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बिहार में कभी किंगमेकर रहे लालू यादव के जातीय ध्रुवीकरण का टूटता तिलस्म!

केंद्र में कभी 'किंगमेकर' की भूमिका निभाने वाले लालू आज उस बिहार से करीब 350 किलोमीटर दूर झारखंड की राजधानी रांची की एक जेल में सजा काट रहे हैं, जहां उनकी खनक सियासी गलियारे से लेकर गांव के गरीब-गुरबों तक में सुनाई देती थी.

बिहार में कभी किंगमेकर रहे लालू यादव के जातीय ध्रुवीकरण का टूटता तिलस्म!
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Published : Jun 11, 2019, 7:00 AM IST

पटना: देश की राजनीति में अपने मनोरंजक और चुटीले बयानों के साथ राजनीति की अलग लकीर खींचने वाले लालू प्रसाद हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. लोगों की सियायी नब्ज की पहचान रखने वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद इस लोकसभा चुनाव में नहीं दिखे, जिसका खामियाजा भी उनके दल को उठाना पड़ा.

इस लोकसभा चुनाव में राजद के एक भी सीट पर जीत नहीं दर्ज करने के बाद राजद के साथ बिना शर्त गठबंधन करने वाली पार्टी कांग्रेस के नेता भी अब राजद पर सवाल उठाने लगे हैं. कहा जाता है कि इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने जातीय समीकरण की राजनीति करने वाले लालू प्रसाद के इस तिलस्म को तोड़ दिया है.

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
राजद सुप्रीमो लालू यादव (फाइल फोटो)

जब लालू ने नेता के रूप में पहचान बनाई
बिहार की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले संतोष सिंह की चर्चित पुस्तक 'रूल्ड ऑर मिसरूल्ड द स्टोर एंड डेस्टीनी ऑफ बिहार' में कहा गया है कि बिहार में 'जननायक' कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद लालू प्रसाद ने उनकी राजनीतिक विरासत संभालने वाले नेता के रूप में पहचान बनाई और इसमें उन्होंने काफी सफलता भी पाई. सिंह कहते हैं कि उन्होंने गरीबों के बीच जाकर खास पहचान बनाई और गरीबों के नेता के रूप में खुद को स्थापित किया.

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
सुनने आता था जनसैलाब

1977 में चुनाव जीत कर पहली बार संसद पहुंचे
इससे पहले बिहार में जब जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलन हो रहा था, तो लालू ने सक्रिय छात्र नेता के तौर पर उसमें भाग लेकर अपनी राजनीति का आगाज किया था. आंदोलन के बाद हुए चुनाव में लालू यादव को जनता पार्टी से टिकट मिला और वह 1977 में चुनाव जीत कर पहली बार संसद पहुचे. सांसद बनने के बाद लालू का कद राजनीति में बड़ा होने लगा और वह साल 1990 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए.

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
1990 की वो तस्वीर, जब लालू सीएम पद की शपथ लेने जा रहे थे

1997 में जनता दल से अलग होकर उन्होंने RJD का गठन
वर्ष 1997 में जनता दल से अलग होकर उन्होंने राजद का गठन किया. इस दौरान लालू से उनके विश्वासपात्र और बड़े नेता उनका साथ छोड़ते रहे. इस बीच राजद 2015 तक बिहार की सत्ता पर काबिज जरूर रहे, लेकिन इसी बीच उन्हें बड़ा झटका लगा और चर्चित चारा घोटाले में उन पर आरोपपत्र दाखिल हो गया. पुस्तक में कहा गया है, "भागलपुर दंगे के बाद मुस्लिम मतदाता जहां कांग्रेस से बिदककर राजद की ओर बढ़ गए, वहीं यादव मतदाता स्वजातीय लालू को अपना नेता मान लिया."

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कुछ यूं नजर आते थे पार्टी सुप्रीमो

लालू...किंगमेकर तक की भूमिका में आ गए थे
इस बीच, नीतीश कुमार ने भी नए 'सोशल इंजीनियरिंग' का तानाबाना बुनकर उसमें सुशासन और विकास को जोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन कर बिहार की सत्ता से लालू को उखाड़ फेंका. राजनीतिक विश्लेषक सुरेंद्र किशोर कहते हैं, "लालू प्रसाद का वह स्वर्णिम काल था. इस समय में वह किंगमेकर तक की भूमिका में आ गए थे.

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
जनता को संबोधित करते लालू

1997 : चारा घोटाले में आरोपपत्र, जेल में लालू
हालांकि 1997 में चारा घोटाला मामले में आरोपपत्र दाखिल हुआ और 2013 में लालू को जेल भेज दिया गया. उसके बाद उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई."

