पटना: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच रमजान का महीना चल रहा है. इस जुमा से दूसरा अशरा शुरू हो गया है. यह दूसरा अशरा गुनाहों की माफी का है. दूसरे जुमे पर भी अकीदतमंद मस्जिदों में नमाज अदा नहीं कर पाए. वे इस लॉकडाउन में हर रोज की तरह अपने-अपने घरों में ही अल्लाह की इबादत करने के साथ कोरोना वायरस से निजात की दुआ मांग रहे हैं.
घर पर ही इबादत करने की अपील
बता दें कि रमजान के महीने में लॉकडाउन के कारण उलेमाओं ने सभी से घर पर ही इबादत करने की अपील की है. ऐसे में जुमे की जोहर-असर की नमाज घर पर ही अकीदतमंदों ने अदा की. इसके साथ-साथ प्रशासन की रजामंदी से जो भी दुकानें खुल रही हैं, उनके दुकानदार दुकान में ही इबादत करते हुए नजर आए.
दैनिक मजदूरों के सामने दिक्कत
रमजान के इस पाक महीने में मजदूरी कर रहे कई लोग रोजा करते हैं. इनके इफ्तार का सालों से मस्जिद हुआ करती हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी धार्मिक स्थलों के बंद होने के कारण इनके सामने समस्या खड़ी हो गई है. अब इन भूखे मजदूरों के पास न तो इफ्तार के लिए पैसे हैं न किसी का सहारा.
भूखे पेट रोजा रख रहे मजदूर
पटना के कलेक्ट्रिएट घाट स्थित सिपाही घाट पर रह रहे स्लम एरिया के लोगों के बीच जब ईटीवी भारत की टीम ने जायजा लिया तो इन्होंने बताया कि हम लोग रोज कमाने खाने वाले हैं, लेकिन अभी कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन की स्थिति है. इसलिए रोजा रखने के बाद हमाारे पास खाने को कुछ नहीं होता.