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मांझी की 'VIP' मुलाकात: बिहार में राजनीतिक उलटफेर के संकेत! - NDA Government in Bihar

बिहार के सियासी गलियारों में ये चर्चा है कि लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी से संपर्क साध रहे हैं. ऐसे में दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात ने बिहार की राजनीतिक सरगरमी बढ़ाने के साथ नीतीश कुमार और एनडीए नेताओं की चिंता भी बढ़ा दी है. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : May 31, 2021, 9:32 PM IST

Updated : Jun 1, 2021, 9:54 AM IST

पटना: बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) में एक बार फिर कयासों का दौर शुरू हो गया है. हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंत्री मुकेश सहनी की मुलाकात से बिहार में सियासी हलचल बढ़ी हुई है. लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने के बाद दोनों नेताओं की ये पहली मुलाकात है. ऐसे तो पहले भी कई बार दोनों नेता मिलकर प्रेशर पॉलिटिक्स करने की कोशिश की है. कई मुद्दों पर मांझी और सहनी के सुर मिले हुए हैं.

ये भी पढ़ें- HAM के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले मांझी से मिले मुकेश सहनी, राजनीतिक अटकलें तेज

मांझी-सहनी की प्रेशर पॉलिटिक्स
जीतन राम मांझी अपने बयानों से न केवल नीतीश कुमार के लिए बल्कि बीजेपी के लिए भी मुश्किल खड़ी करते रहे हैं. दोनों एनडीए सरकार में अपनी अधिक से अधिक भागीदारी भी चाहते हैं. मांझी और मुकेश सहनी राज्यपाल कोटे से भरे गए एमएलसी की सीट में भी एक सीट चाहते थे, लेकिन उन्हें ये सीट नहीं मिली.

ईटीवी भारत GFX
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सियासी आंकड़ों का खेल
बिहार विधानसभा में 243 सीट है, उसमें से एक सीट अभी खाली है. यानी 242 विधायकों में से एनडीए की बात करें तो अभी बहुमत उसके पास है. बीजेपी 74, जदयू 44, वीआईपी 4, हम 4 और एक निर्दलीय का समर्थन मिला हुआ है. यानी कुल 127 विधायक एनडीए के साथ है जो बहुमत से 5 अधिक है.

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दूसरी तरफ महागठबंधन की बात करें, तो आरजेडी के पास 75, कांग्रेस के पास 19, माले के पास 12, सीपीआई और सीपीएम के दो-दो विधायक हैं, यानी महागठबंधन में 110 विधायक है. अगर एआईएमआईएम को जोड़ते हैं, तो ये संख्या बढ़कर 115 हो जाएगी. खेला यही हो सकता है यदि वीआईपी और हम के चार चार विधायक महागठबंधन खेमे में जाते हैं, तो एनडीए का आंकड़ा 119 हो जायेगा जबकि महगठबंधन का आंकड़ा 123 हो जाएगी, जो बहुमत से अधिक है.

''नीतीश सरकार का अंग होने के बावजूद ना तो मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की बात सुनते हैं और ना ही मुकेश सहनी की, इसलिए वे दोनों वहां खुश नहीं हैं. बहुत जल्द बिहार में सत्ता परिवर्तन होना तय है, क्योंकि एनडीए में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है''- मृत्युंजय तिवारी, राजद नेता

''दो पार्टी के शीर्ष नेता आपस में मिलेंगे तो निश्चित रूप से राजनीतिक बातें होंगी. लेकिन इस मुलाकात में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़े इस पर चर्चा हुई है और एनडीए मजबूत और एकजुट है.''- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम
दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

''एनडीए का मतलब बीजेपी, जदयू, हम और वीआईपी पार्टी है और इनमें से कोई भी एक दूसरे के साथ मुलाकात कर सकते हैं और इसका कुछ भी कयास लगाना सही नहीं होगा. जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की मुलाकात सामान्य सी बात है. इन मुलाकातों से किसी तरह के कयास लगाना समय बर्बाद करने जैसा है.''- निखिल मंडल, जदयू, प्रवक्ता

निखिल मंडल, जदयू, प्रवक्ता
निखिल मंडल, जदयू, प्रवक्ता

''जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी एनडीए घटक दल के साथी हैं और इनका मिलना कोई आश्चर्यजनक की बात नहीं है. जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी को एनडीए में उचित सम्मान मिल रहा है. दोनों एनडीए की मजबूती के लिए ही काम कर रहे हैं और नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में मजबूती से सरकार चल रही है.''- विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी
विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

