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रिहंद जलाशय से जल्द छोड़ा जाएगा पानी, संजय झा को मिला UP के मंत्री से आश्वासन

जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक (Review Meeting of Water Resources Department) के दौरान मंत्री संजय झा ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने का निश्चय किया है. इसके तहत जल संसाधन सहित राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे कार्यों से राज्य में कृषि क्षेत्र का कायाकल्प होना तय है. उन्होंने बताया कि रिहंद जलाशय (Rihand Dam) से पानी छोड़ने को लेकर उन्होंने यूपी के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से फोन पर बात भी की है.

जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा
जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा
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Published : Jul 15, 2022, 9:31 AM IST

पटना: बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा (Water Resources Minister Sanjay Kumar Jha) ने गुरुवार को पटना स्थित सिंचाई भवन में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की. जहां राज्य में अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति, विभिन्न नहर प्रणालियों में जलस्राव और जलाशयों में जल भंडारण की अद्यतन स्थिति और किसानों को खरीफ फसल की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी पहुंचाने की विभाग द्वारा की गई तैयारियों की गहन समीक्षा की और अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए. मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री से फोन पर बात कर रिहंद जलाशय (Rihand Dam) से पानी छोड़े जाने का अनुरोध भी किया है, जिस पर सकारात्मक आश्वासन मिला है.

ये भी पढ़ें: JDU मंत्री संजय झा ने उठाया गंगा में गाद का मुद्दा, जलमार्ग मंत्रालय को लिखा पत्र

जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक: राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में जल संसाधन संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शुरू से जोर रहा है. उनके निर्देश पर वर्ष 2016 में जल संसाधन विभाग का पुनर्गठन कर बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई सृजन के कार्य को अलग-अलग करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य भी यही था कि राज्य में उपलब्ध जल का सम्यक प्रबंधन करते हुए उसे सिंचाई के कार्य में अधिक से अधिक उपयोग में लाया जाए.

अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति की विस्तृत समीक्षा: संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पिछले सप्ताह राज्य में अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति की विस्तृत समीक्षा की थी और नहरों में जलापूर्ति जारी रखने, जल संचयन के कार्यों में किसी तरह के अवरोध को जल्द दूर करने तथा किसानों की समस्याओं से निपटने की तैयारी रखने के निर्देश दिये थे. सीएम के निर्देश पर खरीफ फसल की सिंचाई के लिए नहरों के अंतिम छोर तक अधिक से अधिक पानी पहुंचाने के लिए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों और अभियंताओं द्वारा तत्परता से कार्य किये जा रहे हैं.

आपदा को अवसर में बदलने की आवश्यकता: उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में जल संसाधन मंत्री ने कहा कि राज्य में अल्प वृष्टि के कारण उत्पन्न आपदा को एक अवसर में बदलने की आवश्यकता है. उन्होंने सभी नहरों में जलस्राव में वृद्धि करने, जहां भी जल प्रवाह में किसी तरह की रुकावट आ रही है, उसे तत्परता से दूर करने, वरीय अधिकारियों द्वारा सभी नहरों और जलाशयों में जल की स्थिति का लगातार स्थल पर जाकर निगरानी करने और मुख्यालय को निरंतर अपडेट भेजते रहने के अलावा मुख्यालय से आवश्यकतानुसार फ्लाइंग स्क्वायड को भेजकर सिंचाई के लिए कराये जा रहे कार्यों का निरीक्षण कराने के निर्देश दिए. मंत्री ने उन सभी सिंचाई परियोजनाओं की बाधाओं को एक निश्चित समय सीमा के अंदर दूर करने के निर्देश दिए, जिनके आधे से अधिक कार्य हो जाने के बाद किसी कारण से कार्य लंबित पड़े हैं.

'रिहंद जलाशय से जल्द छोड़ा जाएगा पानी': जल संसाधन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में वरीय अधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई कि रिहंद जलाशय से बिहार को पिछले कुछ दिनों से पानी नहीं मिल पाने के कारण दक्षिण बिहार में सोन नहर प्रणाली में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में दिक्कत आ रही है. इस पर जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने समीक्षा बैठक के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से फोन पर बात की और रिहंद जलाशय से बिहार के लिए पानी छोड़ने का अनुरोध किया. जिसके बाद स्वतंत्र देव सिंह ने उन्हें इस मुद्दे पर तत्काल विचार करने का आश्वासन दिया है.

तीन राज्यों का बरसा जल समेटता है रिहंद जलाशय: उत्तर प्रदेश के नक्शे के दक्षिणी छोर पर स्थित गोविंद वल्लभ पंत यानी रिहंद जलाशय अपने आप में एक अलौकिक ऐतिहासिक धरोहर है. 5148 वर्ग मील में फैला यह जलाशय तीन राज्यों के बारिश के जल को समेटता है. इसके पानी से सोनभद्र के पिपरी, ओबरा और एनटीपीसी की ईकाई सिंगरौली में जल विद्युत परियोजना की स्थापना की गई है. इसके साथ ही भू-गर्भ जलस्तर को बनाए रखने में भी इस जलाशय का महत्वपूर्ण योगदान है. उत्तर प्रदेश के पिपरी से शुरू हुए इस जलाशय का फैलाव मध्य प्रदेश राज्य के बैढ़न के साथ ही अन्य हिस्सों में भी है. इसका एक छोर छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर व सूरजपुर तक भी फैला हुआ है. इस जलाशय की जलग्रहण क्षमता 8600 एकड़ वर्ग फीट है. इसमें औसत वार्षिक जलागमन 51,380 एकड़ फीट माना गया है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे पं. जवाहर लाल नेहरू ने 13 जुलाई 1954 में रिहंद डैम की आधारशिला रखी थी. उस दौरान इस बांध के निर्माण पर 51.54 करोड़ रुपया खर्च हुआ था. निर्माण के बाद प्रधानमंत्री रहे पंडित नेहरू ने ही 6 जनवरी 1963 में इसका उद्घाटन किया था.

ये भी पढ़ें: बिहार में सुखाड़ पर बोले मंत्री मदन सहनी- किसानों को हर संभव मदद देगी सरकार

पटना: बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा (Water Resources Minister Sanjay Kumar Jha) ने गुरुवार को पटना स्थित सिंचाई भवन में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की. जहां राज्य में अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति, विभिन्न नहर प्रणालियों में जलस्राव और जलाशयों में जल भंडारण की अद्यतन स्थिति और किसानों को खरीफ फसल की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी पहुंचाने की विभाग द्वारा की गई तैयारियों की गहन समीक्षा की और अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए. मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री से फोन पर बात कर रिहंद जलाशय (Rihand Dam) से पानी छोड़े जाने का अनुरोध भी किया है, जिस पर सकारात्मक आश्वासन मिला है.

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जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक: राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में जल संसाधन संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शुरू से जोर रहा है. उनके निर्देश पर वर्ष 2016 में जल संसाधन विभाग का पुनर्गठन कर बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई सृजन के कार्य को अलग-अलग करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य भी यही था कि राज्य में उपलब्ध जल का सम्यक प्रबंधन करते हुए उसे सिंचाई के कार्य में अधिक से अधिक उपयोग में लाया जाए.

अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति की विस्तृत समीक्षा: संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पिछले सप्ताह राज्य में अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति की विस्तृत समीक्षा की थी और नहरों में जलापूर्ति जारी रखने, जल संचयन के कार्यों में किसी तरह के अवरोध को जल्द दूर करने तथा किसानों की समस्याओं से निपटने की तैयारी रखने के निर्देश दिये थे. सीएम के निर्देश पर खरीफ फसल की सिंचाई के लिए नहरों के अंतिम छोर तक अधिक से अधिक पानी पहुंचाने के लिए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों और अभियंताओं द्वारा तत्परता से कार्य किये जा रहे हैं.

आपदा को अवसर में बदलने की आवश्यकता: उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में जल संसाधन मंत्री ने कहा कि राज्य में अल्प वृष्टि के कारण उत्पन्न आपदा को एक अवसर में बदलने की आवश्यकता है. उन्होंने सभी नहरों में जलस्राव में वृद्धि करने, जहां भी जल प्रवाह में किसी तरह की रुकावट आ रही है, उसे तत्परता से दूर करने, वरीय अधिकारियों द्वारा सभी नहरों और जलाशयों में जल की स्थिति का लगातार स्थल पर जाकर निगरानी करने और मुख्यालय को निरंतर अपडेट भेजते रहने के अलावा मुख्यालय से आवश्यकतानुसार फ्लाइंग स्क्वायड को भेजकर सिंचाई के लिए कराये जा रहे कार्यों का निरीक्षण कराने के निर्देश दिए. मंत्री ने उन सभी सिंचाई परियोजनाओं की बाधाओं को एक निश्चित समय सीमा के अंदर दूर करने के निर्देश दिए, जिनके आधे से अधिक कार्य हो जाने के बाद किसी कारण से कार्य लंबित पड़े हैं.

'रिहंद जलाशय से जल्द छोड़ा जाएगा पानी': जल संसाधन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में वरीय अधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई कि रिहंद जलाशय से बिहार को पिछले कुछ दिनों से पानी नहीं मिल पाने के कारण दक्षिण बिहार में सोन नहर प्रणाली में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में दिक्कत आ रही है. इस पर जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने समीक्षा बैठक के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से फोन पर बात की और रिहंद जलाशय से बिहार के लिए पानी छोड़ने का अनुरोध किया. जिसके बाद स्वतंत्र देव सिंह ने उन्हें इस मुद्दे पर तत्काल विचार करने का आश्वासन दिया है.

तीन राज्यों का बरसा जल समेटता है रिहंद जलाशय: उत्तर प्रदेश के नक्शे के दक्षिणी छोर पर स्थित गोविंद वल्लभ पंत यानी रिहंद जलाशय अपने आप में एक अलौकिक ऐतिहासिक धरोहर है. 5148 वर्ग मील में फैला यह जलाशय तीन राज्यों के बारिश के जल को समेटता है. इसके पानी से सोनभद्र के पिपरी, ओबरा और एनटीपीसी की ईकाई सिंगरौली में जल विद्युत परियोजना की स्थापना की गई है. इसके साथ ही भू-गर्भ जलस्तर को बनाए रखने में भी इस जलाशय का महत्वपूर्ण योगदान है. उत्तर प्रदेश के पिपरी से शुरू हुए इस जलाशय का फैलाव मध्य प्रदेश राज्य के बैढ़न के साथ ही अन्य हिस्सों में भी है. इसका एक छोर छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर व सूरजपुर तक भी फैला हुआ है. इस जलाशय की जलग्रहण क्षमता 8600 एकड़ वर्ग फीट है. इसमें औसत वार्षिक जलागमन 51,380 एकड़ फीट माना गया है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे पं. जवाहर लाल नेहरू ने 13 जुलाई 1954 में रिहंद डैम की आधारशिला रखी थी. उस दौरान इस बांध के निर्माण पर 51.54 करोड़ रुपया खर्च हुआ था. निर्माण के बाद प्रधानमंत्री रहे पंडित नेहरू ने ही 6 जनवरी 1963 में इसका उद्घाटन किया था.

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