पटनाः बिहार में इन दिनों छोटी मछलियों का कारोबार (Small Fish Business) काफी बढ़ गया है. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को जहां एक तरफ रोजगार मिल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है. राजधानी से महज 15 किलोमीटर दूर सोनपुर प्रखंड (Sonepur Block) के कई लोग इन दिनों छोटी-छोटी मछलियों को सुखाकर उसे देश के कई प्रदेशों में भेज रहे हैं. जिससे उनकी अच्छी कमाई हो रही है.
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इस कारोबार से जुड़े सैकड़ों लोगों की आजीविका इसी व्यवसाय से चल रही है. मछलियों के कारोबारी छोटी मछलियों को थोक भाव में खरीदते हैं फिर उन्हें सुखाकर दूसरे मांग के अनुसार दूसरे प्रदेशों में भेजते हैं. इस व्यापार से जुड़े लोगों को अच्छी खासी आमदनी हो रही है.
सोनपुर से लेकर नयागांव तक बन रहे निर्माणाधीन फोरलेन पर इन दिनों मछलियों के कारोबार होता है. कारोबारी थोक भाव में छोटी मछलियां पोठिया, डेरवा, गवाही मछलियों को 40 से 50 रुपये किलो खरीद कर लाते हैं और उस मछली को उसी निर्माणाधीन फोरलेन के किनारे पोखरा में धोकर साफ करते हैं. उसके बाद बांस की चचेरी और प्लास्टिक की तिरपाल पर धूप में सुखा लेते हैं. फिर उसे बोरे में भरकर आसाम, बंगाल, ओडिशा और कई अन्य प्रदेशों में इन सुखी मछलियों भेजते हैं.
कई लोग तो निर्माणाधीन फोरलेन के पास में ही बाढ़ के पानी से मछली पकड़ कर उसे साफ करके सुखा लेते हैं और फिर इसे बेच देते हैं. दूसरे राज्यों में इसकी अच्छी कीमत मिलने से इन लोगों का यह धंधा काफी फल फूल रहा है. बंगाल ओडिशा में इन सुखी मछलियों की काफी डिमांड होती है. साथ ही सुखी मछलियों की कीमत भी अच्छी मिलती है.
बता दें कि बिहार में पर 50 किलो खरीद कर साफ सफाई और मेहनत के बाद बाहर प्रदेशों में भेजने वाले व्यवसाई को 1 किलो मछली पर 300 से 400 प्रति किलो मिल जाता है. जब मार्केट डाउन होता है तो 200 से 250 तक बिक जाता है. इस व्यवसाय में सिर्फ मल्लाह जाति के लोग नहीं बल्कि कई जाति के लोग जुड़ गए हैं. जिनको सूखी मछली बेचने से अच्छी आमदनी हो रही है.
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सूखी मछली के व्यवसाय से जुड़े लोगों के साथ साथ कुछ और लोगों को भी इससे रोजगार मिलता है. मछली सुखाने के लिए दो से तीन मजदूर की जरूरत होती है. जो लगातार 5 से 7 दिन धूप में इसको सुखाते हैं. वैसे लोगों को भी हर दिन की मजदूरी मिल जाती है. व्यापारी राजू कुमार ने बताया कि वह पहली बार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि इसमें मेहनत अधिक होती है. मछली को सुखाने से लेकर बोरा में भरने तक चींटी चूहा ना लगे इसके लिए विशेष ध्यान दिया जाता है.
सूखी मछली का व्यापार करने वाले राजन महतो ने बताया कि अभी 2 से 3 महीना का यह सीजन है. इस मौसम में मछली को सूखा कर एकत्रित करके बाहर प्रदेशों में भेजते हैं. बंगाल, नेपाल, ओडिशा, सिलीगुड़ी में इस मछली को बड़ी चाव से लोग खाते हैं इसलिए सूखी मछली का डिमांड वहां ज्यादा है. मंडी डाउन होने के कारण 2 से 3 हजार क्विंटल बिक जाता है और मंडी अच्छा रहा तो 5000 भी किउंटल बिक जाता है.
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बता दें कि इन मछलियों की डिमांड बाहर प्रदेश में तो है ही साथ ही साथ अब बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भी बढ़ी है. इन व्यवसायियों की मछली तैयार हो जाने के बाद बड़े-बड़े व्यापारी यहां से आकर ले जाते हैं. यह व्यापारी मछलियों की अलग-अलग क्वालिटी के हिसाब से अलग अलग दाम में बेचते हैं. मछली चुनने और सुखाने में लगभग सैकड़ों मजदूरों को रोजगार भी मिलता है. साथ ही साथ 1 किलो मछली पर दुगनी कमाई भी हो रही है.