पटना: डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी (Illegal withdrawal from Doranda Treasury) के मामले में भी आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है. सजा का ऐलान 21 फरवरी को होगा. इसके साथ ही ये चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर लालू का राजनीतिक भविष्य क्या होगा. कानून के जानकारों के मुताबिक अगर लालू को छह साल से अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उन्हें कम से कम छह महीने के लिए सलाखों के पीछे रहना होगा.
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अधिवक्ता रजनीश कुमार का कहना है कि लालू प्रसाद यादव को अगर 3 साल से कम की सजा मिलती है तो उन्हें तत्काल जमानत मिल जाएगी लेकिन अगर उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. वे कहते हैं कि डोरंडा मामले में अधिकतम लालू यादव को 7 साल की सजा सुनाई जा सकती है लेकिन सब कुछ न्यायधीश के स्वविवेक पर निर्भर करेगा. संभव है कि उनके खराब स्वास्थ्य देखते हुए कुछ राहत दी जाए.
वहीं, पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास का भी यही मानना है कि अगर लालू यादव को 3 साल या उससे कम की सजा अगर मिलती है तो उन्हें निचली अदालत से तत्काल बेल मिल जाएगी लेकिन 3 साल से ज्यादा की सजा मिलने पर जमानत के लिए उच्च न्यायालय जाना पड़ेगा. हालांकि वे कहते हैं कि खराब स्वास्थ्य के आधार पर पहले भी जगन्नाथ मिश्र को जमानत दी गई थी. ऐसे में संभव है कि कोर्ट इस बिंदु पर लालू यादव के प्रति सहानुभूति दिखाएं.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव 73 साल के हैं और कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि शायद कोर्ट उनको लेकर थोड़ी नरमी बरत सकता है. डॉ. विनोद कुमार कहते हैं कि लालू यादव डेढ़ दर्जन से ज्यादा गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. उन्हें कितना खाना है और कितना पानी पीना है, यह निर्णय भी हर रोज चिकित्सक को ही लेना है. लालू को किडनी, हाई बीपी और शुगर समेत कई गंभीर बीमारियां हैं. वह स्वस्थ रहें, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में रखा जाए. जेल या फिर सामान्य अस्पताल में इतनी व्यवस्था नहीं है कि लालू यादव की इलाज ठीक तरीके से हो सके.
पहला केस : चाईबासा कोषागार, 37.7 करोड़ का घोटाला
चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में साल 2013 में लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 30 सितंबर 2013 को सभी 45 आरोपियों को दोषी ठहराया था. लालू समेत इन आरोपियों पर चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपये अवैध तरीके से निकालने का दोषी पाया गया था. इस मामले में 3 अक्टूबर 2013 को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. लालू प्रसाद को 5 साल की सजा हुई थी.
दूसरा केस : देवघर कोषागार, 84.5 लाख का घोटाला देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी. साथ ही उनपर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
तीसरा केस: चाईबासा कोषागार, 33.67 करोड़ का घोटाला
चाईबासा ट्रेजरी से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी. इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था. जिसमें कुल 76 आरोपी थे. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 24 जनवरी 2018 को लालू को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई. सजा के साथ-साथ 10 लाख का जुर्माना भी लगा.
चौथा केस: दुमका कोषागार, 3.13 करोड़ का घोटाला
ये मामला दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये फर्जी तरीके से निकालने का है. सीबीआई कोर्ट ने 24 मार्च 2018 को लालू प्रसाद यादव को इस मामले में अलग अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई थी.
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डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी: डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी है. यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो. यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का है. डोरंडा मामले में अब 21 फरवरी को सुनवाई होनी है और सब की नजर इस बात पर है कि 21 फरवरी को लालू प्रसाद यादव को कितने दिनों की सजा सुनाई जाती है. लालू प्रसाद यादव को जेल होगी या बेल मिलेगी यह 21 फरवरी को तय हो जाएगा. खराब स्वास्थ्य को लेकर जहां आरजेडी के नेता चिंता व्यक्त कर रहे हैं, वहीं अगर सजा अधिक हुई तो लालू के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण (Political Future of Lalu Yadav) भी लग सकता है.
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