ये भी पढ़ें- मांझी-सहनी की मुलाकात पर बिहार की सियासत गर्म, राजद ने कहा- दोनों का हुआ अपमान

''अभी की स्थिति में नीतीश सरकार पर किसी तरह का खतरा हो यह नहीं दिखता है. जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी दबाव की राजनीति कर रहे हैं. पूरे मामले पर नीतीश कुमार की भी नजर होगी तो इतनी आसानी से बिहार में सत्ता परिवर्तन हो जाएगी इसकी उम्मीद कम है.''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

  • पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी ने विरोध जताया था.
  • वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री के फोटो पर भी मांझी अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं.
  • शहाबुद्दीन मौत मामले में भी मांझी ने जांच की मांग की थी और एक तरह से एनडीए से अलग स्टेंड लिया था.
  • लॉकडाउन के विरोध में हमेशा मांझी बोलते रहे हैं और स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं.
  • राज्यपाल कोटे से एमएलसी की सीट नहीं मिलने पर भी अपनी नाराजगी जताई थी.
  • मुकेश सहनी भी एनडीए में अपनी भागीदारी और बढ़ाना चाहते हैं. इसको लेकर उन्होंने कई बार संकेत भी दिया है.

लालू यादव ने भी साधा था संपर्क
विधानसभा चुनाव के बाद लालू प्रसाद यादव ने जेल में रहते हुए जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी से संपर्क साधा था, साथ ही कई ऑफर भी दिए थे. इसके बारे में खुद मांझी और मुकेश सहनी ने ही बताया था. अब एक बार फिर से दोनों के मिलने के बाद कई तरह के कयास लगने लगे हैं. महागठबंधन के नेता नीतीश सरकार के बनने के बाद से ही कह रहे हैं कि सरकार का जाना तय है, अब सभी मांझी और मुकेश की मुलाकात पर नजर बनाये हुये हैं.

16 सालों से सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार
बिहार में नीतीश कुमार पिछले 16 सालों से सत्ता पर काबिज हैं और एनडीए के साथ लगातार तालमेल बना हुआ है. बीच में जरूर आरजेडी के साथ तालमेल हुआ था, लेकिन वह बहुत दिनों तक नहीं चल पाया. विधानसभा चुनाव में इस बार जदयू को केवल 43 सीट मिली थी, लेकिन नीतीश कुमार ने बसपा के विधायक को पार्टी में मिला लिया. वहीं लोजपा के एकमात्र विधायक को भी पार्टी में शामिल करा लिया. हालांकि पार्टी के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन के कारण संख्या 44 पर पहुंच गई है.

देखिए ये रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- बिहार में पाबंदी के बावजूद BJP नेता कर रहे क्षेत्र भ्रमण, विपक्ष ने कहा- 'कमजोर हो चुके हैं CM नीतीश'

सियासी चर्चाओं का बाजार गरम
एकमात्र निर्दलीय विधायक का भी सपोर्ट जदयू को मिला हुआ है. ऐसे में नीतीश कुमार की नजर एआईएमआईएम के पांचों विधायकों पर भी है. इस साल शुरू में पांचों विधायक नीतीश कुमार से मिल भी चुके हैं. लेकिन लालू प्रसाद यादव लंबे समय बाद जेल से बाहर निकले हैं और राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं, ऐसे तो दिल्ली में ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं, लेकिन राजनीतिक सूत्र बता रहे हैं कि लगातार बिहार की राजनीति पर उनकी नजर है और नेताओं से बातचीत भी कर रहे हैं.

आने वाले समय में कोई बड़ा उलटफेर हो जाए तो आश्चर्य नहीं किया जा सकता है. जीतन राम मांझी राज्यपाल कोटे से भरे गए 12 सीटों में से एक सीट अपनी पार्टी के लिए चाहते थे, वहीं मुकेश सहनी भी एनडीए सरकार में अपनी भागीदारी अधिक चाहते हैं, ऐसे में दोनों प्रेसर पॉलिटिक्स करने में लगे हैं, लेकिन इन दोनों का इतिहास देखें तो ये कई बार पाला बदल चुके हैं. ऐसे में कोई बड़ा फैसला लेते हैं, तो बिहार की राजनीति में सरगर्मी बढ़ना तय है.

