पटना: शिक्षा में सुधार (Improve Education) हो सके इसके लिए, अब तीन विश्वविद्यालय (Three University) के चांसलर (Chancellor) सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) होंगे. विधानसभा, (Assembly) विधान परिषद (Legislative Assembly) से इस प्रस्ताव की मंजूरी मिल गई है. जिसके बाद राजद (RJD) ने सरकार (Bihar Government) के इस फैसले पर कटाक्ष किया है.
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राजद विधायक सुधाकर सिंह ने कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए नहीं बल्कि शिक्षा में बंटवारा के लिए सीएम नीतीश कुमार तीन विश्वविद्यालय के चांसलर बने हैं जो नियमानुकूल नहीं है.
'सीएम नीतीश कुमार जिस तरह से सभी नियमों को ताख पर रखकर तीन विश्वविद्यालय का चांसलर बने हैं. इससे शिक्षा में सुधार नहीं होगा बल्कि सीएम नीतीश कुमार शिक्षा में बंटवारा के लिए तीन विश्वविद्यालय के चांसलर बने हैं.' : सुधाकर सिंह, राजद विधायक
'अब तक देश भर में उच्च शिक्षा को लेकर बहस चल रही थी, यह संस्था स्वायत्त कैसे हो इस पर चर्चा होनी चाहिए थी. चांसलर का पद राज्य के नियंत्रण में नहीं होना चाहिए. यह शुरू से ही परंपरा रही है. देश के संविधान विशेषज्ञों ने इसकी कल्पना की थी, किसी भी राजनीतिक दल के पास यह पद नहीं होना चाहिए .सारी परंपराओं को दरकिनार कर बिहार के मुख्यमंत्री चांसलर के पद पर बैठ गए. चांसलर का पद दुनिया के जो विद्वान होते हैं उनके पास होता है.' : सुधाकर सिंह, राजद विधायक
राजद विधायक (RJD MLA) ने सीएम नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि जिनका हाथ-पैर सभी भ्रष्टाचार में लिप्त है और जब ऐसे लोग विश्वविद्यालय के चांसलर बन जाए तो उच्च शिक्षा का बंटाधार होना तय है. उन्होंने कहा कि चांसलर का पद राज्यपाल के पास इसलिए होता है. संविधान में उन्हें निष्पक्ष होने का भाव दिया गया है. इसलिए यह पद उनके पास रहता है. राज्यपाल निष्पक्ष है या नहीं यह तो बाद की बात है. लेकिन मुख्यमंत्री निष्पक्ष कैसे हो सकते हैं. यह सबसे बड़ा सवाल है.
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इतना ही नहीं राजद विधायक ने ये भी कहा कि बिहार में उच्च शिक्षा का स्तर कहां है इनके शासनकाल में उच्च शिक्षा पूरी तरह से चौपट हो चुकी है. कोई भी विश्वविद्यालय को देख लीजिए कहीं भवन की समस्या है तो कहीं प्रोफेसर की कमी है.
राजद विधायक सुधाकर सिंह ने कहा कि ऐसे में बिहार के बच्चे बाहर जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं. हमारे यहां के जब बच्चे दूसरे राज्यों में जाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. इससे हमारे यहां योग्यता विद्वता के साथ पूंजी का भी पलायन होता है. इसलिए यह कहना कि तीन विश्वविद्यालय के नीतीश कुमार को चांसलर बन जाने से शिक्षा में सुधार हो सकता है, मैं नहीं मानता. केवल भ्रष्टाचार में हिस्सेदारी को लेकर वह तीन विश्वविद्यालय के चांसलर बने हैं हम लोग यही मानते हैं.
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