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जानिए क्यों आरसीपी सिंह बने नीतीश की पहली पसंद

आरसीपी सिंह की ताजपोशी के बाद से ही भाजपा के नेता व जदयू के नेताओं में हर्ष का माहौल है. उन्हें आगे करने को लेकर नीतीश की भी अलग मंशा थी. वे चाहते थे कि कोई ऐसा नेता हो जो दोनों पार्टी के बीच सामंजस्य स्थापित कर सके.

भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार
भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार
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Published : Dec 28, 2020, 9:36 PM IST

पटनाः विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और जदयू के रिश्ते में मिठास बढ़ सकती है. क्योंकि चुनाव के नतीजों के बाद मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के बंटवारे को लेकर भी दोनों दलों के बीच खींचतान हुई थी. अरुणाचल प्रदेश की घटना के बाद तल्खी और बढ़ गई थी. ऐसे में नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को कमान सौंपी है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश ने काफी सोच समझ कर निर्णय लिया है.

भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बेहतर रिश्ते
बदली परिस्थितियों में आखिरकार नीतीश कुमार ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है. राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. नीतीश कुमार के सामने कई विकल्प हैं. काफी जद्दोजहद के बाद विकट परिस्थितियों में नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह पर दांव लगाया है. आरसीपी सिंह भाजपा और जदयू के बीच सेतु का काम कर सकते हैं. दोनों दलों के बीच दूरियां कम हो सकती हैं.

देखें रिपोर्ट

पीएम भी करते हैं पसंद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आरसीपी सिंह को पसंद करते हैं. भाजपा की तरफ से आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने को लेकर सहमति थी. लेकिन अंतर्विरोध के चलते आरसीपी सिंह मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जा सके. विधानसभा चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग के वक्त भी भाजपा और जदयू के बीच तल्खी बढ़ गई थी. और अंतिम क्षणों में सीट शेयरिंग पर मुहर लगी थी. लोजपा को लेकर भी दोनों दलों के बीच खटास बढ़ गई है.

दोनों दलों के बीच रिश्ते बेहतर करना जरूरी

जदयू को किसी ऐसे नेता की जरूरत थी जो भाजपा से बेहतर समन्वय स्थापित कर सके. जिसके बूते पार्टी अपनी बात भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा सके. सीएम नीतीश कुमार इस मोर्चे पर खुद को कमजोर पा रहे थे. सुशील मोदी जी के गैरमौजूदगी में नीतीश कुमार के सामने यह चुनौती थी कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ सामंजस्य कैसे स्थापित हो. आरसीपी सिंह को सामने लाकर नीतीश कुमार ने संदेश दे दिया कि वह भाजपा से अच्छे रिश्ते रखना चाहते हैं. आरसीपी सिंह के भाजपा के केंद्रीय नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं. नीतीश कुमार जहां महागठबंधन के प्रति सॉफ्ट रहते हैं, वहीं आरसीपी एनडीए खेमे में रहने के हिमायती हैं. लालू प्रसाद यादव को भी आरसीपी सिंह पसंद नहीं करते.

आरसीपी सिंह की ताजपोशी पर भाजपा ने जताई प्रसन्नता

भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. इसका हम स्वागत करते हैं. उम्मीद करते हैं कि उनके नेतृत्व में पार्टी मजबूत होगी. जदयू अगर मजबूत होगी तो स्वाभाविक तौर पर एनडीए भी मजबूत होगा. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि आरसीपी सिंह का लंबा राजनीतिक करियर रहा है. उनके नेतृत्व में पार्टी मजबूत होगी. एनडीए में बेहतर सामंजस्य भी स्थापित होगा. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि आरसीपी सिंह को भाजपा से अच्छे रिश्ते होने का रिकॉर्ड मिला है. नीतीश कुमार को किसी ऐसे नेता की तलाश थी जो भाजपा के केंद्रीय नेताओं से संवाद स्थापित कर सके.

पटनाः विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और जदयू के रिश्ते में मिठास बढ़ सकती है. क्योंकि चुनाव के नतीजों के बाद मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के बंटवारे को लेकर भी दोनों दलों के बीच खींचतान हुई थी. अरुणाचल प्रदेश की घटना के बाद तल्खी और बढ़ गई थी. ऐसे में नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को कमान सौंपी है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश ने काफी सोच समझ कर निर्णय लिया है.

भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बेहतर रिश्ते
बदली परिस्थितियों में आखिरकार नीतीश कुमार ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है. राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. नीतीश कुमार के सामने कई विकल्प हैं. काफी जद्दोजहद के बाद विकट परिस्थितियों में नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह पर दांव लगाया है. आरसीपी सिंह भाजपा और जदयू के बीच सेतु का काम कर सकते हैं. दोनों दलों के बीच दूरियां कम हो सकती हैं.

देखें रिपोर्ट

पीएम भी करते हैं पसंद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आरसीपी सिंह को पसंद करते हैं. भाजपा की तरफ से आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने को लेकर सहमति थी. लेकिन अंतर्विरोध के चलते आरसीपी सिंह मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जा सके. विधानसभा चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग के वक्त भी भाजपा और जदयू के बीच तल्खी बढ़ गई थी. और अंतिम क्षणों में सीट शेयरिंग पर मुहर लगी थी. लोजपा को लेकर भी दोनों दलों के बीच खटास बढ़ गई है.

दोनों दलों के बीच रिश्ते बेहतर करना जरूरी

जदयू को किसी ऐसे नेता की जरूरत थी जो भाजपा से बेहतर समन्वय स्थापित कर सके. जिसके बूते पार्टी अपनी बात भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा सके. सीएम नीतीश कुमार इस मोर्चे पर खुद को कमजोर पा रहे थे. सुशील मोदी जी के गैरमौजूदगी में नीतीश कुमार के सामने यह चुनौती थी कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ सामंजस्य कैसे स्थापित हो. आरसीपी सिंह को सामने लाकर नीतीश कुमार ने संदेश दे दिया कि वह भाजपा से अच्छे रिश्ते रखना चाहते हैं. आरसीपी सिंह के भाजपा के केंद्रीय नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं. नीतीश कुमार जहां महागठबंधन के प्रति सॉफ्ट रहते हैं, वहीं आरसीपी एनडीए खेमे में रहने के हिमायती हैं. लालू प्रसाद यादव को भी आरसीपी सिंह पसंद नहीं करते.

आरसीपी सिंह की ताजपोशी पर भाजपा ने जताई प्रसन्नता

भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. इसका हम स्वागत करते हैं. उम्मीद करते हैं कि उनके नेतृत्व में पार्टी मजबूत होगी. जदयू अगर मजबूत होगी तो स्वाभाविक तौर पर एनडीए भी मजबूत होगा. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि आरसीपी सिंह का लंबा राजनीतिक करियर रहा है. उनके नेतृत्व में पार्टी मजबूत होगी. एनडीए में बेहतर सामंजस्य भी स्थापित होगा. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि आरसीपी सिंह को भाजपा से अच्छे रिश्ते होने का रिकॉर्ड मिला है. नीतीश कुमार को किसी ऐसे नेता की तलाश थी जो भाजपा के केंद्रीय नेताओं से संवाद स्थापित कर सके.

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