ये भी पढ़ें- बिहार में एक बार फिर बढ़ा लॉकडाउन, 8 जून तक लागू रहेंगी पाबंदियां

ये भी पढ़ें- तेजस्वी के क्षेत्र में भिड़े राजद और जाप कार्यकर्ता, दवा बांटने के दौरान हुई मारपीट

ये भी पढ़ें- एंबुलेंस विवाद : ETV भारत संवाददाता पर FIR की चौतरफा निंदा, विपक्ष ने कहा- 'ये लोकतंत्र की हत्या'

पटना: बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) में एक बार फिर कयासों का दौर शुरू हो गया है. हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंत्री मुकेश सहनी की मुलाकात से बिहार में सियासी हलचल बढ़ी हुई है. लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने के बाद दोनों नेताओं की ये पहली मुलाकात है. ऐसे तो पहले भी कई बार दोनों नेता मिलकर प्रेशर पॉलिटिक्स करने की कोशिश की है. कई मुद्दों पर मांझी और सहनी के सुर मिले हुए हैं.

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मांझी-सहनी की प्रेशर पॉलिटिक्स
जीतन राम मांझी अपने बयानों से न केवल नीतीश कुमार के लिए बल्कि बीजेपी के लिए भी मुश्किल खड़ी करते रहे हैं. दोनों एनडीए सरकार में अपनी अधिक से अधिक भागीदारी भी चाहते हैं. मांझी और मुकेश सहनी राज्यपाल कोटे से भरे गए एमएलसी की सीट में भी एक सीट चाहते थे, लेकिन उन्हें ये सीट नहीं मिली.

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सियासी आंकड़ों का खेल
बिहार विधानसभा में 243 सीट है, उसमें से एक सीट अभी खाली है. यानी 242 विधायकों में से एनडीए की बात करें तो अभी बहुमत उसके पास है. बीजेपी 74, जदयू 44, वीआईपी 4, हम 4 और एक निर्दलीय का समर्थन मिला हुआ है. यानी कुल 127 विधायक एनडीए के साथ है जो बहुमत से 5 अधिक है.

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दूसरी तरफ महागठबंधन की बात करें, तो आरजेडी के पास 75, कांग्रेस के पास 19, माले के पास 12, सीपीआई और सीपीएम के दो-दो विधायक हैं, यानी महागठबंधन में 110 विधायक है. अगर एआईएमआईएम को जोड़ते हैं, तो ये संख्या बढ़कर 115 हो जाएगी. खेला यही हो सकता है यदि वीआईपी और हम के चार चार विधायक महागठबंधन खेमे में जाते हैं, तो एनडीए का आंकड़ा 119 हो जायेगा जबकि महगठबंधन का आंकड़ा 123 हो जाएगी, जो बहुमत से अधिक है.

''नीतीश सरकार का अंग होने के बावजूद ना तो मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की बात सुनते हैं और ना ही मुकेश सहनी की, इसलिए वे दोनों वहां खुश नहीं हैं. बहुत जल्द बिहार में सत्ता परिवर्तन होना तय है, क्योंकि एनडीए में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है''- मृत्युंजय तिवारी, राजद नेता

''दो पार्टी के शीर्ष नेता आपस में मिलेंगे तो निश्चित रूप से राजनीतिक बातें होंगी. लेकिन इस मुलाकात में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़े इस पर चर्चा हुई है और एनडीए मजबूत और एकजुट है.''- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम
दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

''एनडीए का मतलब बीजेपी, जदयू, हम और वीआईपी पार्टी है और इनमें से कोई भी एक दूसरे के साथ मुलाकात कर सकते हैं और इसका कुछ भी कयास लगाना सही नहीं होगा. जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की मुलाकात सामान्य सी बात है. इन मुलाकातों से किसी तरह के कयास लगाना समय बर्बाद करने जैसा है.''- निखिल मंडल, जदयू, प्रवक्ता

निखिल मंडल, जदयू, प्रवक्ता
निखिल मंडल, जदयू, प्रवक्ता

''जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी एनडीए घटक दल के साथी हैं और इनका मिलना कोई आश्चर्यजनक की बात नहीं है. जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी को एनडीए में उचित सम्मान मिल रहा है. दोनों एनडीए की मजबूती के लिए ही काम कर रहे हैं और नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में मजबूती से सरकार चल रही है.''- विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी
विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

