पटना: वैश्विक महामारी कोरोना के बीच लोग नई जिंदगी की तलाश में वैक्सीन की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं. बिहार में कोरोना संक्रमण कम नहीं हुआ है. वहीं, पटना का हाल भी इस महामारी में बेहाल है. कोरोना काल में पटना जंक्शन पर हजारों यात्री रोज सफर कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने पटना जंक्शन पर पड़ताल में पाया कि लोग इस महामारी के बीच लापरवाही बरत रहे हैं.
स्टेशन पर अव्यवस्था का आलम
किसी प्रकार की कोई जांच या सेनिटाइजेशन की कोई व्यवस्था यहां देखने को नहीं मिली. हां, लेकिन बैग सेनिटाइज करने के लिए एक व्यक्ति जरूर बैठा था पर वो भी अपनी ही मस्ती में था. लोग आ जा रहे हैं लेकिन किसी का भी बैग सेनिटाइज होते नहीं दिखाई दिया.
बैग सेनिटाइजेशन के लिए लगी मशीन
बता दें कि पटना जंक्शन पर बैग या अन्य सामान सेनिटाइज करने के लिए एक मशीन लगाई गई है. सामान के सेनिटाइजेशन के लिए यात्रियों से 10 रुपए भी लिए जा रहे हैं. ये मशीन अल्ट्रावायलेट किरणों से बैग और अन्य सामानों को सेनिटाइज करती हैं. ऐसे में कुछ लोग अपने सामानों को सेनिटाइज करवा रहे हैं, तो कुछ लोग पैसों के कारण सेनिटाइज नहीं करवा रहे और यात्रा कर रहे हैं.
पैसों के चलते नियमों की अनदेखी
वहीं, सेनिटाइज मशीन पर काम करने वाली सविता कुमारी ने बताया कि हर आने जाने वाले यात्री को हम लोग बैग सेनिटाइज करवाने के लिए समझाते हैं लेकिन 10 रुपए लगने के कारण सभी लोग बैग को सेनिटाइज नहीं करवाते हैं. जो शिक्षित होते है वो ही पैसा देकर सामानों को सेनेटाइज कराते हैं.
रेलवे के दावों की खुली पोल
कुछ यात्रियों ने कहा कि हमने टिकट कटवाया है तो रेलवे को मुफ्त में सेनिटाइजेशन की व्यवस्था करना चाहिए. हम पैसे देकर क्यों सेनिटाइज करवाएं. इस बीच स्टेशन पर यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग, सोशल डिस्टेन्सिंग नियमों की पालना के रेलवे के दावें भी हवा-हवाई ही दिखे. कोरोना को लेकर प्लेटफार्म पर एंट्री करने से लेकर ट्रेन से उतरने के बाद तक लोगों में कोई गंभीरता नहीं दिखी. साथ ही रेलवे की व्यवस्था के नाम पर यहां सब कुछ गौण ही दिखा.