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बिहार में बाढ़ अलर्ट सिस्टम: 'सैलाब' से निपटने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा, हर साल होता है करोड़ों का नुकसान

बिहार में बाढ़ से बचाव को लेकर सरकार ने कई तरह के कदम उठाए हैं. नदियों के जलस्तर की जानकारी के लिए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन जानकारों का कहना है कि अभी इस क्षेत्र में बहुत कुछ करना जरूरी है, जिससे लोगों को कम से कम नुकसान हो. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : May 30, 2021, 10:53 PM IST

Updated : May 30, 2021, 11:11 PM IST

पटना: बिहार में इस साल 15 जून से मानसून प्रवेश करेगा. ऐसे तो यास चक्रवाती तूफान के कारण पूरे प्रदेश में 3 दिनों तक बारिश हुई, जिसके कारण बहुत नुकसान हुआ है. लेकिन, मानसून के समय बिहार के डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों में बाढ़ से तबाही होती है. खासकर उत्तर बिहार के जिलों में बाढ़ का तांडव मचाता है और लाखों लोग इससे प्रभावित होते हैं. केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण आयोग ने नदियों के जलस्तर और नदियों से पानी स्त्राव को लेकर 72 घंटे पहले सूचना देने का प्रावधान किया है.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल में नीतीश सरकार के सामने बाढ़ से बचाव कार्य की मुश्किल चुनौती

बाढ़ से निपटने के लिए कंट्रोल रूम
बिहार सरकार की ओर से भी मुख्यालय स्तर पर कंट्रोल रूम बनाया जाता है और कंट्रोल रूम के माध्यम से संबंधित जिले के जिला प्रशासन के माध्यम से लोगों को बाढ़ की पूर्व सूचना दी जाती है. राजधानी पटना में जल संसाधन विभाग ने बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायता केंद्र बनाया है. जिओ इंफॉर्मेशन सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से नदियों के जलस्तर का रियल टाइम डाटा मिलना इससे शुरू हुआ है, लेकिन बाढ़ को लेकर लंबे समय से काम करने वाले विशेषज्ञ का कहना है कि आम लोगों तक सही जानकारी अभी भी नहीं पहुंच पा रही है.

बाढ़ हर साल मचाती है तबाही
बिहार में मानसून के साथ ही गंगा, कोसी, गंडक, बागमती और सोन सहित कई नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगता है. बिहार में खासकर उत्तर बिहार की प्रमुख नदियां नेपाल से आने वाले जल के कारण बड़े क्षेत्र में बाढ़ लाती है. फिलहाल इस पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं है और लोगों को केवल सूचना के माध्यम से ही सुरक्षित किया जाता है. बिहार के 15 से 16 जिले हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं. पिछले साल भी 16 जिलों के 70 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई थी.

बिहार सचिवालय
बिहार सचिवालय

अलर्ट मोड पर पीएचईडी और स्वास्थ्य विभाग
इस साल मानसून आने से पहले चक्रवाती तूफान यास से 3 दिनों तक पूरे बिहार में जमकर बारिश हुई है और उससे भी लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. बिहार में बाढ़ को लेकर सरकार की ओर से कई तरह की तैयारियां हो रही हैं. जल संसाधन विभाग 298 योजना पर काम कर रहा है और उसमें से कई योजना पूरी हो चुकी है. आपदा प्रबंधन विभाग को भी अभी से ही तैयार रहने के लिए कहा गया है. इसके अलावा पीएचईडी, स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट कर दिया गया है. मुख्यमंत्री स्तर पर लगातार बैठक हो रही हैं.

जल संसाधन विभाग की अहम भूमिका
बिहार में बाढ़ के समय जल संसाधन विभाग की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है. विभाग के स्तर पर कंट्रोल रूम मुख्यालय में बनाया जाता है और केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण आयोग के तरफ से नदियों के जलस्तर का डाटा 72 घंटे पहले उपलब्ध कराया जाता है, जिससे लोग सतर्क हो जाएं. वहीं, जल संसाधन विभाग ने पिछले साल हेलो डब्ल्यू आर डी व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया था, जिस पर लोगों से जानकारी मांगी गई थी. जिसके आधार पर कई स्थानों पर कटाव को ठीक भी किया गया.

