पटना: असंगठित घरेलू कामगार महिलाएं ज्यादातर जानकारी के अभाव में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाती हैं. जबकि घरेलू हिंसा और कार्यस्थल पर भी प्रताड़ना का शिकार होने वाली ये महिलाएं कई तरह की चुनौतियों का सामना करती हैं. बिहार के पटना में आज शुक्रवार को एन सिन्हा संस्थान में ट्रेड यूनियन के बैनर तले अंतरराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
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घरेलू कामगारों का मनोबल बढ़ाया: इस संगोष्ठी आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में बाल श्रमिक आयोग के अध्यक्ष डॉ चक्रपाणि हिमांशु ने विस्तार से अपनी बातों को रखा. उन्होंने कहा श्रम संसाधन विभाग की विभिन्न लाभकारी योजनाओं की जानकारी हर लोगों तक पहुंचने चाहिए. घरेलू कामगारों का मनोबल बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि आज के शोषण और दोहन के दौर में घर-घर काम महिलाएं करती हैं यह बहुत बहादुरी का कार्य है.
घरेलू कामगारों के लिए पेंशन का मिले लाभ: इस संगोष्ठी आयोजन में उन्होंने प्रमुख रूप से तीन बातों को रखा पहला घरेलू कामगारों का राष्ट्रीय मंच जिसमें सेवा भी एक सक्रिय सदस्य है. राज्य सरकार से मांग विधानसभा में संविधान के अनुच्छेद 252 के अंतर्गत एक प्रस्ताव पारित कर के घरेलू कामगारों के लिए एक केंद्रीय समुचित कानून की मांग का हम समर्थन करते हैं. दूसरा, नियोक्ता के घर को, जहां घरेलू कामगार काम करती है. उसे घरेलू कामगार के कार्यस्थल की मान्यता दी जाए. तीसरा, घरेलू कामगारों के लिए पेंशन और प्रोविडेंट फंड की व्यवस्था की जाए.
लाभकारी योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिए: उन्होंने यह भी कहा कि श्रम संसाधन विभाग के तरफ से जो कार्य राज्य में श्रमिकों के लिए चलाए जा रहे हैं ,उसकी लाभ उन तमाम राज्य के लोगों को मिलनी चाहिए जो श्रमिक हैं साथ ही साथ दूसरे प्रदेशों में भी जाकर के काम करते हैं. श्रम संसाधन विभाग की तरफ से घरेलू कामगार महिलाओं पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है. हर परिवार का मेन सदस्य महिला ही होती है. एक महिला के बदौलत कई घर चलते हैं. घर को सजाने संवारने में महिलाओं का विशेष महत्व है .इसलिए घरेलू कामगार महिलाओं को सरकार के लाभकारी योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिए.