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सभी सवालों पर शिवानंद ने लगाया विराम- 'तेजस्वी का दूसरा कोई विकल्प नहीं' - नरेंद्र मोदीट

ईटीवी भारत से EXCLUSIVE बातचीत में शिवानंद तिवारी ने कहा कि कुछ दिनों पहले ही अमित शाह वैशाली आए थे. उन्होंने जिस तरह से भाषण दिया, उसे सबने सुना. नरेंद्र मोदी और गिरिराज सिंह सभी ऐसी ही भाषा का प्रयोग करते हैं.

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Published : Jan 23, 2020, 10:11 AM IST

Updated : Jan 23, 2020, 3:26 PM IST

पटना: आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बिहार समेत देश की राजनीति पर अपने विचार व्यक्त किए. ईटीवी भारत बिहार के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने उनसे खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई सवाल किए. शिवानंद तिवारी ने बेबाकी से उन सवालों के जवाब दिए. साथ ही अपनी राय भी बताई.

पढ़ें बातचीत के खास अंश:
सवाल: वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में आरजेडी की मौजूदा स्थिति क्या है?
जवाब: आरजेडी की उपस्थिति को मैं केवल बिहार में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में देखता हूं. साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तब से देश में एक सांप्रदायिक और तनाव का माहौल है. इस सरकार ने सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण किया है. संविधान और लोकतंत्र के प्रति इन्हें कोई आस्था नहीं है. विविधता वाले देश में ये सही नहीं है.

शिवानंद तिवारी का EXCLUSIVE इंटरव्यू सिर्फ ईटीवी भारत पर

सवाल: जो स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर है क्या वह बिहार में भी है?
जवाब:
जी...पूरे देश में यही हालात हैं तो बिहार अलग थोड़ी है. कुछ दिनों पहले ही अमित शाह वैशाली आए थे. उन्होंने जिस तरह से भाषण दिया, उसे सबने सुना. नरेंद्र मोदी और गिरिराज सिंह सभी ऐसी ही भाषा का प्रयोग करते हैं.

सवाल: इन हालातों में आरजेडी की क्या भूमिका है?
जवाब:
केवल आरजेडी ही है जो इसके खिलाफ मजबूती से खड़ी है. लालू यादव भले ही आज जेल में हैं लेकिन, पार्टी का बिहार में अब भी जनाधार हैं. लालू यादव ने कभी क्मयूनिलिज्म से समझौता नहीं किया. वे आज भी बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ लड़ रहे हैं.

सवाल: तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर बार-बार सवाल उठाया जाता है.
जवाब:
ऐसा कुछ नहीं है, अगर तेजस्वी का नेतृत्व नहीं चाहिए तो दूसरा है कौन? पार्टी के अंदर कोई विवाद नहीं है. अगर रघुवंश प्रसाद सवाल उठाते हैं तो इसका मतलब ये थोड़ी है कि वे चाहते हैं कि उन्हें तेजस्वी की जगह पर बैठा दिया जाए. विकल्प नहीं है. जहां तक मेरे सवाल उठाने की बात है तो उस समय जरूरत थी, अब तेजस्वी यात्रा पर हैं.

सवाल: अब तो जगदानंद सिंह नेतृत्व की भूमिका में आ गए हैं.
जवाब:
हां, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि उन्होंने तेजस्वी की जगह ले ली हो. उनका कार्य अलग है. समस्या आज ये नहीं बल्कि ये है कि वर्तमान सरकार देश को बांटने का काम कर रही है. केंद्र सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. मुसलमान आज वोट बैंक के तौर पर देखे जाते हैं.

सवाल: पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ गोलबंद है, लेकिन रोक क्यों नहीं पा रहा है?
जवाब:
ऐसा इसलिए है क्योंकि विपक्ष संगठित नहीं है. दिल्ली, बंगाल और उत्तर प्रदेश में विपक्ष को अलग-अलग नहीं बल्कि संगठित तरह से लड़ना चाहिए था. उनके अलग होने का फायदा बीजेपी को मिल रहा है.

सवाल: विपक्ष की यही स्थिति आगे भी रहेगी?
जवाब:
ये तो मैं नहीं कह सकता क्योंकि सीएए और एनआरसी को लेकर जो पूरे देश में विरोध हो रहा है वह किसी पार्टी के तहत नहीं है. जनता सड़कों पर है. अब तो महिलाएं भी धरने पर बैठी हैं.

शिवानंद तिवारी राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. इनकी मजबूत पकड़ आरजेडी में मानी जाती है. इनको राजद में बड़े नेता के तौर पर देखा जाता है, पार्टी के हर निर्णय में शिवानंद तिवारी की सहमति ली जाती है. शिवानंद तिवारी इसके पहले जेडीयू में रहे हैं.

कौन है शिवानंद तिवारी
राज्यसभा सांसद और आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी बिहार की राजनीति में एक महत्तवपूर्ण व्यक्तित्व माने जाते हैं. नेता शिवानंद तिवारी स्‍नातक की पढ़ाई के बाद से ही राजनीति में आ गए. 1965 में उन्होंने पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के 'घेरा डालो आंदोलन' में भाग लिया था.

