पटना: बिहार में लगातार बढ़ रही हत्या, लूट और डकैती समेत अन्य गंभीर अपराध (Crime In Bihar) की घटनाओं को लेकर पुलिस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. जिसके बाद आपराधिक घटनाओं में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने विशेष सशस्त्र बल (Special Armed Force Team In Patna) का गठन किया है. इसको लेकर सभी जिले के पुलिस अधीक्षकों को दिशा-निर्देश जारी किया गया है.
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इस स्पेशल आर्म्ड फोर्स में जिला पुलिस को सशस्त्र बल की अलग से व्यवस्था की गई है. हत्या, डकैती, लूट के अलावा लंबित पड़े मामलों का निपटारा स्पेशल आर्म्ड फोर्स के द्वारा किया जाएगा. इसके अलावा क्षेत्रीय मुख्यालय यानी कि पुलिस रेंज वाले जिलों में सशस्त्र बलों की एक कंपनी बनाई जा रही है. बीएमपी, जो कि अब सशस्त्र पुलिस बल बन चुका है, सशस्त्र पुलिस बल के सिपाहियों को कार्यालय में पदस्थापित नहीं किया जाएगा. उन्हें फील्ड में ड्यूटी पर लगाई जाएगी. बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस के बलों को विधि व्यवस्था और गंभीर कांडों में गिरफ्तारी और इससे जुड़े कार्य में उपयोग किया जाएगा. गंभीर अपराधिक मामलों में बड़े जिलों में एक कंपनी की तैनाती की गई है. चुनाव के बाद अब अभियान की शुरुआत की जाएगी.
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दरअसल, बिहार में पहली बार गंभीर अपराधिक कारणों में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए जिला स्तर पर सशस्त्र पुलिस बल की कंपनी और प्लाटून गठित करने का काम किया गया है. बिहार में 300 से अधिक ऐसे मामले हैं, जिनका निष्पादन पिछले 20 वर्षों से नहीं हुआ है. पुलिस मुख्यालय के द्वारा लंबित कांडों के निष्पादन के लिए विशेष ध्यान देने का निर्देश जिले के पुलिस अधीक्षकों को दिया है. जिस वजह से स्पेशल आर्म्ड फोर्स की गठन किया जाएगा.
'एक विशेष बल को प्रत्येक बड़े जिलों में स्थापित किया गया है. छोटे जिले में एक प्लाटून को स्थापित किया गया है. इन बलों के गठन का मुख्य उद्देश्य गंभीर आपराधिक मामलों में अपराधियों की गिरफ्तारी कराना. इनसे विधि व्यवस्था का कार्य नहीं लिया जाएगा. इनका कार्य अभियान के स्वरूप होगा. चुनाव के बाद इन बलों को कार्यों पर लगाया जाएगा.' -जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
पुलिस मुख्यालय के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार के 19 जिले ऐसे हैं, जहां 20 वर्षों से अधिक पुराने केस लंबित हैं. जिसकी जांच 20 वर्षों से ज्यादा समय से चल रही है. जिसका अनुसंधान अब तक पूरा नहीं हो पाया है. वैसे जिले अररिया, बगहा, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, गया, गोपालगंज, जमुई, कैमूर, मधुबनी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, पटना, रोहतास, नालंदा, समस्तीपुर, सारण और वैशाली है. जिस पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है.
पुलिस मुख्यालय द्वारा पूर्ण रूप से अब तक के लंबित कांडों का आकलन पूरा नहीं किया गया है. साल के अंत तक इसे पूरा किया जाएगा. वहीं साल 2021 की मई तक के कुल आंकड़े पर ध्यान दे, तो लगभग 1,96,000 अपराधिक कांडों की संख्या है. इनमें से हत्या के 5,418, लूट के 3681, युद्ध के तरीके 10063 कांडों के अनुसंधान पूरा नहीं हो पाया है. जिसमें से पटना सबसे ऊपर है.
पटना में सबसे अधिक 24905, गया में 16222, सारण में 14443 मुजफ्फरपुर में 13353 कांड लंबित हैं. हालांकि मुख्यालय द्वारा लगातार गिरफ्तारी को लेकर अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है. इसके बावजूद भी हत्या लूट डकैती और पुलिस पर हमले जैसे गंभीर मामलों में गिरफ्तारी की बड़ी संख्या लंबित पड़ी हुई है. गौरतलब है कि स्पेशल आर्म्ड फोर्स के गठन के बाद लंबित पड़े मामले और अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित हो पाएगी. इसमें कितना कमी आ पाता है, यह आने वाला समय बताएगा.
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