमराह करने का काम कर रहे हैं.' -हरी भूषण ठाकुर, विधायक, बीजेपी