पटना: यह कहानी तब से शुरू हुई जब नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने एनडीए से नाता तोड़ते हुए महागठबंधन के साथ मिलकर अपनी नई सरकार बनाई. नीतीश कैबिनेट विस्तार के बाद से तो सरकार के मंत्रियों पर हर दिन कुछ न कुछ नए आरोप लग रहे हैं. एडीआर की रिपोर्ट भी बिहार मंत्रिमंडल में दागी मंत्रियों ( Allegations Against Ministers Of CM Nitish) की तस्दीक कर रही है. जिस दिन मंत्री कार्तिकेय सिंह ने राज्य की नई सरकार में विधि मंत्री के रूप में शपथ ली उस दिन तो दिनभर बयानबाजियों का दौर चलता रहा. मामला इतना बढ़ गया कि इस मामले से सीएम नीतीश ने पल्ला झाड़ लिया और गेंद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) के पाले में डाल दिया.
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कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह का मामला: दरअसल 2014 के एक अपहरण के केस से जुड़े मामले में कार्तिक सिंह को जिस दिन कोर्ट में पेश होना था, उसी दिन वह राजधानी के राजभवन में मंत्री पद की शपथ ले रहे थे. हालांकि उनका दावा था कि उन्हें इस मामले में एक साजिश के तहत फंसाया गया था. इस बात को लेकर विपक्ष ने नीतीश कुमार पर जोरदार प्रहार किया.
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कृषि मंत्री ने भी बढ़ाई मुसीबत: अभी नीतीश कुमार कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के मामले को लेकर हो रहे हमले से संभले भी नहीं थे कि राजद विधायक और प्रदेश में नए कृषि मंत्री बने सुधाकर सिंह पर लगे आरोप भी सामने आ गए. दरअसल सुधाकर सिंह पर साल 2013 में रामगढ़ थाने में एक मुकदमा दर्ज हुआ था. उन पर एसएससी के करोड़ों रुपए का चावल गबन का आरोप है.
आरोप है कि सुधाकर सिंह ने 69 लाख रुपए का चावल स्टेट फूड कॉरपोरेशन में जमा नहीं करवाया था जिसमें 10.50 लाख रुपए की रिकवरी विभाग की तरफ से तो कर ली गई थी लेकिन बाकी बचे रुपयों के लिए कानूनी कार्रवाई की जा रही है. हालांकि सुधाकर सिंह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों का जोरदार तरीके से खंडन भी किया है. मजेदार बात यह है कि जब सुधाकर सिंह के ऊपर केस दर्ज किया गया था उस वक्त बिहार में एनडीए की सरकार थी और उस वक्त भी नीतीश कुमार ही सीएम थे.
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शिक्षा मंत्री पर भी गंभीर आरोप: एक के बाद एक दो मंत्रियों के ऊपर लगे आरोपों के सामने आने के बाद नीतीश कुमार के लिए यह झटके के समान ही था. तभी सूबे के सबसे अहम विभाग में से एक शिक्षा विभाग के नवनियुक्त मंत्री के ऊपर भी आरोप लगे. दरअसल राज्य के नए शिक्षा मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले प्रोफेसर चंद्रशेखर के ऊपर यह आरोप था कि उन्होंने अपने बैग में जिंदा कारतूस रखा था. 21 फरवरी 2019 को दिल्ली एयरपोर्ट थाने में आर्म्स एक्ट और आईपीसी के तहत बैग में छिपाकर जिंदा कारतूस ले जाने के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था. हालांकि बाद में विधायक ने भूल वश बैग में कारतूस रख लेने की दलील दी जिसे स्वीकार कर हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था.
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सुशील मोदी का हमला: वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का कहना था कि जब लाइसेंसी राइफल साथ नहीं था, तब चंद्रशेखर ने इतने कारतूस क्यों छुपा कर रखे थे? उन्होंने यह भी कहा था कि पूछताछ में चंद्रशेखर न तो हथियार का लाइसेंस दिखा पाए और न ही कारतूस ले जाने का कोई अधिकृत पत्र उनके पास था. सुशील कुमार मोदी ने यहां तक कहा कि किताब की जगह कारतूसों का शौक रखने वाले को शिक्षा मंत्री बनाकर नीतीश कुमार युवाओं को सरकारी नौकरी पाने लायक नहीं, बल्कि अपहरण उद्योग चलाने में माहिर बनाना चाहते हैं..
राजनीतिक विशेषज्ञ का बयान: हालांकि ईटीवी भारत ने जब वर्तमान शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से इस बारे में बात करने की कोशिश की तो उन्होंने वक्त की कमी होने का हवाला देकर बात करने से इंकार कर दिया. इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और एक्सपर्ट ओमप्रकाश अश्क कहते हैं, लंबे वक्त से बिहार में सरकार को चला रहे नीतीश कुमार को पहली बार यह एहसास हुआ है कि उनके पास एक बड़ी मजबूरी काम कर रही है.
"मजबूरी के तहत नीतीश कुमार कुछ बोल नहीं पा रहे हैं. उन्होंने अपने दो मंत्रियों को इसलिए हटाया था कि उनके ऊपर भ्रष्टाचार या आपराधिक सांठगांठ के आरोप लगे थे. जिनमें एक मंजू वर्मा थीं. मुजफ्फरपुर सेंटर कांड में जब उनके पति का नाम जुड़ा तो मंजू वर्मा रडार पर आईं और राजद के हंगामे के बाद मंजू वर्मा को हटाने की मजबूरी नीतीश कुमार के सामने आ गई. नीतीश कुमार ने मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाया था. उस समय भी विरोध हुआ और आरजेडी ने ही विरोध किया था. अंततः मेवालाल चौधरी की भी छुट्टी कर दी गई."- ओमप्रकाश अश्क, राजनीतिक विशेषज्ञ
तेजस्वी पर आरोप लगने पर हुए थे अलग: इसके ठीक पहले 2017 की बात करें तो 2015 में नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन जरूर किया था लेकिन 2017 आते-आते जब तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तब नीतीश कुमार ने साफ-साफ कहा था कि तेजस्वी जनता के बीच जाएं और अपनी सफाई देकर लौटें. तब हम सरकार में रहेंगे. इसके बाद ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अपना रिश्ता तोड़ लिया था और बीजेपी के साथ चले आए थे.
बदले-बदले सरकार?: जिन्होंने नीतीश कुमार के तेवर और कामकाज के अंदाज को देखा है, उनको इस बात पर आश्चर्य हो रहा है कि तीन-तीन मंत्रियों पर सवाल उठ रहे हैं लेकिन आखिर सीएम चुप क्यों हैं. बिहार में सीएम नीतीश का जीरो टॉलरेंस का दावा और नई सरकार के पेंच के बीच जनता उलझ रही है. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही सीएम इन तीन बड़े मुद्दों पर संतोषजनक जवाब देंगे या मंत्रियों से जवाब लेंगे.