संजय झा, जल संसाधन मंत्री
संजय झा, जल संसाधन मंत्री

ये भी पढ़ें- मसौढ़ी में शुरू हुई बाढ़ पूर्व तैयारियां, पुनपुन नदी के संभावित कटाव स्थलों को SDM ने किया निरीक्षण

बाढ़ की पूर्व सूचना पर करना होगा काम
सरकार की ओर से आकाशवाणी और दूरदर्शन के साथ समाचार पत्रों के माध्यम से भी सूचना दी जाती है. मौसम विभाग की तरफ से बाढ़ प्रभावित इलाकों के बारिश पूर्वानुमान डाटा उपलब्ध कराया जाता है, उसे भी जल संसाधन विभाग जिला प्रशासन के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करता है. लेकिन बाढ़ पर लंबे समय से काम करने वाले रंजीव का कहना है कि अभी भी बाढ़ पूर्व सूचना लोगों को सही ढंग से नहीं मिल पाता है.

''केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण आयोग नदियों का जलस्तर 72 घंटे पहले जारी करता है, लेकिन सही तरीके से उसे लोगों तक पहुंचाया नहीं जाता है. बिहार सरकार का भी अपना मेकनिज्म है, लेकिन उसमें भी कई तरह की खामियां हैं.''- रंजीव, विशेषज्ञ

सुनील कुमार चौधरी, अध्यक्ष, अभियंत्रण

''बिहार में आधुनिक टेक्नोलॉजी युक्त बाढ़ प्रबंधन केंद्र की स्थापना पिछले साल की गयी है. बाढ़ प्रबंधन केंद्र के माध्यम से 72 घंटे पहले बाढ़ प्रभावित इलाकों में वर्षा की भी जानकारी दी जाती है और इसके कारण लोगों को पिछले साल से काफी लाभ भी पहुंचा है. लेकिन यह भी 50% अभियंताओं के भरोसे ही चल रहा है. ऐसे में इसकी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.''- सुनील कुमार चौधरी, अध्यक्ष, अभियंत्रण

बिहार के ए एन सिन्हा शोध संस्थान के प्रोफ़ेसर विद्यार्थी विकास का कहना है कि लोगों तक कई माध्यमों से बिहार सरकार सूचना पहुंचाने की कोशिश करती है. आपदा की महत्वपूर्ण तीन स्ट्रेटजी मेडिकेशन, रिलीफ और प्रिपरेशन होती है. बिहार में प्रिपरेशन और रिलीफ पर तो बहुत अधिक काम किया जाता है, लेकिन मेडिकेशन पर जितना भी काम होना चाहिए उतनी तेजी से मेडिकेशन पर काम नहीं हो रहा है.

ईटीवी भारत GFX
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''बिहार में आपातकालीन बाढ़ संचालन केंद्र भी कई जिले में है, लेकिन वहां पर 3 आईटी प्रोफेशनल, 3 प्रोग्रामर और 3 डाटा एंट्री ऑपरेटर की आवश्यकता होती है. आपातकालीन संचालन केंद्र को संचालित करने के लिए वर्तमान में एक आईटी प्रोफेशनल और एक ही प्रोग्रामर है''- विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, शोध प्रशिक्षण संस्थान

ईटीवी भारत GFX
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बिहार में बाढ़ अलर्ट सिस्टम

  1. बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायता केंद्र के माध्यम से जिओ इंफॉर्मेशन सिस्टम सॉफ्टवेयर रियल टाइम डाटा उपलब्ध करा रहा है और जिला प्रशासन के माध्यम से समय पर लोगों को अलर्ट करने का मौका मिल रहा है.
  2. इससे नदियों के जलस्तर और नदियों के जल स्त्राव की सूचना 72 घंटे विभिन्न माध्यमों से पहले दी जाती है. केंद्रीय जल नियंत्रण आयोग की ओर से यह डाटा उपलब्ध कराया जाता है.
  3. जल संसाधन विभाग कंट्रोल रूम के माध्यम से भी लोगों की मदद करता है. 24 घंटे कंट्रोल रूम काम करता है.
  4. मौसम विभाग की ओर से जो पूर्वानुमान किया जाता है, जल संसाधन विभाग उसके अनुसार भी लोगों को अलर्ट करता है.
  5. जल संसाधन विभाग अब सोशल मीडिया का भी लोगों को जानकारी देने और उनसे जानकारी लेने में इस्तेमाल कर रहा है.
  6. बैराज से पानी छोड़ने की जानकारी भी 72 घंटे पहले दी जाती है.
  7. बाढ़ की सूचना देने के साथ लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की कार्रवाई भी जिला प्रशासन करता है, फिर आपदा और अन्य विभाग बाढ़ प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाते हैं.