ये भी पढ़ें- मांझी-सहनी की मुलाकात पर बिहार की सियासत गर्म, राजद ने कहा- दोनों का हुआ अपमान

''अभी की स्थिति में नीतीश सरकार पर किसी तरह का खतरा हो यह नहीं दिखता है. जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी दबाव की राजनीति कर रहे हैं. पूरे मामले पर नीतीश कुमार की भी नजर होगी तो इतनी आसानी से बिहार में सत्ता परिवर्तन हो जाएगी इसकी उम्मीद कम है.''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

  • पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी ने विरोध जताया था.
  • वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री के फोटो पर भी मांझी अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं.
  • शहाबुद्दीन मौत मामले में भी मांझी ने जांच की मांग की थी और एक तरह से एनडीए से अलग स्टेंड लिया था.
  • लॉकडाउन के विरोध में हमेशा मांझी बोलते रहे हैं और स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं.
  • राज्यपाल कोटे से एमएलसी की सीट नहीं मिलने पर भी अपनी नाराजगी जताई थी.
  • मुकेश सहनी भी एनडीए में अपनी भागीदारी और बढ़ाना चाहते हैं. इसको लेकर उन्होंने कई बार संकेत भी दिया है.

लालू यादव ने भी साधा था संपर्क
विधानसभा चुनाव के बाद लालू प्रसाद यादव ने जेल में रहते हुए जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी से संपर्क साधा था, साथ ही कई ऑफर भी दिए थे. इसके बारे में खुद मांझी और मुकेश सहनी ने ही बताया था. अब एक बार फिर से दोनों के मिलने के बाद कई तरह के कयास लगने लगे हैं. महागठबंधन के नेता नीतीश सरकार के बनने के बाद से ही कह रहे हैं कि सरकार का जाना तय है, अब सभी मांझी और मुकेश की मुलाकात पर नजर बनाये हुये हैं.

16 सालों से सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार
बिहार में नीतीश कुमार पिछले 16 सालों से सत्ता पर काबिज हैं और एनडीए के साथ लगातार तालमेल बना हुआ है. बीच में जरूर आरजेडी के साथ तालमेल हुआ था, लेकिन वह बहुत दिनों तक नहीं चल पाया. विधानसभा चुनाव में इस बार जदयू को केवल 43 सीट मिली थी, लेकिन नीतीश कुमार ने बसपा के विधायक को पार्टी में मिला लिया. वहीं लोजपा के एकमात्र विधायक को भी पार्टी में शामिल करा लिया. हालांकि पार्टी के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन के कारण संख्या 44 पर पहुंच गई है.

देखिए ये रिपोर्ट

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एकमात्र निर्दलीय विधायक का भी सपोर्ट जदयू को मिला हुआ है. ऐसे में नीतीश कुमार की नजर एआईएमआईएम के पांचों विधायकों पर भी है. इस साल शुरू में पांचों विधायक नीतीश कुमार से मिल भी चुके हैं. लेकिन लालू प्रसाद यादव लंबे समय बाद जेल से बाहर निकले हैं और राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं, ऐसे तो दिल्ली में ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं, लेकिन राजनीतिक सूत्र बता रहे हैं कि लगातार बिहार की राजनीति पर उनकी नजर है और नेताओं से बातचीत भी कर रहे हैं.

आने वाले समय में कोई बड़ा उलटफेर हो जाए तो आश्चर्य नहीं किया जा सकता है. जीतन राम मांझी राज्यपाल कोटे से भरे गए 12 सीटों में से एक सीट अपनी पार्टी के लिए चाहते थे, वहीं मुकेश सहनी भी एनडीए सरकार में अपनी भागीदारी अधिक चाहते हैं, ऐसे में दोनों प्रेसर पॉलिटिक्स करने में लगे हैं, लेकिन इन दोनों का इतिहास देखें तो ये कई बार पाला बदल चुके हैं. ऐसे में कोई बड़ा फैसला लेते हैं, तो बिहार की राजनीति में सरगर्मी बढ़ना तय है.

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Last Updated : Jun 1, 2021, 9:54 AM IST
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