शिवानंद तिवारी एक प्रखर व्यक्ति
इसी दौरान उनका प्रखर व्यक्तिव सामने आया, जब 1965 में ही पटना के गांधी मैदान में धारा 144 के उल्लंघन डॉ. लोहिया की गिरफ्तारी के विरोध में चल रही बैठक में शामिल हुए और पुलिस के डंडों का बहादुरी से सामना किया. इसके बाद उन्होंने 1970 में पटना में 'अंग्रेजी हटाओ' आंदोलन में भाग लिया. शिवानंद तिवारी दिल्ली में 'कच्छ आंदोलन' को लेकर गिरफ्तार भी किए गए. इसी आंदोलन के लिए 1974 में चार बार जेल यात्राएं करना पड़ीं.

कई बार जा चुके हैं जेल
इमरजेंसी के समय में भी शिवानंद तिवारी ने कई यातनाएं सहीं. वे 17 महीने और 18 दिन के लिए मीसाबंदी के तहत जेल में रहे और प्रेस विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करने पर भी गिरफ्तार हुए.

  • शिवानंद तिवारी शुरू में आरजेडी की ओर से लंबे समय तक राजनीति करते रहे. उन्होंने पंचायत, जिला सचिव, अध्‍यक्ष का कार्यभार संभाला.
  • पहली बार 1996 में बिहार विधानसभा की भोजपुर सीट से जीतकर सदस्‍य बने. 2000 में वे एक बार फिर से राज्‍य विधानसभा के लिए चुन लिए गए.

  • मई 2008 में वक्फ पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्‍य बने.
  • इसी समय शिवानंद तिवारी फाइनेंस कमेटी के सदस्‍य और गृह मंत्रालय के परामर्शदात्री समिति के सदस्‍य भी बने.
  • 2009 में वे राजभाषा कमेटी के सदस्‍य तथा अचार संहिता पर बनने वाली कमेटी के भी सदस्‍य बने.
  • अगस्‍त 2009 में वे विदेशी मामलों की कमेटी के सदस्‍य और रक्षा मामलों की कमेटी के परामर्शदात्री सदस्‍य बने.
  • सितंबर 2009 में वे विधानसभा संबंधित कमेटी के तथा दिसंबर 2009 में ही वे समान्‍य प्रयोजन कमेटी के सदस्‍य बने.
  • लोकसभा चुनाव 2014 के पहले शिवानंद तिवारी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण जेडीयू से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था.
  • इसके बाद उन्होंने लालू की पार्टी का दामन थाम लिया और उन्हें राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री बनाया.

पटना: आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बिहार समेत देश की राजनीति पर अपने विचार व्यक्त किए. ईटीवी भारत बिहार के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने उनसे खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई सवाल किए. शिवानंद तिवारी ने बेबाकी से उन सवालों के जवाब दिए. साथ ही अपनी राय भी बताई.

पढ़ें बातचीत के खास अंश:
सवाल: वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में आरजेडी की मौजूदा स्थिति क्या है?
जवाब: आरजेडी की उपस्थिति को मैं केवल बिहार में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में देखता हूं. साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तब से देश में एक सांप्रदायिक और तनाव का माहौल है. इस सरकार ने सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण किया है. संविधान और लोकतंत्र के प्रति इन्हें कोई आस्था नहीं है. विविधता वाले देश में ये सही नहीं है.

शिवानंद तिवारी का EXCLUSIVE इंटरव्यू सिर्फ ईटीवी भारत पर

सवाल: जो स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर है क्या वह बिहार में भी है?
जवाब:
जी...पूरे देश में यही हालात हैं तो बिहार अलग थोड़ी है. कुछ दिनों पहले ही अमित शाह वैशाली आए थे. उन्होंने जिस तरह से भाषण दिया, उसे सबने सुना. नरेंद्र मोदी और गिरिराज सिंह सभी ऐसी ही भाषा का प्रयोग करते हैं.

सवाल: इन हालातों में आरजेडी की क्या भूमिका है?
जवाब:
केवल आरजेडी ही है जो इसके खिलाफ मजबूती से खड़ी है. लालू यादव भले ही आज जेल में हैं लेकिन, पार्टी का बिहार में अब भी जनाधार हैं. लालू यादव ने कभी क्मयूनिलिज्म से समझौता नहीं किया. वे आज भी बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ लड़ रहे हैं.

सवाल: तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर बार-बार सवाल उठाया जाता है.
जवाब:
ऐसा कुछ नहीं है, अगर तेजस्वी का नेतृत्व नहीं चाहिए तो दूसरा है कौन? पार्टी के अंदर कोई विवाद नहीं है. अगर रघुवंश प्रसाद सवाल उठाते हैं तो इसका मतलब ये थोड़ी है कि वे चाहते हैं कि उन्हें तेजस्वी की जगह पर बैठा दिया जाए. विकल्प नहीं है. जहां तक मेरे सवाल उठाने की बात है तो उस समय जरूरत थी, अब तेजस्वी यात्रा पर हैं.

