पटना: पूर्व मुख्यमंत्री व हम प्रमुख जीतन राम मांझी महागठबंधन के कई नेताओं से नाराज चल रहे हैं. मांझी ने महागठबंधन के संयोजन समिति को जल्द बनाने की मांग की है. उनका साफ तौर से कहना है कि अगर जल्द महागठबंधन कोआर्डिनेशन कमिटी का गठन नहीं होता है, तो वह महागठबंधन का हिस्सा नहीं रहेंगे. इसके बाद विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश साहनी ने भी कोआर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग तेज कर दी है. सहनी ने भी मांझी की राह पर चलने का निर्णय लिया है.
इस मामले पर राजद और कांग्रेस मांझी को अपने गठबंधन का प्रमुख नेता बता रहे हैं. राजद विधायक विजय प्रकाश का कहना है कि जीतन राम मांझी ने तो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की कसम खाई है. उन्होंने बताया कि मांझी ने कहा है कि जब तक वो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं देख लेते, तब तक वो राजनीति से सन्यास नहीं लेंगे. राजद परिवार पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अपना अभिभावक मानता है. वो जो बयान दे रहे हैं, लगता है उत्साह में बोल रहे हैं. कोआर्डिनेशन कमेटी के सवाल पर राजद विधायक का कहना है कि महागठबंधन का निर्माण ही कोआर्डिनेशन का सबसे बड़ा उदाहरण है.
कांग्रेस का कड़ा तेवर
वहीं, मांझी और मुकेश साहनी के अल्टीमेटम पर कांग्रेस ने कड़ा तेवर अपनाया है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी का कहना है कि महागठबंधन कोआर्डिनेशन कमेटी का निर्णय पार्टी के आलाकमान के हाथ में है. कादरी का मानना है कि गठबंधन के बड़े नेता होने के नाते जीतन राम मांझी को बोलने से पहले काफी विचार करना चाहिए. अगर गठबंधन में शर्तों पर बात होने लगेगी, तो मामला और बिगड़ेगा. इस तरह की बातों को ज्यादा तूल देना उचित नहीं.