''हम लोग आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहे हैं और लोगों को बाढ़ पूर्व सूचना के साथ बाढ़ ग्रस्त इलाकों में बारिश पूर्व सूचना भी पहुंचाने की कोशिश लगातार कर रहे हैं. कोरोना के बावजूद विभाग के अभियंता और अधिकारी लगातार काम कर रहे हैं.''- संजय झा, जल संसाधन मंत्री

ये भी पढ़ें- बिहार : एंबुलेंस विवाद में ईटीवी भारत संवाददाता पर 10 पन्नों की FIR

बाढ़ से निपटने की तैयारी
सरकार बाढ़ नियंत्रण, कटाव निरोधक कार्य और अन्य कार्यों पर हजारों करोड़ हर साल खर्च करती है. इसके लिए बजट में भी विशेष प्रावधान किया जाता है. आधुनिक टेक्नोलॉजी का लगातार प्रयोग हो रहा है. ड्रोन सहित कई नए चीजों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है. साथ ही बिहार में आधुनिक टेक्नोलॉजी युक्त बाढ़ प्रबंधन केंद्र का उद्घाटन पिछले साल जल संसाधन मंत्री संजय झा ने किया था, इस पर भी सरकार द्वारा बड़ी राशि खर्च की गई है.

देखिए ये रिपोर्ट

बाढ़ से हजारों करोड़ों का नुकसान
बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ का नुकसान होता है. बड़ी संख्या में लोगों की जान भी जाती है. पशुधन का भी नुकसान होता है. किसानों की फसल भी बर्बाद होती है और सड़कें भी बर्बाद होती हैं. पिछले साल ही बिहार सरकार ने 3328 करोड़ की राशि केंद्र से बाढ़ क्षति के रूप में मांगी थी. केंद्र की ओर से 1255 करोड़ की राशि बिहार को मिली भी थी. 16 जिलों के 70 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए थे.

बाढ़ से बचाव में टेक्नोलॉजी का प्रयोग
बाढ़ से बचाव में जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग हो रहा है. वहीं बाढ़ पूर्व सूचना देने में भी पिछले कुछ सालों में सक्रियता बढ़ी है. केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण आयोग ने गूगल से भी समझौता किया है. इससे कई तरह की डाटा खासकर नेपाल की तरफ से आने वाले जल को लेकर उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन जानकार यह भी कहते हैं कि अभी इस क्षेत्र में बहुत कुछ करना जरूरी है, जिससे लोगों को कम से कम नुकसान हो.

पटना: बिहार में इस साल 15 जून से मानसून प्रवेश करेगा. ऐसे तो यास चक्रवाती तूफान के कारण पूरे प्रदेश में 3 दिनों तक बारिश हुई, जिसके कारण बहुत नुकसान हुआ है. लेकिन, मानसून के समय बिहार के डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों में बाढ़ से तबाही होती है. खासकर उत्तर बिहार के जिलों में बाढ़ का तांडव मचाता है और लाखों लोग इससे प्रभावित होते हैं. केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण आयोग ने नदियों के जलस्तर और नदियों से पानी स्त्राव को लेकर 72 घंटे पहले सूचना देने का प्रावधान किया है.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल में नीतीश सरकार के सामने बाढ़ से बचाव कार्य की मुश्किल चुनौती

बाढ़ से निपटने के लिए कंट्रोल रूम
बिहार सरकार की ओर से भी मुख्यालय स्तर पर कंट्रोल रूम बनाया जाता है और कंट्रोल रूम के माध्यम से संबंधित जिले के जिला प्रशासन के माध्यम से लोगों को बाढ़ की पूर्व सूचना दी जाती है. राजधानी पटना में जल संसाधन विभाग ने बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायता केंद्र बनाया है. जिओ इंफॉर्मेशन सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से नदियों के जलस्तर का रियल टाइम डाटा मिलना इससे शुरू हुआ है, लेकिन बाढ़ को लेकर लंबे समय से काम करने वाले विशेषज्ञ का कहना है कि आम लोगों तक सही जानकारी अभी भी नहीं पहुंच पा रही है.

बाढ़ हर साल मचाती है तबाही
बिहार में मानसून के साथ ही गंगा, कोसी, गंडक, बागमती और सोन सहित कई नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगता है. बिहार में खासकर उत्तर बिहार की प्रमुख नदियां नेपाल से आने वाले जल के कारण बड़े क्षेत्र में बाढ़ लाती है. फिलहाल इस पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं है और लोगों को केवल सूचना के माध्यम से ही सुरक्षित किया जाता है. बिहार के 15 से 16 जिले हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं. पिछले साल भी 16 जिलों के 70 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई थी.

