पटना: गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर विवाद जारी है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में आनंद मोहन के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था और नीतीश कुमार के कार्यकाल में आनंद मोहन को सजा सुनाई गई थी. नीतीश कुमार ने क्यों कानून बनाया था और किन परिस्थितियों में कानून में संशोधन किया इसका जवाब नहीं देना चाहिए.
पढ़ें- Anand Mohan की रिहाई का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जी कृष्णैया की पत्नी ने दायर की याचिका
बोले रवि शंकर- 'नीतीश ने पीड़ित परिवार की नहीं की मदद': रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि पूर्व डीएम के परिजनों से हमारी सहानुभूति है.जी कृष्णैया की नृशंस और दुर्भाग्यपूर्ण हत्या हुई है. वे लोक सेवक, आईएएस ऑफिसर और दलित थे. हम उनके परिवार की पीड़ा के साथ हैं. जब आनंद मोहन को सजा हुई तब नीतीश की सरकार थी, फिर उसी समय क्यों नहीं विरोध किया गया. बिहार सरकार ने जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया और उनकी बेटियों को कोई मदद नहीं दी. आंध्र प्रदेश सरकार ने पूर्व डीएम की पत्नी को नौकरी दी, एक प्लॉट दिया, बिहार सरकार का भी कुछ फर्ज बनता था लेकिन कुछ नहीं किया गया.
"आनंद मोहन के साथ ही 26 और लोगों को छोड़ दिया गया. इनमें से सात लोग ऐसे हैं जिनको हर हफ्ते थाने में पेश होने को कहा है. नीतीश का सुशासन कैसे चल रहा है और हम से सवाल करते हैं. जब कानून में संशोधन करके दोषियों को छोड़ना था तो कानून लाए क्यों थे? कानून लाने का आधार और समाप्त करने का क्या आधार है बताना चाहिए."- रवि शंकर प्रसाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री
सुप्रीम कोर्ट में उमा कृष्णैया ने दी याचिका: बता दें कि पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा करने के लिए बिहार सरकार ने कानून में संशोधन किया है. बिहार सरकार के फैसले को लेकर सवाल उठ रहे हैं. वहीं जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आनंद मोहन को वापस जेल भेजने की मांग की गई है.