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
राजद सुप्रीमो लालू यादव (फाइल फोटो)

बिहार के लोगों को विकल्प के तौर पर नीतीश कुमार मिल गए
किशोर कहते हैं, "इसके बाद बिहार के लोगों को विकल्प के तौर पर नीतीश कुमार मिल गए. जब मतदाता को स्वच्छ छवि का विकल्प उपलब्ध हुआ तो मतदाता उस ओर खिसक गए."

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
नीतीश कुमार और लालू (फाइल फोटो)

2015 विधानसभा चुनाव: लालू-नीतीश एक साथ
हालांकि विधानसभा चुनाव 2015 में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की पार्टी गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरी और विजयी भी हो गई, परंतु कुछ ही समय के बाद लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे और नीतीश को लालू का साथ छोड़ देना पड़ा.

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'मीडिया को सूचना दें, राय नहीं'- लालू

भ्रष्टाचार के आरोप...और लालू से अलग हुए नीतीश
नीतीश का अलग होना लालू के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था. रातों रात लालू प्रसाद एक बार फिर राज्य की सत्ता से बाहर हो गए और उनकी पार्टी विपक्ष की भूमिका में आ गई. इसके बाद लालू पर पुराने चारा घोटाले के कई अन्य मामलों में भी सजा हो गई.

लोकसाभ चुनाव 2019: लालू के जातीय गणित का तिलस्म टूटा
लोकसभा चुनाव 2019 से पार्टी को बड़े परिणाम की आशा थी, मगर जातीय गणित का तिलस्म भी इस चुनाव में काम नहीं आया और 'किंगमेकर' की भूमिका निभाने वाले लालू को एक अदद सीट के भी लाले पड़ गए.

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मुस्लिम बहुल इलाकों में भी RJD की कारारी हार
लालू को नजदीक से जानने वाले किशोर कहते हैं कि इस चुनाव में मुस्लिम और यादव वोट बैंक भी राजद से दूर हो गए. यही कारण है कि कई मुस्लिम बहुल इलाकों में भी राजद को कारारी हार का सामना करना पड़ा.

तेजस्वी और तेजप्रताप में विरासत की लड़ाई!
लालू के जेल जाने के बाद दोनों बेटों तेजस्वी और तेजप्रताप में विरासत की लड़ाई शुरू हो गई. वर्ष 2018 में लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप की शादी हुई, पर कुछ दिन के बाद ही तेजप्रताप तलाक के लिए अदालत की शरण में पहुंच गए.

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तेज प्रताप और तेजस्वी के साथ लालू (फाइल फोटो)

बहरहाल, राजद की स्थिति यह हो गई है कि लालू प्रसाद की पुत्री मीसा भारती को भी पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से दो बार हार का समाना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद हालत ये हैं कि राजद के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को नीतीश कुमार को एकबार फिर से साथ आने के लिए न्योता देना पड़ रहा है.

पटना: देश की राजनीति में अपने मनोरंजक और चुटीले बयानों के साथ राजनीति की अलग लकीर खींचने वाले लालू प्रसाद हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. लोगों की सियायी नब्ज की पहचान रखने वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद इस लोकसभा चुनाव में नहीं दिखे, जिसका खामियाजा भी उनके दल को उठाना पड़ा.

इस लोकसभा चुनाव में राजद के एक भी सीट पर जीत नहीं दर्ज करने के बाद राजद के साथ बिना शर्त गठबंधन करने वाली पार्टी कांग्रेस के नेता भी अब राजद पर सवाल उठाने लगे हैं. कहा जाता है कि इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने जातीय समीकरण की राजनीति करने वाले लालू प्रसाद के इस तिलस्म को तोड़ दिया है.

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
राजद सुप्रीमो लालू यादव (फाइल फोटो)

जब लालू ने नेता के रूप में पहचान बनाई
बिहार की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले संतोष सिंह की चर्चित पुस्तक 'रूल्ड ऑर मिसरूल्ड द स्टोर एंड डेस्टीनी ऑफ बिहार' में कहा गया है कि बिहार में 'जननायक' कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद लालू प्रसाद ने उनकी राजनीतिक विरासत संभालने वाले नेता के रूप में पहचान बनाई और इसमें उन्होंने काफी सफलता भी पाई. सिंह कहते हैं कि उन्होंने गरीबों के बीच जाकर खास पहचान बनाई और गरीबों के नेता के रूप में खुद को स्थापित किया.

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
सुनने आता था जनसैलाब

1977 में चुनाव जीत कर पहली बार संसद पहुंचे
इससे पहले बिहार में जब जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलन हो रहा था, तो लालू ने सक्रिय छात्र नेता के तौर पर उसमें भाग लेकर अपनी राजनीति का आगाज किया था. आंदोलन के बाद हुए चुनाव में लालू यादव को जनता पार्टी से टिकट मिला और वह 1977 में चुनाव जीत कर पहली बार संसद पहुचे. सांसद बनने के बाद लालू का कद राजनीति में बड़ा होने लगा और वह साल 1990 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए.

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
1990 की वो तस्वीर, जब लालू सीएम पद की शपथ लेने जा रहे थे

1997 में जनता दल से अलग होकर उन्होंने RJD का गठन
वर्ष 1997 में जनता दल से अलग होकर उन्होंने राजद का गठन किया. इस दौरान लालू से उनके विश्वासपात्र और बड़े नेता उनका साथ छोड़ते रहे. इस बीच राजद 2015 तक बिहार की सत्ता पर काबिज जरूर रहे, लेकिन इसी बीच उन्हें बड़ा झटका लगा और चर्चित चारा घोटाले में उन पर आरोपपत्र दाखिल हो गया. पुस्तक में कहा गया है, "भागलपुर दंगे के बाद मुस्लिम मतदाता जहां कांग्रेस से बिदककर राजद की ओर बढ़ गए, वहीं यादव मतदाता स्वजातीय लालू को अपना नेता मान लिया."

3525998
कुछ यूं नजर आते थे पार्टी सुप्रीमो

लालू...किंगमेकर तक की भूमिका में आ गए थे
इस बीच, नीतीश कुमार ने भी नए 'सोशल इंजीनियरिंग' का तानाबाना बुनकर उसमें सुशासन और विकास को जोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन कर बिहार की सत्ता से लालू को उखाड़ फेंका. राजनीतिक विश्लेषक सुरेंद्र किशोर कहते हैं, "लालू प्रसाद का वह स्वर्णिम काल था. इस समय में वह किंगमेकर तक की भूमिका में आ गए थे.

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
जनता को संबोधित करते लालू

1997 : चारा घोटाले में आरोपपत्र, जेल में लालू
हालांकि 1997 में चारा घोटाला मामले में आरोपपत्र दाखिल हुआ और 2013 में लालू को जेल भेज दिया गया. उसके बाद उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई."

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
राजद सुप्रीमो लालू यादव (फाइल फोटो)

बिहार के लोगों को विकल्प के तौर पर नीतीश कुमार मिल गए
किशोर कहते हैं, "इसके बाद बिहार के लोगों को विकल्प के तौर पर नीतीश कुमार मिल गए. जब मतदाता को स्वच्छ छवि का विकल्प उपलब्ध हुआ तो मतदाता उस ओर खिसक गए."

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
नीतीश कुमार और लालू (फाइल फोटो)

2015 विधानसभा चुनाव: लालू-नीतीश एक साथ
हालांकि विधानसभा चुनाव 2015 में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की पार्टी गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरी और विजयी भी हो गई, परंतु कुछ ही समय के बाद लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे और नीतीश को लालू का साथ छोड़ देना पड़ा.

3525998
'मीडिया को सूचना दें, राय नहीं'- लालू

भ्रष्टाचार के आरोप...और लालू से अलग हुए नीतीश
नीतीश का अलग होना लालू के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था. रातों रात लालू प्रसाद एक बार फिर राज्य की सत्ता से बाहर हो गए और उनकी पार्टी विपक्ष की भूमिका में आ गई. इसके बाद लालू पर पुराने चारा घोटाले के कई अन्य मामलों में भी सजा हो गई.

लोकसाभ चुनाव 2019: लालू के जातीय गणित का तिलस्म टूटा
लोकसभा चुनाव 2019 से पार्टी को बड़े परिणाम की आशा थी, मगर जातीय गणित का तिलस्म भी इस चुनाव में काम नहीं आया और 'किंगमेकर' की भूमिका निभाने वाले लालू को एक अदद सीट के भी लाले पड़ गए.

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मुस्लिम बहुल इलाकों में भी RJD की कारारी हार
लालू को नजदीक से जानने वाले किशोर कहते हैं कि इस चुनाव में मुस्लिम और यादव वोट बैंक भी राजद से दूर हो गए. यही कारण है कि कई मुस्लिम बहुल इलाकों में भी राजद को कारारी हार का सामना करना पड़ा.

तेजस्वी और तेजप्रताप में विरासत की लड़ाई!
लालू के जेल जाने के बाद दोनों बेटों तेजस्वी और तेजप्रताप में विरासत की लड़ाई शुरू हो गई. वर्ष 2018 में लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप की शादी हुई, पर कुछ दिन के बाद ही तेजप्रताप तलाक के लिए अदालत की शरण में पहुंच गए.

Rise and fall of lalu prasad yadav in bihar politics
तेज प्रताप और तेजस्वी के साथ लालू (फाइल फोटो)

बहरहाल, राजद की स्थिति यह हो गई है कि लालू प्रसाद की पुत्री मीसा भारती को भी पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से दो बार हार का समाना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद हालत ये हैं कि राजद के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को नीतीश कुमार को एकबार फिर से साथ आने के लिए न्योता देना पड़ रहा है.

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