नई दिल्ली/पटना: सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा (COVID ex gratia amount) नहीं देने पर राज्य सरकारों पर कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को दोपहर 2 बजे ऑनलाइन पेश होने और स्पष्टीकरण देने को कहा है. साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. साथ ही पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार और आंध्रप्रदेश के मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगा है कि कोरोना काल में मौत के मामले में मृतकों के परिजनों को 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि का वितरण उनके राज्यों में कम क्यों हुआ है. कोर्ट की नई गाइडलाइंस जारी करने के बाद कई राज्यों में कोरोना से मौतों के आंकड़े बढ़े हैं. सरकारी आंकड़े कम हैं, लेकिन दावे ज्यादा आए हैं. अब आंध्र प्रदेश और बिहार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है.
गौरतलब है कि इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से हुई मौतों पर मुआवजे के मामले (COVID ex gratia amount) में महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई थी. महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में 85,000 आवेदन मिले थे लेकिन सिर्फ 1,658 आवेदकों को ही अनुग्रह राशि (ex gratia amount) दिया गया. यानि आवेदन करने वालों में से सिर्फ 2 फीसदी को ही ये राशि मिली है. इसे "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण" बताते हुए, अदालत ने राज्य को उन सभी आवेदकों को 50,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया, जिन्होंने आज तक आवेदन जमा किया है. इसके लिए 10 दिन का वक्त दिया गया है.
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जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली पीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने कोविड 19 के कारण मरने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये के वितरण का आदेश दिया था. यूपी सरकार ने अदालत को बताया कि 22,911 मौतों में से 20,060 आवेदकों को लाभ दिया गया है और इसके लिए तहसीलदार का टोल फ्री नंबर जारी किया गया है. कोर्ट ने किसी के कॉल न उठाने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि स्थानीय समाचार पत्रों में इस तरह के सभी विवरणों के साथ शिकायत निवारण समिति, पोर्टल विवरण आदि के विज्ञापन दिए जाने चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि वह विज्ञापन, व्यापक प्रचार, आवेदन कहां करना है आदि के बारे में चिंतित है और विज्ञापन एक या दो पंक्तियों के नहीं होने चाहिए, बल्कि विज्ञापन में इससे जुड़ा पूरा विवरण होना चाहिए. गुजरात सरकार की तरफ से बताया गया कि उसने 97 समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किए और 40,467 आवेदन प्राप्त किए. कोर्ट ने राज्य की सराहना करते हुए कहा कि वह राज्य के विज्ञापनों से संतुष्ट है. कोर्ट ने गुजरात के वकील को विज्ञापन के प्रारूप व दूसरी जानकारी अन्य राज्यों के साथ साझा करने को कहा, ताकि वे राज्य भी उसका पालन कर सकें.कोर्ट ने कहा कि विज्ञापनों के बाद गुजरात में आवेदनों में वृद्धि हुई है, 24,000 आवेदकों को भुगतान हो चुका है जबकि अन्य को एक सप्ताह में भुगतान हो जाएगा.
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बिहार सरकार ने बताया कि उसे 12,090 आवेदन मिले थे, जिनमें से 90 फीसदी को भुगतान हो चुका है. अदालत ने राज्य सरकार को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा कि बाकी का भुगतान किया जाए और विज्ञापनों का विवरण भी जमा किया जाए. एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को यह भी बताया कि मौतों की संख्या की गलत रिपोर्टिंग हुई है जिस पर अदालत ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी नहीं करेगी. कोर्ट ने कहा कि एक आम आदमी के नजरिए से हर कोई कहेगा कि मौतों का आंकड़ा कम रिपोर्ट हुआ है. इसके कारण हो सकते हैं लेकिन वह उस पर टिप्पणी करने से परहेज करेगा. कोर्ट ने कहा कि मुख्य मुद्दा अधिकतम लोगों को लाभ पहुंचाना है. एक कल्याणकारी राज्य के रूप में, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि लोगों को अधिक नुकसान न हो. कोर्ट ने कहा कि यह संतोषजनक है अगर ये आदेश लोगों की मदद करता है.
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