बिहार सचिवालय
बिहार सचिवालय

अलर्ट मोड पर पीएचईडी और स्वास्थ्य विभाग
इस साल मानसून आने से पहले चक्रवाती तूफान यास से 3 दिनों तक पूरे बिहार में जमकर बारिश हुई है और उससे भी लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. बिहार में बाढ़ को लेकर सरकार की ओर से कई तरह की तैयारियां हो रही हैं. जल संसाधन विभाग 298 योजना पर काम कर रहा है और उसमें से कई योजना पूरी हो चुकी है. आपदा प्रबंधन विभाग को भी अभी से ही तैयार रहने के लिए कहा गया है. इसके अलावा पीएचईडी, स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट कर दिया गया है. मुख्यमंत्री स्तर पर लगातार बैठक हो रही हैं.

जल संसाधन विभाग की अहम भूमिका
बिहार में बाढ़ के समय जल संसाधन विभाग की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है. विभाग के स्तर पर कंट्रोल रूम मुख्यालय में बनाया जाता है और केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण आयोग के तरफ से नदियों के जलस्तर का डाटा 72 घंटे पहले उपलब्ध कराया जाता है, जिससे लोग सतर्क हो जाएं. वहीं, जल संसाधन विभाग ने पिछले साल हेलो डब्ल्यू आर डी व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया था, जिस पर लोगों से जानकारी मांगी गई थी. जिसके आधार पर कई स्थानों पर कटाव को ठीक भी किया गया.

संजय झा, जल संसाधन मंत्री
संजय झा, जल संसाधन मंत्री

ये भी पढ़ें- मसौढ़ी में शुरू हुई बाढ़ पूर्व तैयारियां, पुनपुन नदी के संभावित कटाव स्थलों को SDM ने किया निरीक्षण

बाढ़ की पूर्व सूचना पर करना होगा काम
सरकार की ओर से आकाशवाणी और दूरदर्शन के साथ समाचार पत्रों के माध्यम से भी सूचना दी जाती है. मौसम विभाग की तरफ से बाढ़ प्रभावित इलाकों के बारिश पूर्वानुमान डाटा उपलब्ध कराया जाता है, उसे भी जल संसाधन विभाग जिला प्रशासन के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करता है. लेकिन बाढ़ पर लंबे समय से काम करने वाले रंजीव का कहना है कि अभी भी बाढ़ पूर्व सूचना लोगों को सही ढंग से नहीं मिल पाता है.

''केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण आयोग नदियों का जलस्तर 72 घंटे पहले जारी करता है, लेकिन सही तरीके से उसे लोगों तक पहुंचाया नहीं जाता है. बिहार सरकार का भी अपना मेकनिज्म है, लेकिन उसमें भी कई तरह की खामियां हैं.''- रंजीव, विशेषज्ञ

सुनील कुमार चौधरी, अध्यक्ष, अभियंत्रण

''बिहार में आधुनिक टेक्नोलॉजी युक्त बाढ़ प्रबंधन केंद्र की स्थापना पिछले साल की गयी है. बाढ़ प्रबंधन केंद्र के माध्यम से 72 घंटे पहले बाढ़ प्रभावित इलाकों में वर्षा की भी जानकारी दी जाती है और इसके कारण लोगों को पिछले साल से काफी लाभ भी पहुंचा है. लेकिन यह भी 50% अभियंताओं के भरोसे ही चल रहा है. ऐसे में इसकी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.''- सुनील कुमार चौधरी, अध्यक्ष, अभियंत्रण

बिहार के ए एन सिन्हा शोध संस्थान के प्रोफ़ेसर विद्यार्थी विकास का कहना है कि लोगों तक कई माध्यमों से बिहार सरकार सूचना पहुंचाने की कोशिश करती है. आपदा की महत्वपूर्ण तीन स्ट्रेटजी मेडिकेशन, रिलीफ और प्रिपरेशन होती है. बिहार में प्रिपरेशन और रिलीफ पर तो बहुत अधिक काम किया जाता है, लेकिन मेडिकेशन पर जितना भी काम होना चाहिए उतनी तेजी से मेडिकेशन पर काम नहीं हो रहा है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

