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बिहार एनडीए के लिए सीटों का बंटवारा क्या होगा आसान, या चाचा भतीजा बढ़ाएंगे परेशानी! - bihar politics

Seat Sharing In Bihar NDA:बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए इंडिया गठबंधन के साथ ही एनडीए के सामने भी कई मुश्किलें आ सकती हैं. सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करना आसान नहीं होगा क्योंकि दोनों गठबंधन में कई दल शामिल हैं. एनडीए में सीट बंटवारे के दौरान चाचा भतीजा टेंशन बढ़ा सकते हैं. लंबे समय से दोनों के बीच हाजीपुर सीट को लेकर विवाद चल रहा है.

बिहार एनडीए के लिए सीटों का बंटवारा कितना मुश्किल
बिहार एनडीए के लिए सीटों का बंटवारा होगा मुश्किल
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 22, 2023, 6:19 PM IST

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पटना: 2024 लोकसभा चुनाव की सरगर्मी पूरे देश में दिखने लगी है. बिहार में भी लोकसभा की 40 सीट है. एक तरफ इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच भी अब सीट शेयरिंग पर चर्चा होने लगी है तो वहीं एनडीए में भी लोकसभा की सभी 40 सीटों को जीतने की रणनीति लगातार बन रही है. सीटों का बंटवारा भले ही नहीं हुआ हो लेकिन बीजेपी का प्रचार अभियान शुरू है.

सीट शेयरिंग को लेकर माथापच्ची जारी: दिल्ली में बीजेपी की दो दिनों की बड़ी बैठक भी हो रही है और नए साल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी बिहार दौरा होना है. 12 जनवरी को अमित शाह बिहार का दौरा कर सकते हैं. दूसरी तरफ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी बिहार दौरा कर रहे हैं. वहीं भाजपा अपनी चुनावी रणनीति के हिसाब से बिहार में भी काम कर रही है.

अमित शाह और जीतन राम मांझी की तस्वीर
अमित शाह और जीतन राम मांझी की तस्वीर

एनडीए के घटक दल बढ़ा सकते हैं परेशानी: एनडीए में बीजेपी के साथ लोजपा का दोनों गुट, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और जीतन मांझी की पार्टी है. 2019 में लोजपा को 6 सीट दिया गया था, लेकिन इस बार चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच हाजीपुर को लेकर ही विवाद है. जीतन राम मांझी भी गया और जमुई सीट चाहते हैं तो वही उपेंद्र कुशवाहा भी 2014 में मिले तीन सीट पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं.

चिराग और पारस के बीच भी जंग जारी: हाजीपुर सीट को लेकर चाचा भतीजा के बीच विवाद किसी से छिपा नहीं है. लेकिन बीजेपी के नेता कह रहे हैं एनडीए में सीट बंटवारा कोई समस्या नहीं है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि चाचा भतीजा के बीच जो विवाद है उसे सही समय पर सुलझा लिया जाएगा.

चिराग पासवान और अमित शाह की तस्वीर
चिराग पासवान और अमित शाह की तस्वीर

"नरेंद्र मोदी के नाम पर सभी एकजुट हैं क्योंकि सभी नरेंद्र मोदी को 2024 में फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए ही काम कर रहे हैं."-प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता भाजपा

"दिल्ली में दो दिनों तक सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री मंथन करेंगे. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से फीडबैक लेंगे. एनडीए में सीट बंटवारा समय पर हो जाएगा. इंडी अलायंस की तरह यहां कोई विवाद नहीं है."- राकेश सिंह, प्रवक्ता भाजपा

मांझी की नजर इन सीटों पर: वही जीतन राम मांझी की पार्टी हम के प्रवक्ता विजय यादव का कहना है कि अभी सीट बंटवारा को लेकर हम लोगों से कोई बातचीत नहीं हुई है. 14 जनवरी के बाद सीट बंटवारा पर फैसला होने की संभावना है. ऐसे जीतन राम मांझी की नजर गया और जमुई सीट पर है. जमुई सीट लोजपा के चिराग पासवान के पास है इसलिए मिलना संभव नहीं है. इसलिए एक मात्र गया सीट मिल जाए तो हम के लिए वही बहुत होगा.

"एनडीए में सीट बंटवारा में बहुत अधिक विवाद नहीं है. हाजीपुर सीट को लेकर चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच जरूर झंझट है. चिराग पासवान तो जमुई से ही सांसद हैं इसलिए बीजेपी जो देगी मानना पड़ेगा."- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

हाजीपुर सीट को लेकर किचकिच: वहीं लोजपा के दोनों गुट की बात करें तो चिराग पासवान लगातार कहते रहे हैं कि हाजीपुर सीट पर उनकी दावेदारी है तो वहीं किसी कीमत पर पशुपति पारस हाजीपुर सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. पशुपति पारस इस बार भी हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं.

काराकाट सीट को लेकर भी विवाद: उपेंद्र कुशवाहा 2014 में एनडीए में थे और उस समय उन्हें तीन लोकसभा की सीट मिली थी, जिस पर जीत हासिल हुई थी. लेकिन 2019 में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग हो गए और महा गठबंधन खेमे के साथ चले गए क्योंकि नीतीश कुमार एनडीए में आ गए थे. उपेंद्र कुशवाहा की नजर इस बार भी काराकाट, जहानाबाद पर विशेष रूप से है. उपेंद्र कुशवाहा 2014 में काराकाट से सांसद बने थे जब nda में थे. लेकिन 2019 में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग होने के कारण इस सीट पर महाबली सिंह से चुनाव हार गए थे. अब फिर से इस सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX
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सीट शेयरिंग से पहले शीर्ष नेता कर सकते हैं शिरकत: 2019 में बीजेपी के साथ रहते हुए जदयू ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी की नजर जदयू की उन सीटों पर है. खासकर सीमांचल, कोसी और भागलपुर के इलाके की सीटों पर जहां जदयू का कब्जा है विशेष रूप से बीजेपी तैयारी कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सीमांचल से ही बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद पहली बार दौरा शुरू किया था. अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बिहार में अगले साल कई कार्यक्रम करने की तैयारी बीजेपी की ओर से है.

एनडीए में सीट बंटवारा: एनडीए में सीट बंटवारा पर फैसला 15 जनवरी के बाद ही लिया जाएगा. क्योंकि मकर संक्रांति से पहले कोई शुभ काम नहीं किया जाता है. वहीं सीट बंटवारे से पहले दिल्ली में 22 और 23 दिसंबर दो दिनों तक बीजेपी की बड़ी बैठक आयोजित है. पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री से फीडबैक ले रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जनवरी में बिहार का दौरा प्रस्तावित है और दौरा के बाद फैसला लिए जाने की संभावना है. बीजेपी 30 से अधिक सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी. लोजपा को 6 सीट उपेंद्र कुशवाहा को दो सीट और एक सीट जीतन राम मांझी को देने की संभावना है.

30 से अधिक सीटों पर बीजेपी लड़ेगी चुनाव!: बिहार में बीजेपी की 17 सीटिंग सीट है. वहीं लोजपा के पास दोनों गुटों को मिलाकर 6 सीट है. इस तरह देखें तो एनडीए के पास कुल 23 लोकसभा की सीटें हैं. बिहार में 30 से अधिक सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. 6 सीट चिराग पासवान और पशुपति पारस को फिर से दिया जाएगा. दो सीट उपेंद्र कुशवाहा को देने की तैयारी है और एक सीट जीतन राम मांझी की पार्टी को मिल सकता है.

2019 में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन: 2019 में एनडीए ने 40 में से 39 सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन उस समय नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे. इस बार नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव के साथ हैं. इसलिए 2019 के मुकाबले 2024 में बीजेपी के लिए चुनौती अधिक है और बीजेपी उसी के हिसाब से तैयारी भी कर रही है.

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सीट शेयरिंग को लेकर माथापच्ची जारी: दिल्ली में बीजेपी की दो दिनों की बड़ी बैठक भी हो रही है और नए साल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी बिहार दौरा होना है. 12 जनवरी को अमित शाह बिहार का दौरा कर सकते हैं. दूसरी तरफ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी बिहार दौरा कर रहे हैं. वहीं भाजपा अपनी चुनावी रणनीति के हिसाब से बिहार में भी काम कर रही है.

अमित शाह और जीतन राम मांझी की तस्वीर
अमित शाह और जीतन राम मांझी की तस्वीर

एनडीए के घटक दल बढ़ा सकते हैं परेशानी: एनडीए में बीजेपी के साथ लोजपा का दोनों गुट, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और जीतन मांझी की पार्टी है. 2019 में लोजपा को 6 सीट दिया गया था, लेकिन इस बार चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच हाजीपुर को लेकर ही विवाद है. जीतन राम मांझी भी गया और जमुई सीट चाहते हैं तो वही उपेंद्र कुशवाहा भी 2014 में मिले तीन सीट पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं.

चिराग और पारस के बीच भी जंग जारी: हाजीपुर सीट को लेकर चाचा भतीजा के बीच विवाद किसी से छिपा नहीं है. लेकिन बीजेपी के नेता कह रहे हैं एनडीए में सीट बंटवारा कोई समस्या नहीं है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि चाचा भतीजा के बीच जो विवाद है उसे सही समय पर सुलझा लिया जाएगा.

चिराग पासवान और अमित शाह की तस्वीर
चिराग पासवान और अमित शाह की तस्वीर

"नरेंद्र मोदी के नाम पर सभी एकजुट हैं क्योंकि सभी नरेंद्र मोदी को 2024 में फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए ही काम कर रहे हैं."-प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता भाजपा

"दिल्ली में दो दिनों तक सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री मंथन करेंगे. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से फीडबैक लेंगे. एनडीए में सीट बंटवारा समय पर हो जाएगा. इंडी अलायंस की तरह यहां कोई विवाद नहीं है."- राकेश सिंह, प्रवक्ता भाजपा

मांझी की नजर इन सीटों पर: वही जीतन राम मांझी की पार्टी हम के प्रवक्ता विजय यादव का कहना है कि अभी सीट बंटवारा को लेकर हम लोगों से कोई बातचीत नहीं हुई है. 14 जनवरी के बाद सीट बंटवारा पर फैसला होने की संभावना है. ऐसे जीतन राम मांझी की नजर गया और जमुई सीट पर है. जमुई सीट लोजपा के चिराग पासवान के पास है इसलिए मिलना संभव नहीं है. इसलिए एक मात्र गया सीट मिल जाए तो हम के लिए वही बहुत होगा.

"एनडीए में सीट बंटवारा में बहुत अधिक विवाद नहीं है. हाजीपुर सीट को लेकर चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच जरूर झंझट है. चिराग पासवान तो जमुई से ही सांसद हैं इसलिए बीजेपी जो देगी मानना पड़ेगा."- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

हाजीपुर सीट को लेकर किचकिच: वहीं लोजपा के दोनों गुट की बात करें तो चिराग पासवान लगातार कहते रहे हैं कि हाजीपुर सीट पर उनकी दावेदारी है तो वहीं किसी कीमत पर पशुपति पारस हाजीपुर सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. पशुपति पारस इस बार भी हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं.

काराकाट सीट को लेकर भी विवाद: उपेंद्र कुशवाहा 2014 में एनडीए में थे और उस समय उन्हें तीन लोकसभा की सीट मिली थी, जिस पर जीत हासिल हुई थी. लेकिन 2019 में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग हो गए और महा गठबंधन खेमे के साथ चले गए क्योंकि नीतीश कुमार एनडीए में आ गए थे. उपेंद्र कुशवाहा की नजर इस बार भी काराकाट, जहानाबाद पर विशेष रूप से है. उपेंद्र कुशवाहा 2014 में काराकाट से सांसद बने थे जब nda में थे. लेकिन 2019 में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग होने के कारण इस सीट पर महाबली सिंह से चुनाव हार गए थे. अब फिर से इस सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

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सीट शेयरिंग से पहले शीर्ष नेता कर सकते हैं शिरकत: 2019 में बीजेपी के साथ रहते हुए जदयू ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी की नजर जदयू की उन सीटों पर है. खासकर सीमांचल, कोसी और भागलपुर के इलाके की सीटों पर जहां जदयू का कब्जा है विशेष रूप से बीजेपी तैयारी कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सीमांचल से ही बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद पहली बार दौरा शुरू किया था. अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बिहार में अगले साल कई कार्यक्रम करने की तैयारी बीजेपी की ओर से है.

एनडीए में सीट बंटवारा: एनडीए में सीट बंटवारा पर फैसला 15 जनवरी के बाद ही लिया जाएगा. क्योंकि मकर संक्रांति से पहले कोई शुभ काम नहीं किया जाता है. वहीं सीट बंटवारे से पहले दिल्ली में 22 और 23 दिसंबर दो दिनों तक बीजेपी की बड़ी बैठक आयोजित है. पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री से फीडबैक ले रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जनवरी में बिहार का दौरा प्रस्तावित है और दौरा के बाद फैसला लिए जाने की संभावना है. बीजेपी 30 से अधिक सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी. लोजपा को 6 सीट उपेंद्र कुशवाहा को दो सीट और एक सीट जीतन राम मांझी को देने की संभावना है.

30 से अधिक सीटों पर बीजेपी लड़ेगी चुनाव!: बिहार में बीजेपी की 17 सीटिंग सीट है. वहीं लोजपा के पास दोनों गुटों को मिलाकर 6 सीट है. इस तरह देखें तो एनडीए के पास कुल 23 लोकसभा की सीटें हैं. बिहार में 30 से अधिक सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. 6 सीट चिराग पासवान और पशुपति पारस को फिर से दिया जाएगा. दो सीट उपेंद्र कुशवाहा को देने की तैयारी है और एक सीट जीतन राम मांझी की पार्टी को मिल सकता है.

2019 में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन: 2019 में एनडीए ने 40 में से 39 सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन उस समय नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे. इस बार नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव के साथ हैं. इसलिए 2019 के मुकाबले 2024 में बीजेपी के लिए चुनौती अधिक है और बीजेपी उसी के हिसाब से तैयारी भी कर रही है.

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