पटना: मिलिए बिहार के सिमोन बर्जर से, यह शीशे पर छेनी और हथौड़े चलाकर कलाकृति तैयार करते हैं. इस कलाकारी को सैटर ग्लास (Sater Glass Artist In Patna) बोला जाता है. स्वीडिश आर्टिस्ट सिमोन बर्जर को इस कला का पहला कलाकार माना जाता है और उन्हीं से प्रेरणा लेकर बिहार के पटना सिटी निवासी शुभम वर्मा (Shubham Of Patna) ने यह कलाकारी सीखी है. शुभम ने दावा किया कि, वह इस कला की दक्षता रखने वाले देश के पहले और दुनिया के दूसरे कलाकार हैं.
यह भी पढ़ें- मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल: 12 से 16 दिसंबर तक होगा आयोजन, 6 देशों के साहित्यकार और कलाकार करेंगे शिरकत
सैटर ग्लास आर्ट फॉर्म में शीशे पर छेनी और हथौड़ी मारकर कलाकृति (Famous Artist Of Patna) उकेरी जाती है. कभी तेज तो कभी धीमा हथौड़े का वार किया जाता है. लेकिन बावजूद इसके कांच पूरी तरह टूटता नहीं है और उस पर क्रैक पड़ जाता है. यही क्रैक धीरे-धीरे एक आकृति में बदल जाती है. खास बात यह है कि यह आर्ट फॉर्म लैमिनेटेड ग्लास पर ही की जा सकती है. शुभम वर्मा ने उपेंद्र महारथी कला एवं शिल्प अनुसंधान केंद्र में होने वाले राज्य कला पुरस्कार के लिए बिहार के मानचित्र पर भगवान बुद्ध को उकेरा है.
शुभम वर्मा ने बताया कि, वह बिहार, झारखंड, बंगाल, आसाम जैसे प्रदेशों की सभी लोक कला विधाओं के बारे में जानते हैं और सभी आर्ट फॉर्म में अपनी दक्षता रखते हैं. शुभम ने बताया कि, जब वह लॉकडाउन के समय घर में बंद हो गए थे, उस समय वह देश-विदेश के आर्ट फॉर्म के बारे में जानकारी जुटा रहे थे. इसी क्रम में उन्हें इंटरनेट पर स्वीडिश आर्टिस्ट सिमोन बर्जर का सैटर ग्लास आर्ट नजर आया. यह उन्हें काफी अट्रैक्ट किया और इसके बारे में वह वीडियो जब देखने लगे तो उन्हें भी यह कलाकारी सीखने की इच्छा हुई, जिसके बाद यूट्यूब वीडियो देखकर उन्होंने कलाकारी सीखी और लॉकडाउन में समय को यूटिलाइज किया.
यह भी पढ़ें- उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने प्रशस्ति पत्र देकर साहित्यकारों को सम्मानित किया
शुभम वर्मा ने बताया कि, सिमोन बर्जर अपनी कलाकृति बनाने के लिए नए लैमिनेटेड ग्लास का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन जब वह यूट्यूब वीडियो देखकर यह आर्ट सीख रहे थे तो, उनके पास पैसे का अभाव था और ऐसे में उनके मन में कबाड़ से जुगाड़ बनाने का आइडिया आया. वह कबाड़ी की दुकान पर चले गए. वहां से वह कार के टूटे हुए आगे और पीछे की कांच को काफी कम कीमत पर खरीद कर घर ले आए. उस कांच के बॉर्डर पर लगे हुए रब्बर को काट कर हटाया और फिर उस कांच को सीधा किया.
कांच सीधा होने के बाद वह उस पर छेनी और हथौड़ी से कलाकारी कर नई कलाकृति तैयार की. शुभम ने बताया कि, इसके बाद से उन्होंने यही आदत बना ली है और वह कभी नई कांच खरीद कर नहीं लाते हैं. कबाड़ से कांच खरीद कर लाते हैं और उसी पर आकृति तैयार करते हैं. यह उनके लिए किफायती भी पड़ता है.
शुभम ने बताया कि, राज्य कला पुरस्कार के लिए जब उन्होंने सैटर ग्लास आर्ट फॉर्म को चुना और जब उन्होंने अपनी कलाकृति दिखाई उसके बाद काफी लोगों का उनके पास इस कला विधा के बारे में जानकारी जुटाने के लिए कॉल आ चुका है. कई लोग अपने किसी प्रिय और खुद का कांच पर पोट्रेट बनाने की उनसे डिमांड कर चुके हैं.
शुभम ने बताया कि, हालांकि अभी तक उन्होंने कोई ऑर्डर फाइनल नहीं किया है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही कुछ ऑर्डर फाइनल होंगे. शुभम ने बताया कि, सबसे पहले कांच पर वह आकृति स्केच से उकेरते हैं और फिर उस पर छेनी और हथौड़ी चला कर कलाकृति तैयार करते हैं. एक कलाकृति तैयार करने में 8 से 10 घंटे का समय लगता है. इससे पहले वह पत्थर को काटकर बुद्धा बना चुके हैं और सिक्की आर्ट में भी कई सारे डिजाइन तैयार किए हुए हैं.
बताते चलें कि शुभम ने साल 2018 में पटना निफ्ट से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और 15 अगस्त 2019 के झांकी में उद्योग विभाग की झांकी का डिजाइन तैयार किया था और उन्हें प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था. साल 2020 के 26 जनवरी की झांकी में भी उन्होंने उद्योग विभाग की झांकी के लिए डिजाइन तैयार किया था और सर्वश्रेष्ठ झांकी में उन्हें दूसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ था.
ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP