पटना: बिहार में स्कूलों की छुट्टियों में की गई कटौती के फैसले पर विपक्ष लगातार हमलावार है और केके पाठक से इस्तीफे या तबादले की मांग कर रहा है. इसी कड़ी में राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने के के पाठक पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि वीसी का वेतन रोकने से लेकर स्कूलों में छुट्टियां रद करने तक केके पाठक के कई विवादास्पद आदेश सरकार को वापस लेने पड़े हैं. 2010 में इन्हें शिक्षा विभाग से हटना पड़ा था, ये किसी विभाग में 8-10 माह से ज्यादा टिक नहीं पाते हैं.
तबादले का आग्रह करें के के पाठक: मोदी ने कहा कि जब केके पाठक के आदेश बार-बार वापस लेने पड़े, तब उन्हें आत्म सम्मान की रक्षा के लिए स्वयं ही मुख्यमंत्री से किसी अन्य विभाग में तबादले का आग्रह करना चाहिए. राज्य सरकार एसीएस केके पाठक को हटाने में जितनी देर करेगी, उतनी फजीहत होगी और शिक्षा में सुधार के राजभवन के प्रयास में उतनी बाधाएं आती रहेंगी. उन्होंने कहा कि अब यदि सरकार की मंशा शिक्षा मंत्री और राजभवन को काम न करने देने की ही हो, तब तो शिक्षा विभाग में किसी बदलाव की आशा करना व्यर्थ है.
"एसीएस पाठक जब से शिक्षा विभाग में हैं, तब से विभाग किसी न किसी विवाद में है. पहले शिक्षा मंत्री से टकराए, जिसके कारण मंत्री जी 22 दिन तक कार्यालय नहीं आये. फिर 4 साल के डिग्री कोर्स का विरोध कर शिक्षा विभाग राजभवन से भिड़ गया. उन्हें आत्म सम्मान की रक्षा के लिए स्वयं ही मुख्यमंत्री से किसी अन्य विभाग में तबादले का आग्रह करना चाहिए."- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद
तुरंत संज्ञान लें सीएम: आगे मोदी ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति के वेतन को रोक देना. 6 कुलपतियों की नियुक्ति के लिए राजभवन के विज्ञापन के दो सप्ताह बाद शिक्षा विभाग से भी विज्ञापन जारी करना, रक्षाबंधन सहित कई हिंदू त्योहारों की छुट्टी रद करना और कुलाधिपति-सह-राज्यपाल के अधिकार को चुनौती देना एक एसीएस के ऐसे आचरण हैं, जिन पर मुख्यमंत्री को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए.