पटनाः शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने बिहार में विभागीय परीक्षा लेकर शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने की पहल का समर्थन किया है. मोर्चा में शामिल टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह, टीईटी शिक्षक संघ (मूल) के प्रदेश अध्यक्ष अमरदीप डिसूजा, टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम और टीईटी शिक्षक संघ (भारतीय मजदूर संघ) के प्रदेश अध्यक्ष नितेश कुमार ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने की दिशा सरकार कि ओर से किए गए पहल का स्वागत किया है.
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शिक्षकों की विभागीय परीक्षा का समर्थनः टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा है कि सरकार द्वारा राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए विभागीय परीक्षा का वह समर्थन करते हैं. लेकिन सरकार से यह मांग करते हैं कि प्रस्तावित परीक्षा का सिलेबस व पैटर्न पूर्व में नियोजित शिक्षकों के लिए आयोजित दक्षता परीक्षा के अनुरूप ही रखा जाए. उक्त परीक्षा का आयोजन नियमावली लागू होने के एक माह के अंदर किया जाए. लेकिन तीन बार परीक्षा में फेल होने पर सेवा मुक्त करने के प्रावधान को हटाया जाए.
"सरकार द्वारा राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए विभागीय परीक्षा का हम समर्थन करते हैं. लेकिन परीक्षा में फेल होने पर सेवा मुक्त करने के प्रावधान को हटाया जाए, ये प्रावधान किसी भी सूरत में शिक्षकों को स्वीकार्य नहीं है. हम सरकार से यह मांग करते हैं कि विभागीय परीक्षा के तत्काल बाद नियोजित शिक्षकों को ऐच्छिक स्थानांतरण का लाभ देते हुए ज्वाइनिंग करवाई जाए"- अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ
ऐच्छिक स्थानांतरण की लंबित मांग पूरी होः अमित विक्रम ने कहा कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाए जाने से उनकी बहुत सारी समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी. विशेष रूप से जो नियोजित शिक्षकों की वर्षों से जो ऐच्छिक स्थानांतरण की लंबित मांग है वह भी पूरी हो जाएगी. हालांकि 2020 नियमावली में भी शिक्षिकाओं के लिए ऐच्छिक और शिक्षकों के लिए पारस्परिक स्थानांतरण का प्रावधान किया गया था, लेकिन उसे 3 साल बीत जाने के बावजूद लागू नहीं किया जा सका है.
शिक्षक संगठनों के इस शिक्षक नियमावली के कई बिंदुओं पर आपत्ति और सुझाव निम्न हैं-
विशिष्ट शिक्षक शब्दावली स्वीकार नहींः विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों के लिए प्रयुक्त नई शब्दावली 'विशिष्ट शिक्षक' के बदले BPSC उत्तीर्ण शिक्षकों की भांति 'विद्यालय अध्यापक' ही रखा जाए. विशिष्ट शिक्षक शब्दावली का प्रयोग विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए किया जाता है. ऐसे में ये नया नाम हमें स्वीकार नहीं है,
विद्यालय में दो कोटि के शिक्षक न बनाए जाएंः एक विद्यालय में दो कोटि के शिक्षक न बनाए जाएं. इसलिए अत्यावश्यक है कि एक ही कॉमन नियमावली विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों और बीपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों के लिए बनाया जाए. एक विद्यालय में एक ही संवर्ग के शिक्षक हों. इससे विद्यालय शैक्षणिक वातावरण बेहतर रहता है.
उत्तीर्ण शिक्षकों को समस्थानिक इंडेक्स का मूल वेतनः विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को नए पे-स्ट्रक्चर में वर्तमान में प्राप्त मूल वेतन के समस्थानिक इंडेक्स का मूल वेतन दिया जाए. इससे किसी भी प्रकार की वेतन विसंगति नहीं आएगी और भविष्य में भी आपसी वरीयता को लेकर कोई विवाद नहीं होगा. अन्यथा की स्थिति में बहुतेरे प्रकार के वेतन विसंगति और वरीयता को लेकर विवाद की स्थिति बनेगी.
उत्तीर्ण शिक्षकों को सेवा निरंतरता का लाभ मिलेः विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को सेवा निरंतरता का लाभ दिया जाए और प्रोन्नति को लेकर 2012 नियमावली के तहत प्रावधानों को अक्षुण्ण रखा जाए. स्नातक ग्रेड के शिक्षकों को 5 वर्ष के प्रशिक्षित वेतनमान में सेवा के बाद वरीय स्नातक शिक्षक के पद पर अनिवार्य रूप से प्रोन्नति दी जाए.