पटना: हाल के कुछ वर्षों में बीपीएससी ने बिहार सरकार की खूब फजीहत कराई है. शायद ही ऐसी कोई परीक्षा हुई होगी, जिसका प्रश्न पत्र लीक नहीं हुआ हो. प्रश्न पत्र लीक बिहार लोक सेवा आयोग की फितरत बन गई थी. प्रश्न पत्र लीक से इतर बीपीएससी में घोटाले का मामला भी प्रकाश में आया है. आरटीआई के जरिए करोड़ों रुपये का घोटाला प्रकाश में आया है. महालेखा परीक्षक ने जांच के दौरान कई तरह की अनियमितता पाई गई है.
एक करोड़ 58 लाख का घोटाला: जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि एक करोड़ 58 लाख का घोटाला हो गया. साल 2019-20 और साल 2020-21 के दौरान विभिन्न परीक्षा केंद्रों को अग्रिम राशि के रूप में भुगतान किया गया था. वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 4 करोड़ 44 लाख 38000 अग्रिम राशि के रूप में भुगतान किए गए. ठीक अगले साल 2020-21 में 6 करोड़ 17 लाख 51000 भुगतान कर दिए गए. एक वर्ष के अंदर पौने दो करोड़ की वृद्धि कैसे हो गई, यह सवाल भी उठाया गया. कुल मिलाकर 6 करोड़ 58 लाख का समायोजन नहीं किया गया.
एसी डीसी बिल का समायोजन नहीं हुआ: नियम के मुताबिक समायोजन उसी वित्तीय वर्ष में करना था. एक बड़ी गड़बड़ी पाई गई कि 2008-9 से 2020-21 तक एसी डीसी बिल का समायोजन नहीं किया जा सका है. समायोजन लगभग 12 वर्षों से लंबित है. कुल मिलाकर 6 करोड़ 6 लाख का समायोजन नहीं किया जा सका है. नियम के मुताबिक 6 महीने के अंदर बिल का समायोजन हो जाना चाहिए था. पहले बिल के समायोजन के बाद ही दूसरी निकासी की जानी चाहिए लेकिन आयोग ने ऐसा नहीं किया, जो घोटाले की श्रेणी में आता है.
सरकार को साढ़े 45 लाख का नुकसान: विज्ञापन मद में 45 लाख का घोटाला सामने आया है. आयोग को विज्ञापन मध्य में 3 करोड़ से अधिक रकम का भुगतान करना था. भुगतान 15% काटकर किया जाना था लेकिन बिना काटे भुगतान कर दिया गया, जिससे सरकार को साढ़े 45 लाख का नुकसान हुआ.
दैनिक पारिश्रमिक मद में भी गड़बड़ी: वहीं, दैनिक पारिश्रमिक पर रखे गए सेवानिवृत्त कर्मियों के अनियमित भुगतान से इस सरकार को नुकसान हुआ है. बिहार सरकार के संकल्प संख्या 5940 के मुताबिक अनियमित रूप से कार्य कर रहे दैनिक वेतन भोगी नियुक्ति रद्द करने को कहा गया था. सभी प्रकार के दैनिक वेतन भोगियों को दिनांक 16 जून 2006 से 1 माह के अंदर हटा दिए जाने का निर्देश दिया गया था. इसके बावजूद विभिन्न कार्यालयों में दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के कार्य करने की सूचना सामने आ रही थी, बावजूद इसके दैनिक पारिश्रमिक मद में 63. 18 लाख का भुगतान कर दिया गया.
सरकार को राजस्व की क्षति: प्रोग्रामर के पद पर अवैध रूप से रखे जाने के कारण सरकार को राजस्व की क्षति हुई और 26 लाख का घोटाला हुआ. इसके अलावा 1 लाख 31000 का पोस्टल आर्डर बर्बाद हो गया और समय रहते इसे जमा नहीं किया जा सका. सूचना के अधिकार के तहत पोस्टल आर्डर प्राप्त हुए थे.
मंत्री की मामले की जानकारी नहीं: आरटीआई एक्टिविस्ट श्री प्रकाश राय ने बताया कि बीपीएससी में करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है, सीएजी ने गड़बड़ी को पकड़ा है. बिहार लोक सेवा आयोग में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता हुई है, जो घोटाले की श्रेणी में आता है. 39 लाख रुपए की खरीदारी की गई लेकिन बिल प्रस्तुत नहीं किए गए. ऐसे दर्जनों मामले हैं, जिससे बीपीएससी की कलई खुलती दिखती है. श्री प्रकाश राय ने कहा कि करोड़ों रुपये के इस घोटाले की जांच सरकार को करानी चाहिए. वहीं, समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी से जब घोटाले की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि मुझे इस बाबत कोई जानकारी नहीं है. अगर गड़बड़ी हुई होगी तो जांच कराई जाएगी.