''बिहार में आपातकालीन बाढ़ संचालन केंद्र भी कई जिले में है, लेकिन वहां पर 3 आईटी प्रोफेशनल, 3 प्रोग्रामर और 3 डाटा एंट्री ऑपरेटर की आवश्यकता होती है. आपातकालीन संचालन केंद्र को संचालित करने के लिए वर्तमान में एक आईटी प्रोफेशनल और एक ही प्रोग्रामर है''- विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, शोध प्रशिक्षण संस्थान

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

बिहार में बाढ़ अलर्ट सिस्टम

  1. बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायता केंद्र के माध्यम से जिओ इंफॉर्मेशन सिस्टम सॉफ्टवेयर रियल टाइम डाटा उपलब्ध करा रहा है और जिला प्रशासन के माध्यम से समय पर लोगों को अलर्ट करने का मौका मिल रहा है.
  2. इससे नदियों के जलस्तर और नदियों के जल स्त्राव की सूचना 72 घंटे विभिन्न माध्यमों से पहले दी जाती है. केंद्रीय जल नियंत्रण आयोग की ओर से यह डाटा उपलब्ध कराया जाता है.
  3. जल संसाधन विभाग कंट्रोल रूम के माध्यम से भी लोगों की मदद करता है. 24 घंटे कंट्रोल रूम काम करता है.
  4. मौसम विभाग की ओर से जो पूर्वानुमान किया जाता है, जल संसाधन विभाग उसके अनुसार भी लोगों को अलर्ट करता है.
  5. जल संसाधन विभाग अब सोशल मीडिया का भी लोगों को जानकारी देने और उनसे जानकारी लेने में इस्तेमाल कर रहा है.
  6. बैराज से पानी छोड़ने की जानकारी भी 72 घंटे पहले दी जाती है.
  7. बाढ़ की सूचना देने के साथ लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की कार्रवाई भी जिला प्रशासन करता है, फिर आपदा और अन्य विभाग बाढ़ प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाते हैं.

''हम लोग आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहे हैं और लोगों को बाढ़ पूर्व सूचना के साथ बाढ़ ग्रस्त इलाकों में बारिश पूर्व सूचना भी पहुंचाने की कोशिश लगातार कर रहे हैं. कोरोना के बावजूद विभाग के अभियंता और अधिकारी लगातार काम कर रहे हैं.''- संजय झा, जल संसाधन मंत्री

ये भी पढ़ें- बिहार : एंबुलेंस विवाद में ईटीवी भारत संवाददाता पर 10 पन्नों की FIR

बाढ़ से निपटने की तैयारी
सरकार बाढ़ नियंत्रण, कटाव निरोधक कार्य और अन्य कार्यों पर हजारों करोड़ हर साल खर्च करती है. इसके लिए बजट में भी विशेष प्रावधान किया जाता है. आधुनिक टेक्नोलॉजी का लगातार प्रयोग हो रहा है. ड्रोन सहित कई नए चीजों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है. साथ ही बिहार में आधुनिक टेक्नोलॉजी युक्त बाढ़ प्रबंधन केंद्र का उद्घाटन पिछले साल जल संसाधन मंत्री संजय झा ने किया था, इस पर भी सरकार द्वारा बड़ी राशि खर्च की गई है.

देखिए ये रिपोर्ट

बाढ़ से हजारों करोड़ों का नुकसान
बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ का नुकसान होता है. बड़ी संख्या में लोगों की जान भी जाती है. पशुधन का भी नुकसान होता है. किसानों की फसल भी बर्बाद होती है और सड़कें भी बर्बाद होती हैं. पिछले साल ही बिहार सरकार ने 3328 करोड़ की राशि केंद्र से बाढ़ क्षति के रूप में मांगी थी. केंद्र की ओर से 1255 करोड़ की राशि बिहार को मिली भी थी. 16 जिलों के 70 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए थे.

बाढ़ से बचाव में टेक्नोलॉजी का प्रयोग
बाढ़ से बचाव में जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग हो रहा है. वहीं बाढ़ पूर्व सूचना देने में भी पिछले कुछ सालों में सक्रियता बढ़ी है. केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण आयोग ने गूगल से भी समझौता किया है. इससे कई तरह की डाटा खासकर नेपाल की तरफ से आने वाले जल को लेकर उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन जानकार यह भी कहते हैं कि अभी इस क्षेत्र में बहुत कुछ करना जरूरी है, जिससे लोगों को कम से कम नुकसान हो.

Last Updated : May 30, 2021, 11:11 PM IST
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