पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) की पहली पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के प्रदेश कार्यालय में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. राजद के नेता और कार्यकर्ताओं ने रघुवंश बाबू की तस्वीर पर फूल और माला चढ़ाकर उन्हें याद किया. पार्टी के वरिष्ठ नेता भोला यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज देश भर में ग्रामीण सड़कों का कायाकल्प अगर हुआ है तो उसमें सबसे बड़ी भूमिका रघुवंश प्रसाद सिंह की थी.
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पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी रघुवंश बाबू को श्रद्धांजलि दी. जगदानंद सिंह ने कहा कि रघुवंश प्रसाद सिंह जिंदगी भर राष्ट्रीय जनता दल के हो कर रहे.
'कुछ लोगों ने उनके पत्र को उनका पार्टी से इस्तीफा समझ लिया था जबकि ऐसी कोई बात नहीं थी. दरअसल उन्होंने अपनी मौत को सामने देखकर लालू यादव से इस बात का जिक्र किया था कि वह अब आगे उनका साथ नहीं दे पाएंगे.'- जगदानंद सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, राजद
गौरतलब है कि जगदानंद सिंह के कामकाज के तरीके को लेकर रघुवंश प्रसाद सिंह ने कई बार सवाल उठाए थे. जगदानंद सिंह के अनुशासन के साथ काम करने के तौर तरीके और पार्टी कार्यालय में लागू नए सिस्टम को लेकर रघुवंश बाबू ने कहा था कि पार्टी में कार्यकर्ताओं को आने से रोका जाता है जो कहीं से उचित नहीं है. रघुवर सिंह ने जगदानंद सिंह की कार्यशैली को लेकर कई बार सवाल खड़े किए थे. लालू प्रसाद यादव ने इन दोनों नेताओं को मिलकर काम करने लिए कई बार प्रयास किया लेकिन आखिरकार मौत से पहले पार्टी के क्रियाकलापों से नाराज रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू यादव को खुद पत्र लिख कर पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.
रघुवंश बाबू समाजिक न्याय की धारा के एक मजबूत स्तंभ थे. आज उनकी पुण्यतिथि है हमलोग उनको याद कर रहे हैं. सड़कों का जाल गांवों में बिछाया गया इसमें रघुवंश बाबू का बड़ा योगदान है. हमलोग जितने भी राष्ट्रीय जनता दल के उनके सिपाही हैं उनको सब याद कर रहे हैं और उनके बताये गए रास्ते पर हमलोग चलने के लिए अग्रसर हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.- भोला यादव, राजद नेता
रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफा देने के प्रकरण पर तेज प्रताप यादव के बयान ने आग में घी का काम किया था. तेज प्रताप यादव ने कहा था कि अगर समुंदर रूपी राजद से एक लोटा जल निकल जाए तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. इसके बाद रघुवंश प्रसाद सिंह खासे नाराज हो गए थे और उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लेने से भी इनकार कर दिया था.
भाजपा नेता विनोद कुमार ने आरोप लगाया कि रघुवंश बाबू को जीते जी राजद ने सम्मान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि राजद में बड़े और वरिष्ठ नेताओं का लगातार अपमान होता रहा है. पहले रघुवंश बाबू का होता था और अब जगदानंद सिंह जैसे नेताओं का हो रहा है.
पूरी दुनिया जानती है कि रघुवंश बाबू को कई बार अपमानित किया गया. कहा गया कि वे एक लोटा पानी की तरह हैं और उनके निकलने से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है. वे काफी अंदर से दुखी थे चूंकि उन्होंने लंबे समय तक लालू जी का साथ दिया था. उसके बाद भी उन्हें अपमानित होकर उस पार्टी से विरक्ति लेनी पड़ी. लेकिन अब भी राजद के लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर रहे कि उनका अपमान हुआ था.- विनोद कुमार, भाजपा नेता
इधर पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने एनडीए नेताओं पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि जो लोग रघुवंश बाबू और दिग्विजय बाबू जैसे नेताओं का लगातार अपमान करते रहे वह किस मुंह से रघुवंश बाबू का नाम लेते हैं.। राजद नेता ने कहा कि रघुवंश बाबू राष्ट्रीय जनता दल के थे और रहेंगे स्वर्ग से भी वे तेजस्वी यादव को आशीर्वाद दे रहे हैं.
रणीय रघुवंश बाबू ने अपनी जुबान से अगर कहीं कुछ बोला हो तो वो एनडीए वाले, हमारे विरोधियों को मेरी चुनौती है दिखा दें. नकली फर्जी पत्र बनाकर अंतिम समय में वो जो प्यार उमड़ रहा था रघुवंश बाबू को अपमानित करने वाले लोग दिग्विजय बाबू को अपमानित करने वाले लोग ये लोग क्या बात करेंगे ये किसी के नहीं हैं. रघुवंश बाबू हमारे नेता थे और रहेंगे. स्वर्गलोक से तेजस्वी को आशिर्वाद दे रहे हैं. जो लोग लार टपका रहे हैं कि ये सब कुछ बोलकर कुछ मिल जाएगा, कुछ मिलने वाला नहीं हैं.- मृत्युंजय तिवारी प्रदेश प्रवक्ता राजद
गौरतलब है कि जब रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस्तीफा दिया था, उस समय भी लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने एक बयान दिया था. उन्होंने रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे पर कहा था कि समंदर में से अगर एक लोटा जल निकल जाए तो इससे समंदर पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. रघुवंश सिंह इस बयान से इतने आहत हुए थे कि उन्होंने लालू यादव को सीधे अपना इस्तीफा भेज दिया था. उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें बेकार साबित हुई थीं.
बता दें कि डॉक्टर रघुवंश प्रसाद का जन्म 6 जून 1946 को वैशाली जिले के शाहपुर गांव में हुआ था. उन्होंने एलएस कॉलेज और राजेंद्र कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद गणित विषय से पीएचडी की डिग्री ली. उसके बाद उन्होंने 1969 से 1974 तक सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर रहते हुए गणित पढ़ाया. पहली बार शिक्षक आंदोलन के दौरान 1970 में जेल गए और पहली बार 1977 में सीतामढ़ी के बेलसंड विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने.
वे बेलसंड विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक चुने गए. कर्पूरी ठाकुर की सरकार में उन्हें बिजली मंत्री का पद मिला. 1994 से 1995 तक विधान परिषद में कार्यकारी सभापति रहे. 1995 से 1996 तक राज्य सरकार में आपदा, बिजली और पुनर्वास विभाग के मंत्री रहे. 1996 में वैशाली से लोकसभा चुनाव जीते और 1998 तक राज्य मंत्री के पद पर रहे. 1998 में दोबारा और 1999 में तीसरी बार सांसद चुने गए. 2004 में चौथी बार रघुवंश प्रसाद लोकसभा पहुंचे और 5 साल ग्रामीण विकास मंत्री रहे. 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए वैशाली से पांचवीं बार सांसद चुने गए.
इस तरह रघुवंश बाबू 5 बार वैशाली से सांसद रह चुके थे. मंत्री रहते हुए वे वैशाली के विकास के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे. उन्होंने अपने अंतिम समय में भी बिहार सरकार पत्र लिखकर वैशाली में 15 अगस्त और 26 जनवरी को सीएम के द्वारा झंडोत्तोलन की इच्छा जाहिर की थी. वहीं, लॉकडाउन के दौरान उन्होंने खेती किसानी को मनरेगा के दायरे में लाने की मांग की थी.
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