पटना: संपूर्ण क्रांति आंदोलन के महानायक जयप्रकाश नारायण को आज पूरा देश याद कर रहा है. उनकी उपलब्धियों की चर्चा हो रही है. लेकिन लोहिया वादी और समाजवादी नेता जेपी के एक गलती से दुखी हैं. आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का मानना है कि पटना के छात्र आंदोलन में ही इसकी झलक दिख गई थी.
शिवानंद तिवारी का कहना है कि जेपी के छात्र आंदोलन में एबीवीपी ने बढ़चढ़ का हिस्सा लिया जो आरआरएस का अंग है. 1974 के आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सहयोग किया. आरजेडी नेता कहते हैं कि अगर जयप्रकाश नारायण संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान एक गलती ना की होती तो आज बीजेपी यहां नहीं पहुंच पाती. शिवानंद तिवारी ने बताया कि 1974 के आंदोलन के दौरान जेपी ने एबीवीपी का सहयोग करते हुए कहा था कि आरआरएस फासिस्ट है तो मैं भी फासिस्ट हूं.
लोहिया ने भी समझौता कर की थी गलती
आरजेडी उपाध्यक्ष ने कहा कि बड़े लोगों की एक छोटी गलती का परिणाम बड़ा होता है. बीजेपी और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के बीच हुए समझौते का जिक्र करते हुए शिवानंद ने बताया कि उनके इस कदम का मधु लिमये ने विरोध किया. मधु ने कहा था कि ये लोग फासिस्ट लोग हैं. इनसे हाथ मिलाना ठीक नहीं है. हालांकि लोहिया ने इसे एक प्रयोग के तौर पर लिया. हालांकि जेपी के आंदोलन के बाद तस्वीर काफी हद तक साफ हो गई.
RSS-ABVP से मेलजोल बढ़ा रहे थे जेपी
आरजेडी उपाध्यक्ष के मुताबिक जेपी के आंदोलन में एबीवीपी और जनता युवा मोर्चा के छात्र एक जगह रहते थे जबकि बाकी संगठन अलग. इसकी शिकायत जयप्रकाश से की गई. जेपी ने छात्र संगठनों के बीच सुलह का जिम्मा नारायण भाई देसाई को दिया. आरजेडी उपाध्यक्ष ने कहा कि जब आंदोलन के दौरान जेपी आरएसएस अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से मेलजोल बढ़ा रहे थे तब हम लोगों ने उसका विरोध भी किया था.
RSS के कारण जनता पार्टी में टूट
शिवानंद तिवारी के मुताबिक आरआरएस को लेकर जेपी की टिप्पणी, आरआरएस फासिस्ट है तो मैं भी फासिस्ट हूं ने प्रमाणपत्र दे दिया. यहीं से आरएसएस के ताकत में बढ़ोतरी हुई. उन्होंने बताया कि आरएसएस के सवाल पर ही जनता पार्टी के दो टुकड़े हुए.