पटना: 5 जनवरी से बिहार में रणजी ट्रॉफी का मुकाबला शुरू होगा. मोइनुल हक स्टेडियम एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों का गवाह बनने जा रहा है. बुधवार को मुंबई टीम पटना पहुंची. वहीं बिहार की टीम की भी घोषणा कर दी गई है. बिहार पिछले सत्र में ग्रुप की विजेता होने के कारण पहली बार बिहार एलीट ग्रुप में शामिल है. इस ग्रुप में मुंबई, केरल, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसी बड़ी टीमों से प्रदेश की टीम के मुकाबले होंगे. वहीं वर्ष 2023 में अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में मुंबई की टीम एलीट ग्रुप बी में चौथे स्थान पर रही थी और नॉकआउट के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई थी.
आशुतोष अमन बिहार क्रिकेट टीम के कप्तान: रणजी ट्रॉफी के पहले मैच के लिए बिहार टीम की घोषणा आशुतोष अमन की कप्तानी में कर दी गई है. बता दें कि प्लेट ग्रुप से एलिट ग्रुप में बिहार की टीम के स्टार स्पिनर आशुतोष अमन की कप्तानी में ही पहुंची थी. आशुतोष अमन ने वर्ष 2018-19 रणजी सत्र में बिशन सिंह बेदी का रिकॉर्ड तोड़ते चुके हैं. गया के आशुतोष ने बेदी के 44 साल पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त किया था. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा बताया कि अभिजीत साकेत, मलय राज और राघवेंद्र प्रताप फिटनेस टेस्ट पास करने के बाद टीम में शामिल होंगे.
मणिपुर को हरा प्लेट से एलिट का कटाया टिकट: बिहार क्रिकेट टीम ने रणजी ट्रॉफी 2023 के प्लेट ग्रुप के फाइनल मुकाबले में मणिपुर को हराकर इतिहास रचा था. साकिबुल गनी के दोहरे शतक की बदौलत बिहार ने रणजी ट्रॉफी के प्लेट ग्रुप फाइनल में 220 रनों से शानदार जीत दर्ज कर खिताब अपने नाम किया था. यह पहला मौका नहीं था, जब सकीबुल गनी ने बिहार के लिए बेशकीमती पारी खेली है. 23 साल के सकीबुल ने अपने छोटे से फर्स्ट क्लास करियर में 74.84 की औसत से रन बनाए हैं. उनके आंकड़े ऐसे हैं कि उन्हें बिहार का डॉन ब्रैडमैन भी कहा जाता है. सकीबुल का सर्वोच्च स्कोर 341 रन है.
रणजी इतिहास की सबसे सफल टीम मुंबई: मुंबई की टीम 88 सीजन में कुल 41 बार ट्रॉफी जीती है, जबकि, 6 बार रनर अप रही है. इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में मुंबई का जीत प्रतिशत 87.2 है, जो किसी भी अन्य टीम के मुकाबले कई गुना ज्यादा है. 1934-35 से शुरू हुए इस टूर्नामेंट में मुंबई के नाम लगातार 15 जीत का रिकॉर्ड है, यह टीम 1958-59 से लेकर 1972-73 तक अजय रही थी. हालांकि, मुंबई ने 2015-16 सीजन के बाद से एक भी खिताब नहीं जीत सकी है तब से मुंबई ने 2 बार फाइनल खेला है, जिसमे उसे हार का सामना करना पड़ा.
क्या है एलीट और प्लेट ग्रुप?: रणजी ट्रॉफी प्लेट ग्रुप का फाइनल जीतने वाली टीम टूर्नामेंट के एलीट ग्रुप के लिए क्वालीफाई कर जाएगी. उसे सीधे क्वार्टर फाइनल में जगह मिलेगी. बता दें कि बीसीसीआई ने अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट का स्तर सुधारने के लिए रणजी ट्रॉफी को दो हिस्सों में बांटा है. एक एलीट और दूसरा प्लेट ग्रुप.
रणजी का फाइनल खेल चुका है बिहार: बिहार की टीम पिछले कई साल से भले ही भारतीय क्रिकेट के लिए बड़ा नाम ना हो लेकिन यही टीम 1976 में रणजी ट्रॉफी का फाइनल खेल चुकी है. झारखंड बटवारे के बाद पहली बार 2018 में बिहार की टीम रणजी में भेजने का मौका मिला. इसके पहले इस बिहार के खिलाड़ी झारखंड के लिए जाकर खेल रहे थे, जिसमें इस समय के स्टार क्रिकेटर इशान किशन तक शामिल हैं.
विभाजन के बाद लगा ग्रहण: 1999 में झारखंड विभाजन के बाद बिहार क्रिकेट पर ग्रहण लग गया था. 2001 में क्रिकेट जहां झारखंड चला गया, वहीं यहां खेल के लिए लड़ाई शुरू हो गई. शुरू में बीसीए के समानान्तर एसोसिएशन ऑफ बिहार क्रिकेट (एबीसी) बना फिर उनके बीच खींचतान शुरू हो गई. 2002 में दो से चार संघ बिहार में बन गए और चारों में कुर्सी के लिए लड़ाई शुरू हो गई.
झारखंड से खेले कई खिलाड़ी: बिहार क्रिकेट टीम के कप्तान रहे सुनील कुमार, तरुण कुमार, निखिलेश रंजन, विष्णु शंकर, रतन कुमार, मनीष वर्धन आदि क्रिकेटरों के साथ झारखंड में सौतेला व्यवहार होने लगा और उन्हें असमय संन्यास लेना पड़ा. इशान किशन, अनुकूल आशीष, शाहबाज नदीम, केशव कुमार, शशीम राठौर, समर कादरी, बाबूल जैसे युवा क्रिकेटर झारखंड की शान बने हुए हैं.
रणजी ट्रॉफी के लिए बिहार क्रिकेट टीम: आशुतोष अमन (कप्तान), साकिबुल गनी (उपकप्तान), विपिन सौरभ (विकेटकीपर), बाबुल कुमार, सचिन कुमार सिंह, वैभव सूर्यवंशी, हिमांशु सिंह, रवि शंकर, रिषभ राज, नवाज खान, विपुल कृष्णा, आकाश राज, बलजीत सिंह बिहारी, सरमन निगरोध, वीर प्रताप सिंह, सपोर्टिंग स्टॉफ में हेड कोच विकास कुमार, कोच प्रमोद कुमार, सहायक कोच संजय कुमार, फीजियो डॉ. हेमेंदु कुमार, ट्रेनर, गोपाल कुमार और मैनेजर नंदन कुमार सिंह होंगे.
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