सवाल: अब तो जगदानंद सिंह नेतृत्व की भूमिका में आ गए हैं.
जवाब:
हां, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि उन्होंने तेजस्वी की जगह ले ली हो. उनका कार्य अलग है. समस्या आज ये नहीं बल्कि ये है कि वर्तमान सरकार देश को बांटने का काम कर रही है. केंद्र सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. मुसलमान आज वोट बैंक के तौर पर देखे जाते हैं.

सवाल: पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ गोलबंद है, लेकिन रोक क्यों नहीं पा रहा है?
जवाब:
ऐसा इसलिए है क्योंकि विपक्ष संगठित नहीं है. दिल्ली, बंगाल और उत्तर प्रदेश में विपक्ष को अलग-अलग नहीं बल्कि संगठित तरह से लड़ना चाहिए था. उनके अलग होने का फायदा बीजेपी को मिल रहा है.

सवाल: विपक्ष की यही स्थिति आगे भी रहेगी?
जवाब:
ये तो मैं नहीं कह सकता क्योंकि सीएए और एनआरसी को लेकर जो पूरे देश में विरोध हो रहा है वह किसी पार्टी के तहत नहीं है. जनता सड़कों पर है. अब तो महिलाएं भी धरने पर बैठी हैं.

शिवानंद तिवारी राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. इनकी मजबूत पकड़ आरजेडी में मानी जाती है. इनको राजद में बड़े नेता के तौर पर देखा जाता है, पार्टी के हर निर्णय में शिवानंद तिवारी की सहमति ली जाती है. शिवानंद तिवारी इसके पहले जेडीयू में रहे हैं.

कौन है शिवानंद तिवारी
राज्यसभा सांसद और आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी बिहार की राजनीति में एक महत्तवपूर्ण व्यक्तित्व माने जाते हैं. नेता शिवानंद तिवारी स्‍नातक की पढ़ाई के बाद से ही राजनीति में आ गए. 1965 में उन्होंने पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के 'घेरा डालो आंदोलन' में भाग लिया था.

शिवानंद तिवारी एक प्रखर व्यक्ति
इसी दौरान उनका प्रखर व्यक्तिव सामने आया, जब 1965 में ही पटना के गांधी मैदान में धारा 144 के उल्लंघन डॉ. लोहिया की गिरफ्तारी के विरोध में चल रही बैठक में शामिल हुए और पुलिस के डंडों का बहादुरी से सामना किया. इसके बाद उन्होंने 1970 में पटना में 'अंग्रेजी हटाओ' आंदोलन में भाग लिया. शिवानंद तिवारी दिल्ली में 'कच्छ आंदोलन' को लेकर गिरफ्तार भी किए गए. इसी आंदोलन के लिए 1974 में चार बार जेल यात्राएं करना पड़ीं.

कई बार जा चुके हैं जेल
इमरजेंसी के समय में भी शिवानंद तिवारी ने कई यातनाएं सहीं. वे 17 महीने और 18 दिन के लिए मीसाबंदी के तहत जेल में रहे और प्रेस विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करने पर भी गिरफ्तार हुए.

  • शिवानंद तिवारी शुरू में आरजेडी की ओर से लंबे समय तक राजनीति करते रहे. उन्होंने पंचायत, जिला सचिव, अध्‍यक्ष का कार्यभार संभाला.
  • पहली बार 1996 में बिहार विधानसभा की भोजपुर सीट से जीतकर सदस्‍य बने. 2000 में वे एक बार फिर से राज्‍य विधानसभा के लिए चुन लिए गए.

  • मई 2008 में वक्फ पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्‍य बने.
  • इसी समय शिवानंद तिवारी फाइनेंस कमेटी के सदस्‍य और गृह मंत्रालय के परामर्शदात्री समिति के सदस्‍य भी बने.
  • 2009 में वे राजभाषा कमेटी के सदस्‍य तथा अचार संहिता पर बनने वाली कमेटी के भी सदस्‍य बने.
  • अगस्‍त 2009 में वे विदेशी मामलों की कमेटी के सदस्‍य और रक्षा मामलों की कमेटी के परामर्शदात्री सदस्‍य बने.
  • सितंबर 2009 में वे विधानसभा संबंधित कमेटी के तथा दिसंबर 2009 में ही वे समान्‍य प्रयोजन कमेटी के सदस्‍य बने.
  • लोकसभा चुनाव 2014 के पहले शिवानंद तिवारी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण जेडीयू से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था.
  • इसके बाद उन्होंने लालू की पार्टी का दामन थाम लिया और उन्हें राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री बनाया.
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rjd leader shivanand tiwari exclusive interview on etv bharat


Conclusion:
Last Updated : Jan 23, 2020, 3:26 PM IST
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