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बिहार विधान परिषद की सदस्यता से मेरे इस्तीफा के कारण रिक्त पद पर नये मनोनयन के बाद संभवतः जदयू के मेरे उन मित्रों का भ्रम टूट ही गया होगा जिनको ग़लत फहमी हो रही थी कि उपेंद्र कुशवाहा के कारण उनकी हकमारी हो गई या हो रही थी।
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अब क्या हुआ ? अब तो उपेंद्र कुशवाहा आपके रास्ते में बाधक…
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— Upendra Kushwaha (@UpendraKushRLJD) October 15, 2023
अब क्या हुआ ? अब तो उपेंद्र कुशवाहा आपके रास्ते में बाधक…बिहार विधान परिषद की सदस्यता से मेरे इस्तीफा के कारण रिक्त पद पर नये मनोनयन के बाद संभवतः जदयू के मेरे उन मित्रों का भ्रम टूट ही गया होगा जिनको ग़लत फहमी हो रही थी कि उपेंद्र कुशवाहा के कारण उनकी हकमारी हो गई या हो रही थी।
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अब क्या हुआ ? अब तो उपेंद्र कुशवाहा आपके रास्ते में बाधक…
पटनाः बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. राजवर्धन आजाद को बिहार विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया है. डॉ आजाद को उपेंद्र कुशवाहा के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई सीट के लिए मनोनीत किया गया. एक कुशवाहा पार्षद के द्वारा खाली की गयी सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार मनोनीत किये जाने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर सीएम नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए अपने पुराने साथियों को आगाह किया है.
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उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा - "बिहार विधान परिषद की सदस्यता से मेरे इस्तीफा के कारण रिक्त पद पर नये मनोनयन के बाद संभवतः जदयू के मेरे उन मित्रों का भ्रम टूट ही गया होगा जिनको गलतफहमी हो रही थी कि उपेंद्र कुशवाहा के कारण उनकी हकमारी हो गई या हो रही थी. अब क्या हुआ? अब तो उपेंद्र कुशवाहा आपके रास्ते में बाधक नहीं था, फिर कहां अटक गया? आप तो हाथ पसारे रह गये...! अरे भाई, अब तो पूरी भैंसिए (जदयू) गईल पानी (राजद) में. किनारे बैठ कर पानी छप-छपाते रहिए. आपकी मर्जी. यदि आपकी आंखें अभी भी नहीं खुल रही है तो भगवान भला करें. न समझोगे तो मिट जाओगे, ऐ मेरे मित्रों. तेरी दास्तां तक न होगी दास्तानों में."
राजनीतिक गलियारे में कयासबाजीः राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ट्वीट में जिन्हें 'मित्र' कहा है वो संभवतः पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के वैसे नेता हो सकते हैं जिन्हें उम्मीद रही होगी कि इस सीट पर उनका मनोनयन होगा. बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा को जब विधान परिषद के लिए मनोनीत किया गया था तब वो अपनी पार्टी का जदयू में विलय कराया था. ऐसे में कुछ पिछड़े वर्ग के नेताओं में इस बात की नाराजगी थी कि उपेंद्र कुशवाहा को आते ही पद दे दिया गया, जबकि वे लोग लंबे समय से नीतीश कुमार के साथ हैं.
नीतीश को अतिपिछड़ा विरोधी बताने का प्रयासः इसलिए जब उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा खाली की गयी सीट पर एक ब्राह्मण नेता को मनोनीत किया गया तो कुशवाहा ने उन पुराने साथियों पर तंज कसा. कयास यह भी लगाया जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा ने इस ट्वीट के माध्यम से नीतीश कुमार को पिछड़ा और अतिपिछड़ा विरोधी बताने का प्रयास किया है. ऐसे माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा की मंशा यह थी कि जातीय गणना रिपोर्ट में 36 प्रतिशत अतिपिछड़ों की संख्या आने के बाद उनको यह पद दिया जाना चाहिए था.
उपेंद्र कुशवाहा की जगह बनाए गये एमएलसीः डॉ राजवर्धन को राज्यपाल कोटे से बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाया गया है. उपेंद्र कुशवाहा के इस्तीफा के बाद यह सीट रिक्त हुई थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉक्टर राजवर्धन आजाद के नाम की अनुशंसा की थी. बता दें कि बिहार विधान परिषद में राज्य के राज्यपाल कोटे से 12 सदस्यों का मनोनयन का प्रावधान है, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से अनुसंशा की जाती है.
कौन हैं डॉ आजादः राजवर्धन आजाद देश के जाने माने चिकित्सक हैं. वे पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के सुपुत्र हैं. उनके भाई कीर्ती आजाद भी राजनीति से जुड़े हैं. सांसद रह चुके हैं. बता दें कि डॉक्टर राजवर्धन आजाद साल 2014 में गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव के दौरान उम्मीदवार भी रह चुके हैं. डॉ आजाद को बीसी रॉय जैसा प्रतिष्ठित अवार्ड भी मिल चुका है.
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